2007 में इंटरनेटी हिन्दी – कैसे बीता साल?

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इंटरनेटी हिन्दी के लिए वर्ष 2007 अच्छा-खासा घटनाओं भरा रहा और कुल मिलाकर एक विहंगम दृष्टि डालें तो यह वर्ष हिन्दी के लिए बड़ा ही लाभकारी रहा...


इंटरनेटी हिन्दी के लिए वर्ष 2007 अच्छा-खासा घटनाओं भरा रहा और कुल मिलाकर एक विहंगम दृष्टि डालें तो यह वर्ष हिन्दी के लिए बड़ा ही लाभकारी रहा.

साल के शुरूआत में ही हिन्दी जगत को नायाब तोहफ़ा मिला था – इंटरनेट के जाने पहचाने, सुप्रसिद्ध साहित्यिक जाल स्थल अभिव्यक्ति और अनुभूति अंततः यूनिकोड में आ गए. इसके ठीक कुछ ही दिनों बाद खबर मिली कि हिन्दी समाचारों की लोकप्रिय साइट प्रभासाक्षी ने नित्य 3 लाख हिट्स पाने का रेकॉर्ड प्राप्त कर लिया. प्रभासाक्षी कृतिदेव श्रेणी के फ़ॉन्ट पर आधारित है और यूनिकोड पर आने हेतु प्रयोग चल रहे हैं.

फरवरी 07 आते आते विश्व की सबसे बड़ी वेब पोर्टलों में से एक, याहू ने भी हिन्दी समेत अन्य भारतीय भाषाओं को अपना लिया. बाद के कई महीनों में तो कई बड़ी साइटें और समाचार पत्र स्थल जैसे कि वेब दुनिया से लेकर दैनिक भास्कर तक शामिल हैं, सभी यूनिकोड में परिवर्तित हो गए. तब तक विंडोज विस्ता भी आ चुका था जिसमें हिन्दी का अंतर्निर्मित समर्थन उपलब्ध है – यानी आपको विंडोज एक्सपी की तरह इसके संस्थापना सीडी के जरिए अलग से हिन्दी संस्थापित करने की आवश्यकता नहीं है. और इसके इंटरफेस को भी आप हिन्दी में बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं.

लिनक्स भी पीछे नहीं रहा था और सीडॅक द्वारा पूर्णतः भारतीय भाषाई संस्करण बॉस जारी किया गया जिसमें हिन्दी एक प्रमुख भाषा के रूप में मौजूद है, और जिसमें सैकड़ों अनुप्रयोग और प्रोग्राम हिन्दी भाषा में हैं.

मार्च में पता चला कि गूगल ने अपने गूगल डॉक्स में हिन्दी वर्तनी जांच की सुविधा प्रदान कर दी है. यह सुविधा जीमेल के हिन्दी संस्करण में पहले से ही उपलब्ध थी. इसी दौरान, हिन्दी ब्लॉग जगत में पत्रकारों का पदार्पण हुआ और फिर प्रिंट और दृश्य मीडिया में हिन्दी ब्लॉगों के चर्चे होने लगे. यूं तो हलचल पहले भी हो रही थी, परंतु राष्ट्रीय अख़बार में पहली पहल हिन्दुस्तान टाइम्स में हुई, और बाद में एनडीटीवी के शनिवारी-सुबह के कार्यक्रमों में हिन्दी ब्लॉगों के अच्छे खासे चर्चे होते रहे.

अप्रैल में गूगल ने हिन्दी चिट्ठाकारों को यह कह कर बेवकूफ़ बनाने की कोशिश की कि वे अब हिन्दी में चिट्ठाकारी कर सकते हैं. जबकि कोई तीन चार साल पहले से ही हिन्दी में धुंआधार चिट्ठाकारी हो रही थी. दरअसल, ब्लॉगर में हिन्दी ट्रांसलिट्रेशन औजार जोड़ने की खुशी में वे क्या कहना चाह रहे थे ये ही भूल गए थे. वैसे, इंटरनेटी हिन्दी के लिए यह साल की सबसे बड़ी खबर रही, और सबसे बड़ी वैश्विक पहुँच वाली भी, क्योंकि गूगल ब्लॉगर की वैश्विक पहुंच है, या सबसे बड़ी और आसान ब्लॉग सेवा है और सेटिंग में हिन्दी ट्रांसलिट्रेशन जोड़ने का विकल्प (?) हर ब्लॉगर उपयोक्ता को दिखाई देता है.

