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आपके चिट्ठे अब बहुभाषीलिपि में!

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कहावत है कि आदमी तब तक ही ज्ञानी बना रह सकता है जब तक कि वह अपना मुँह न खोले. और, ये बात जानते हुए भी हम कई दफ़ा अपना मुँह जबरन और जबर...

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हिंदी तेरे कितने जाल पते?


कहावत है कि आदमी तब तक ही ज्ञानी बना रह सकता है जब तक कि वह अपना मुँह न खोले. और, ये बात जानते हुए भी हम कई दफ़ा अपना मुँह जबरन और जबरदस्ती खोलते हैं जग हँसाई का पात्र बनते हैं.

बहरहाल, मैंने भी अपना मुंह खोला था और मुझे तत्काल मेरी अज्ञानता का अहसास दिलाया गया. मैंने प्रभु को याद किया - हे प्रभु! मुझे माफ़ करना क्योंकि मुझे खुद नहीं मालूम था कि मैंने ये क्या कह दिया था! प्रायश्चित और पश्चाताप् स्वरूप मैंने सोचा , कि चलिए, रोमन-हिन्दी चिट्ठों की संभावनाएँ तलाशी जाएँ...

और, ये क्या - यहाँ तो संभावनाओं के द्वार के द्वार दिखाई दिए...

मनीष ने जब बताया कि रोमन लिपि में लिखे उनके हिन्दी सामग्री पर हिन्दी यूनिकोड पन्नों से ज्यादा हिट मिलते हैं तो मेरा माथा ठनका था.

हमारे पास आज तमाम तरह के औजार हैं जिनसे हम हिन्दी को रोमन-हिन्दी तथा रोमन-हिन्दी को हिन्दी में बदल सकते हैं.

और, अब तो अपने पास भोमियो.कॉम ऑनलाइन औजार भी हैं जिनके जरिए अपना पूरा का पूरा जाल-पृष्ठ हिन्दी से रोमन-हिन्दी (आईट्रांस स्कीम में) परिवर्तित कर पढ़ सकते हैं. इसके उलट भी हो सकता है यानी रोमन-हिन्दी में लिखी सामग्री को हिन्दी लिपि में परिवर्तित कर पढ़ सकते हैं. यही नहीं, यदि आप चाहें तो मेरे हिन्दी चिट्ठे को अब आप हिन्दी, रोमन-हिन्दी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं की 8 लिपियों मसलन गुजराती लिपि में भी पढ़ सकते हैं!

(बड़े आकार में देखने के लिए चित्र पर क्लिक करें)

जी हाँ, यह सब कुछ संभव है - भोमियो.कॉम में. दरअसल इसकी सूचना भोमियो से मुझे बहुत पहले ही मिल चुकी थी, और मैंने अपने डिफ़ॉल्ट ब्राउज़र ऑपेरा में जांचा था और आरंभिक जांच में यह उसमें चला नहीं था तो मैंने इसे छोड़ दिया था. कल जब पुन: मनीष की बात पर भोमियो फिर से याद आया तो मैंने इसे इंटनरेट एक्सप्लोरर तथा फ़ॉयरफ़ॉक्स दोनों पर चलाकर देखा. इंटरनेट एक्सप्लोरर पर तथा फ़ॉयरफ़ॉक्स 2.0 पर यह बेधड़क और बढ़िया चलता है. संलग्न स्क्रीनशॉट इसके उदाहरण हैं.

भोमियो में आपके हिन्दी ब्लॉग (या समर्थित भारतीय भाषा के ब्लॉग और अन्य पृष्ठ) को निम्न भाषाओं की लिपि में आपस में अदल-बदल कर पढ़ा जा सकता है -

हिन्दी

रोमन(अंग्रेज़ी)

गुजराती

बंगाली

पंजाबी

तेलुगु

तमिल

मलयालम

सिंधी

कन्नड़

है न कमाल की बात? अब आपकी मुम्बइया भाषा में लिखे ब्लॉग पोस्टों को किसी मलयाली लिपि के जानकार द्वारा भी - जो हिन्दी लिपि से अनभिज्ञ है, परंतु हिन्दी भाषा बख़ूबी समझता है - आसानी से पढ़ा जा सकेगा. ट्रांसलिट्रेटेड सामग्री का कट पेस्ट कर आप आसानी से इसका इस्तेमाल अन्यत्र कर सकते हैं.

