आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 463 लाला लाजपत राय आज ही मैंने ला...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
463
लाला लाजपत राय
आज ही मैंने लाला लाजपतराय द्वारा लिखित आर्यसमाज का इतिहास नामक पुस्तक पढ़कर समाप्त की है।
पिछले रविवार मैं अध्यापिका के पद पर नियुक्ति हेतु एक महिला का साक्षात्कार ले रहा था। मैंने उससे पूछा कि वह किस स्कूल में पढ़ी है। उसने उत्तर दिया कि उसने लाला लाजपतराय कॉलेज से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की है। उस समय मैं यह पुस्तक पढ़ रहा था, इसलिए मैंने उससे पूछा - "क्या आप लाला लाजपतराय को जानती हैं? मुझे लाला लाजपतराय के बारे में कुछ बताओ?"
वह कोई उत्तर नहीं दे सकी। उसे कुछ पता ही नहीं था।
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मेरे हाथ .....एवं मेरा ईश्वर
एक गरीब महिला को उसके पति ने बेसहारा छोड़ दिया। जब यह मामला अदालत में पहुंचा तो न्यायाधीश ने उनसे पूछा - "क्या आपके जीवन का कोई सहारा है?"
महिला ने उत्तर दिया - "जी हां हुजूर, मेरे पास तीन सहारे हैं।"
"तीन?"
"जी श्रीमान"
"वो क्या हैं?" - आश्चर्य से भरे न्यायाधीश ने पूछा।
"मेरे हाथ, मेरा अच्छा स्वास्थ्य और मेरा ईश्वर।" - महिला ने उत्तर दिया।
उस महिला की साधन संपन्नता, उसकी आत्मनिर्भरता, और ईश्वर के ऊपर विश्वास हम सभी के लिए एक सबक हो सकता है। यह पुरानी कहावत अभी भी सत्य है कि "ईश्वर उसकी मदद करते हैं, जो अपनी मदद करता है।" ईश्वर के ऊपर विश्वास करने से हमें अपने-आप पर विश्वास करने की शक्ति मिलती है।
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प्रबंधन का गुर
जंगल का राजा सिंह युद्ध की तैयारी कर रहा था. सभी जानवरों को उनके बल-बुद्धि के अनुरूप कार्य दिए जा रहे थे. गधे और गिलहरी की जब बारी आई तो रणनीतिकारों ने गधे को मूर्ख समझ और गिलहरी को नाजुक मान कर युद्ध से बाहर रखने की सलाह सिंह को दी.
इस पर सिंह ने कहा - “युद्ध में जीतने के लिए सही काम के लिए सही जानवर होना जरूरी है. हर जानवर का सर्वोत्तम प्रयोग में लेना होगा. गधे की रेंक दूर दूर तक जाती है तो उसका उपयोग हम युद्ध घोष के लिए करेंगे और गिलहरी दौड़ भाग करने में माहिर है तो हम उसका उपयोग सूचना आदान-प्रदान के लिए करेंगे.”
घनश्याम दास बिड़ला ने एक बार कहा था – सही काम के लिए सही आदमी ही प्रबंधक का एकमात्र गुर है.
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हाँ, मेरा यही मतलब था
ऑर्केस्ट्रा का अभ्यास चल रहा था. संगीतकार ने एक तुरही वादक से कहा – “मेरे विचार में जब हम यहाँ पर होते हैं तो तुम्हें कुछ और आर्टिस्टिक एप्रोच लाना चाहिए. यदि तुम समझ रहे हो कि मैं क्या चाहता हूँ तो वो यह है कि तुम्हें कुछ ज्यादा निश्चयी होना चाहिए, थोड़ा ज्यादा स्वराघात देना चाहिए जिसमें कुछ ज्यादा जीवन हो, गहराई हो, और अधिक....”
तुरही वादक ने बीच में टोका – “क्या आप चाहते हैं कि मैं थोड़ा तेज बजाऊं?”
इस पर बेचारा संगीतकार सिर्फ यही कह सका – “हाँ, मेरे कहने का यही मतलब था!”
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
काश उनके आदर्श भी पाठ्यक्रम में होते।
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