जल्द ही गूगल डेस्कटॉप नामक औजार भी हिन्दी में उपलब्ध हो गया. इसी समय हिन्दी के यूनिकोडित जाल स्थलों को अंग्रेजी सहित अपने मनपसंद भारतीय भाषाओं में पढ़ने का सुविधाजनक ऑनलाइन उपाय भी हमें मिला. हालाकि गिरगिट जैसा प्रकल्प पहले से ही उपलब्ध था, परंतु भोमियो ने उसे और आसान बना दिया.

मई आते आते कैफ़े हिन्दी का नई तकनीक का हिन्दी टाइपिंग औजार आ गया. इस बीच कुछ अच्छे ऑनलाइन टाइपिंग औजार पहले भी आ चुके थे. और हिन्दी का मुफ़्त, पाठ से वार्ता (टैक्स्ट टू स्पीच) प्रोग्राम भी जारी हो चुका था.

जून में चिट्ठासंकलक नारद के एक चिट्ठे पर प्रतिबंध से पैदा हुए विवाद ने चिट्ठाकारों में ध्रुवीकरण, गैंगबाजी, माफिया, चिट्ठामठाधीश जैसी कल्पनाओं और संभावनाओं को पैदा किया. इस बीच हिन्दी चिट्ठों का एक संकलक नुमा प्रकल्प पहले से ही आ चुका था. और, जुलाई आते आते चलती रेलगाड़ी से विश्व का पहला हिन्दी चिट्ठापोस्ट लिखा गया जिसने हिन्दी में व्यवसायिक चिट्ठाकारी को सफल होने में खासा योगदान भी दिया था.

इसी दौरान चिट्ठासंकलक ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत् एक-एक कर प्रारंभ हुए, और क्या हुए. अब तो चिट्ठासंकलकों के बीच प्रतियोगिताएँ जम कर चल रही हैं कि कौन ज्यादा से ज्यादा सुविधाएँ दे सकता है. और इस कारण से हिन्दी का ब्लॉग लेखक मुदित है. पर, संकलकों की यह आपसी प्रतियोगिता अप्रिय, व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप के स्तर पर आ पहुंची थी जिसका अफसोस इस वर्ष हम सभी को रहेगा. तमाम मोबाइल फ़ोनों, स्मार्ट फ़ोनों में हिन्दी में इंटरनेट प्रयोग की सुविधाएँ मिलने लगीं और हिन्दी साइटें भी मोबाइल के उपयुक्त होने लगीं. मोबाइल फ़ोनों में हिंगलिश (ऊपर सैमसुंग फोन के विज्ञापन का छोटा हिस्सा देखें) जैसी सुविधाएँ मिलने लगीं.

इस साल हिन्दी नामधारी फ़ाइलों को जिप करने यानी संपीडित करने की युक्ति (रार फ़ॉर्मेट में) विनरार के जरिए मिली. वैसे तो विंडोज (एक्सपी और ऊपर के) के अंतर्निर्मित सुविधा में तथा लिनक्स तंत्रों में आप हिन्दी नामधारी फ़ाइलों को पहले से ही जिप कर सकते थे, परंतु एक प्रचलित औजार के जरिए सहूलियत से यह कार्य करने की सुविधा हिन्दी में पहली बार मिली.

भाषाई दीवारों को तोड़ने की एक और कोशिश चिट्ठाजगत् ने की जिसे ब्लॉगवाणी ने आगे बढ़ाया. ये संकलक अब हिन्दी चिट्ठों को आसान रोमन लिपि में भी दिखाने लगे. अक्तूबर आते आते खबर मिली की माइक्रोसॉफ़्ट ने भारतीय भाषाओं के लिए मुफ़्त फ़ॉन्ट परिवर्तक जारी किया है जो कई फ़ॉन्टों के साथ बेहतरीन और आश्चर्यजनक परिणामों के साथ कार्य करता है. रजनीश ने भी इसी साल अपने जालस्थल पर ऑनलाइन फ़ॉन्ट परिवर्तन की बेहतरीन सुविधाएँ प्रदान कीं, वहीं इस स्थल पर कुछ अतिरिक्त सुविधाएँ भी जुड़ीं. बालेंदु ने एनकोडिंग टूटने से भ्रष्ट हुई हिन्दी को पढ़ने के लिए एक बढ़िया इंटरफेस युक्त ऑनलाइन औजार बनाया. वर्ष 2007 में हिन्दी के लिए एक और अच्छी बात यह रही कि इंटरनेट पर नाम दर्ज करने वाली संस्था आईसीएएनएन ने जाल-पतों को हिन्दी में देने के लिए परीक्षण प्रारंभ कर दिए. हालाकि हिन्दी में कुछ आंशिक मात्रा में जाल पते पहले से ही चल रहे थे, मगर पूरी तरह से हिन्दी मय जाल पतों के लिए यह पहला आधिकारिक कदम माना जाता है.