भोमियो हमारे ब्लॉग पृष्ठों को ट्रांसलिट्रेट करने के लिए स्क्रिप्ट का इस्तेमाल करता है. यदि यह अलग से अपने पंजीकृत उपयोक्ताओं को प्रॉक्सी सर्वर जैसा कुछ साधन उपलब्ध करवा दे, जैसे कि मुझे मेरे हिन्दी ब्लॉग के परिवर्तित रूप रवि रतलामी का रोमन-हिन्दी ब्लॉग के लिए पृष्ठ - तो क्या ही उत्तम हो. मैंने इस हेतु उन्हें लिखा तो है - देखते हैं क्या जवाब आता है. मुझे लगता है कि आज नहीं तो कल ब्लॉगर में भारतीय भाषाओं के लिए यह सुविधा अंतर्निर्मित हो जाएगी. यानी कि आप भारतीय भाषाओं के किसी ब्लॉग में जाएँ, वहां अपनी पसंदीदा भाषा लिपि के टैब को दबाएँ और आप उस लिपि में पढ़ लें. भाषा कोई और हो. जैसे कि अभी मैं अपने मित्र की पंजाबी भाषा सुनकर समझ सकता हूँ, हिन्दी लिपि में पंजाबी पढ़ कर समझ सकता हूँ, परंतु मुझे पंजाबी लिपि नहीं आती. मेरे लिए तो यह एक वरदान सरीखा होगा.

तब तक के लिए, हम सभी के लिए एक नई संभावनाओं का द्वार तो खुला ही है...

पुनश्च: विवादों को हवा देने का मेरा उद्देश्य नहीं है और न ही प्रयोजन. मगर, मेरा मानना है कि सृजन शिल्पी के पृष्ठों पर नारद से जुड़े लोगों पर जिस तरह निम्नस्तरीय व्यक्तिगत आक्षेप लगाए गए हैं, वह भी इंटरनेटीय तकनॉलाजी की उनकी अपनी गहरी अनभिज्ञता के चलते, वह बहुत ही दुःखद है .

हे प्रभु, इन्हें माफ़ करना - क्योंकि ये नहीं जानते - ये सचमुच नहीं जानते कि ये क्या कह रहे हैं. संभवतः कल जब इन्हें ज्ञान की प्राप्ति होगी तब शायद ये प्रायश्चित करें, पश्चाताप करें...

(आप सभी पाठक बंधुओं से विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस संबंध में टिप्पणी नहीं करें. हाँ, ऊपर दी गई तकनॉलाज़ी के विषय में अगर कुछ कहना चाहें तो आपका स्वागत् है.)


वैसे, इस आलेख का शीर्षक ये भी हो सकता था - बिलकुल कैची - मोहल्ला अब मलयालम में भी!

क्या खयाल है आपका?


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COMMENTS

BLOGGER: 17
  1. रवि जी बड़े काम की बात बतायी आपने, हमारे बहुत से मित्र दक्षिण भारत के हैं जो हिन्दी बोल और समझ तो लेते हैं लेकिन लिख पढ़ नही सकते। अब वे भी मेरे (हमारे) ब्लॉग पढ़ सकेंगे [जब कभी हम लिखेंगे ]।
    ऐसी महत्त्वपूर्ण जानकारी के लिये बहुत भहुत धन्यवाद।

    जवाब दें हटाएं
  2. (Ye Tippani mein jaanboojh kar Roman mein kar raha hoon.)

    Achhi jaankaari dee aapne. Ravi Bhai, is par agar ek lekh, vistrit roop se likh sako (with images) to bahut bhala ho jaaye. Mere paas MeraPanna ke archives hain, lagbhag 700 se upar ke lekh. Publish kar dete hain wahan par. Aur haan, Is baar adsense ke saath...hehe (offcouse all receipt will be donated to Akshargram Projects)

    ek Achha lekh, lage raho guruji.

    जवाब दें हटाएं
  3. बेनामी1:35 pm

    आपके चिट्ठे पर आने का अर्थ होता है अधिक समृद्ध और सम्पन्न होकर लौटना .

    जवाब दें हटाएं
  4. रवि भाई जब मैं आपको गुरू कहता हूं तो आप असहज होने लगते हैं । अब बताईये आप जैसे लोग गुरू लोग हैं या नहीं । इतनी अद्भुत सामग्री देने के लिए हृदय से धन्‍यवाद ।
    इसे आज़माना होगा क्‍योंकि मैंने हाल ही में जब अपना चिट्ठा शुरू किया तो मुंबई के नई पीढ़ी के कुछ मित्रों ने समस्‍या जताई कि उन्‍हें देवनागरी लिपि पढ़ने में अपार कष्‍ट है, परेशानी पैदा हो गयी । क्‍या करूं । फिल्‍हाल तो इसी‍ चिट्ठे को संभालना है । आपने रोशनी की किरण दिखाई है । धन्‍यवाद गुरू ।

    जवाब दें हटाएं
  5. हमेशा की तरह एक उम्दा पोस्ट...और ज्ञानवर्धक भी..वरना हम लोग तो इंटरनेट पर ऐसे ही घूमते रहते हैं, कचरा बीनते हुए...आप जैसे लोगों का साथ ना हो तो हम अज्ञानी ही बने रहें हमेशा...एक बार फ़िर साधुवाद..

    जवाब दें हटाएं
  6. बहुतई काम की बात बताई आपने।

    जवाब दें हटाएं
  7. बेनामी2:10 pm

    तव चरणौ प्रणमाम:।
    बलिहारी गुरुदेव की जो भोमियो दियो बताय।
    आज ही जगदीशजी भाटिया का पंजाबी ब्लॉग (http://punjabi1.wordpress.com/) देवनागरी में पढ़ कर देख लिया है।
    ये तो बहुत ही काम की चीज है। आप इस बारे में भी कुछ बताएँ कि क्या लोग अपने चिट्ठों पर इसकी जानकारी दे सकते हैं और किस प्रकार दे सकते हैं।

    जवाब दें हटाएं
  8. वाह ये तो धांसू औजार है भाई! मजा आ गया।

    जवाब दें हटाएं
  9. रवी जी आप ने एक अच्छी जानकारी दी हमें। मैं ने इसी बात लेकर एक मलयालम ब्लोग पोस्ट डाला।

    जवाब दें हटाएं
  10. वाह रवि जी क्या काम की चीज बताई है । अब मुझे बार बार एक ही पोस्ट रोमन और हिंदी दोनों में टाइप नहीं करनी पड़ेगी । जैसा यूनुस भाई ने बताया मेरे भी कई दोस्त देवनागरी में चिट्ठा पढ़ने में तकलीफ महसूस करते हैं और चूंकि वे सब अहिंदीभाषी प्रदेश से आते हैं इसलिए मुझे भी उन्हें force करना अच्छा नहीं लगता ।

    एक बार फिर बहुत बहुत शुक्रिया ! अब देखना ये है कि ऐसा कब होगा जब एक भाषा में लिखें और दूसरी भाषा में उसका अनुवाद हो जाए तब हम सभी सिर्फ चिट्ठाकार रह जाएँगे..भाषा की दीवारों से कहीं ऊपर..............

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  11. लगभग ऐसी ही एक सेवा आपको यहाँ देखने को मिल सकती हैं।
    इसका मूल आलोक कुमार द्वारा निर्मित गिरगिट सुविधा से जुडा हुवा हैं।
    ट्रान्स्लीटरेशन का यह काम आटोमेटिक हो जाए इसलिये पद्मा जैसा एक्स्टिंशन लिखने की कोशिश कर रहा हूँ।
    किसी का सहयोग मिला तो जल्द ही काम पूरा हो जाएगा...