नवंबर में एक नए हिन्दी ब्राउज़र का पदार्पण हुआ जो कि मोजिल्ला फ़ॉयरफ़ॉक्स पर आधारित है. दिसम्बर आते आते खबर मिली की माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस 2007 हिन्दी में जारी कर दिया गया है और जांच परख के लिए मुफ़्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध है.

और हाँ, इस वर्ष भी, पाठकों की कृपा से यह पृष्ठ हिन्दी का विश्व का सर्वाधिक मजेदार जालपृष्ठ बना रहा.

(मेरी क्षुद्र जानकारी में इतना ही. यदि आपके पास कुछ और इनपुट हों तो उन्हें कृपया अवश्य शामिल करें)

COMMENTS

BLOGGER: 10
  1. आप की चिट्ठा बारहमासी से ज्ञान में वृद्धि हुई। पीछे मुड़ कर अपने सफर को देखना सदैव ही अत्यन्त सुखद होता है। हिन्दी चिट्
    ठाकारी अब उस मुकाम पर पहुँच चुकी है कि उस का इतिहास लेखन कायदे से प्रारंभ हो जाना चाहिए। मुझे लगता है यह काम भी आप को ही करना पड़ेगा, फिलहाल। इस आलेख में काम के इतने लिंक हैं कि कोई भी इसे संग्रह करना चाहेगा।

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  2. इन सब के पीछे आप जैसे महानुभवों का ही हाथ रहा है जो आज हिन्दी चिट्ठाकार खुश है।यहाँ जो लिकं दिए हैं वह संग्रह योग्य है।आशा है आप इस कार्य को करते हुए अगले साल और ऊचाईयों तक ले जाएगें।हम जैसे चिट्ठाकार तो सदा आपके आभारी रहेगें।

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  3. क्या कहें, बहुत खुब-कमाल कर दिया-पैनी नजर से किया गया संकलन-गागर में सागर........

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  4. इंटरनेटी हिन्दी की साल भर की उपलब्धियों को आपने खूबसूरती से समेटा। यह काम आप ही सबसे बेहतर कर सकते थे। इस वर्ष के दो-एक औजारों को पहले आजमाने का मौका नहीं मिला था,उसे नए साल में आजमाएंगे।

    आशा है, अगला साल इंटरनेटी हिन्दी के लिए और भी उपलब्धयों भरा रहे।

    पाठक कैसे हिन्दी ब्लॉग्स के बढें लाखों में, इसके लिए कोई तकनीकी तरीका निकल आए, तो मजा आ जाए।

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  5. अति सुन्दर ।
    आपने इतने कम शब्दों में बड़े सशक्त ढ़ंग से वर्ष-२००७ का लेख-जोखा रखा है। वैसे तो यह सबके लिये अत्यन्त उपयोगी है, किन्तु नये लोगों के लिये इतने संक्षेप में इतनी जानकारी बहुत लाभकरि होगी।

    आशा है इसी का अनुसरण करते हुए कुछ और लोग अपने तरीके से वर्ष-२००७ का हिन्दी की दृष्टि से लेखा-जोखा लिखेंगे।

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  6. सच मे रवि जी. आपका ब्लोग सर्वोत्तम है। मै भी रतलाम शहर का ही वासी हू और आपकी प्रेरना से एक हिन्दी Programming Learning ब्लोग प्ररम्भ करने जा रहा हू। हिन्दी ब्लोग्गिन्ग मे अनुभव्हीन हू. आशा है आपका सहयोग मिलेगा.

    जो कोलेज मे सीखून्गा वही ब्लोग करुन्गा । प्रेरना के लिये धन्यवाद ।

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  7. प्रिय रवि, इस लेख द्वारा जालजगत में हिन्दी के प्रचार प्रसार के एक महत्वपूर्ण वर्ष का अवलोकन प्रस्तुत करने के लिये आभार.

    अवलोकन हमेशा एक संतुलित चित्र प्रदान करता है, अत: इस इस महत्वपूर्ण लेख के लिये आभार.

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. वाह वाह क्या जानकारी संजोई है
    प्रफुल्लित सबका मन अब होई है
    संदर्भ लेख बना इतना प्यारासा है
    छिपी बेहतर हिंदी की परिभाषा है

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  10. क्विजमास्टर - अश्विन जी, आपका हिन्दी ब्लॉगजगत् में स्वागत है. शुभकामनाएँ. आप शीघ्र हिन्दी ब्लॉग प्रारंभ करें व अपने ज्ञान से हमें भी कुछ सिखाएँ.

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छींटे और बौछारें: 2007 में इंटरनेटी हिन्दी – कैसे बीता साल?
2007 में इंटरनेटी हिन्दी – कैसे बीता साल?
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