    जवाब दें हटाएं
  12. भाषा ज़रूर बदल जाता हैं। लेकिन कुच्छ कमियाँ रह गया। लिपियों सब सही नहीं आरहा हैं।

    जवाब दें हटाएं
  13. Keralafarmer जी,
    स्वचालित मशीनी प्रयासों में अकसर ऐसी गलतियाँ तो अवश्यंभावी हैं ही. उम्मीद है आगे के संस्करणों में इन्हें दूर कर लिया जाएगा.

    फिर भी, आप इसका विस्तृत विवरण दे सकते हैं कि किस तरह की समस्या आई?

    जैसे कि हिन्दी से अंग्रेज़ी तथा गुजराती लिपि में परिवर्तित होने पर तो ग़लतियाँ कम दिखाई दे रही हैं. संभवतः तमिल लिपि में व्यंजन कम होने के कारण ऐसा हो सकता है?

    जवाब दें हटाएं
  14. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब दें हटाएं
  15. रवी जी आप ने ठीक कहा। तमिल में लिपि में व्यंजन कम और मलयालम में ज़्यादा हैं। जैसे रोमन हिंन्दी में blog लिखते तो मलयालम में सही आने केलिये blOg लिखना होगा। मलयालम में 53 letters हैं। तमिल में कम हैं। जैसे roman hindi हैं वैसे मलयालम में manglish हैं। इन दोनों मे भी अंतर हैं। बारिष को मलयालम में mazha लिखते हैं और वह हिन्दी में नहीं आयेगा।
    चन्द्रशेखरन नायर

    जवाब दें हटाएं
  16. बेनामी2:23 am

    रविजी,

    ट्रान्सलीटरेशन वाली बात सबको बताने के लीए धन्यवाद. मैने आपका अंग्रजी ब्लोग पढा और वहा उत्तर दीया है. मेरे पास आपका इ-मेइल नहि है वरना व्यक्तिगत लिखता.

    भोमियो मेरा सिर्फ शौक है. वो आप सबको उपयोगी है वो जानकर बहुत खुशी हुइ. आप सब को जो भी उसमे गलतिया दिखाये वो बताये मे उसे सुधारने के प्रयास जरुर करुंगा. मुश्कील इतनी ही है के मैं खुद हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती के सिवा और कोइ भाषा नहि जानता. वरना उनका ट्रान्सलीटरेशन भी सही होता. फीर भी आप जो प्रोक्सी सर्वर की बात कर रहे है वो जरा विस्तार से बतायये तो मै कुछ कर सकु.

    -पीयुष

    जवाब दें हटाएं
  17. पीयूष जी,
    आपने बढ़िया औजार बनाया है इसके लिए बधाई व शुभकामनाएँ स्वीकारें.

    मेरा कहना यह है कि आप कोई प्रॉक्सी सर्वर की कड़ी दें जैसा कि पीकेब्लॉग्स वाले देते हैं, जिसमें कि मैं अपने इस चिट्ठे को अंग्रेजी या गुजराती लिपि में पढ़ सकूं.

    उदाहरण के लिए,
    http://english.bhomio.com/raviratlami

    या
    http://bhomio.com/english/raviratlami

    तो यह मेरे इस चिट्ठे को रोमन लिपि में दिखाने का यूआरएल हो. इसी तरह आप और भाषाओं के लिए भी कर सकते हैं. प्रॉक्सी सर्वर इसलिए कि फिर इसमें एकत्र डाटा गूगल के जरिए सर्च कर इस्तेमाल में भी लिया जा सके - यानी मेरी हिन्दी सामग्री को लोग रोमन में भी ढूंढ कर रोमन में पढ़ सकें!

    उम्मीद है कुछ स्पष्ट हुआ होगा. नहीं तो अवश्य पूछें.

    जवाब दें हटाएं
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छींटे और बौछारें: आपके चिट्ठे अब बहुभाषीलिपि में!
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