आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 421 अहंकार ऐसे पथ तलाशता है मुल्ल...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
421
अहंकार ऐसे पथ तलाशता है
मुल्ला नसरुद्दीन की बीवी उनसे झगड़ रही थीं। वह गुस्से में बोलीं - "सुनिए जी, आखिर यह क्या मामला है। आज तुम साफ-साफ बता ही दो कि तुम मेरे सभी रिश्तेदारों को नफरत और घृणा से क्यों देखते हो?"
मुल्ला ने उत्तर दिया - "नहीं बेगम! यह सही नहीं है और मैं तुम्हें इसका प्रमाण भी दे सकता हूं। और इसका प्रमाण यह है कि मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम्हारी सास को अपनी सास से अधिक प्यार करता हूं।"
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हर कोई नायक है
एक दिन एक गणितज्ञ ने जीरो से लेकर नौ अंक तक की सभा आयोजित की। सभा में जीरो कहीं दिखायी नहीं पड़ रहा था। सभी ने उसकी तलाश की और अंततः उसे एक झाड़ी के पीछे छुपा हुआ पाया। अंक एक और सात उसे सभा में लेकर आये।
गणितज्ञ ने जीरो से पूछा - "तुम छुप क्यों रहे थे?"
जीरो से उत्तर दिया - "श्रीमान, मैं जीरो हूं। मेरा कोई मूल्य नहीं है। मैं इतना दुःखी हूं कि झाड़ी के पीछे छुप गया।"
गणितज्ञ ने एक पल विचार किया और तब अंक एक से कहा कि समूह के सामने खड़े हो जाओ। अंक एक की ओर इशारा करते हुए उसने पूछा - "इसका मूल्य क्या है?" सभी ने कहा - "एक"। इसके बाद उसने जीरो को एक के दाहिनी ओर खड़े होने को कहा। फिर उसने सबसे पूछा कि अब इनका क्या मल्य है? सभी ने कहा - "दस"। इसके बाद उसने एक के दाहिनी ओर कई जीरो बना दिए। जिससे उसका मूल्य इकाई अंक से बढ़कर दहाई, सैंकड़ा, हजार और लाख हो गया।
गणितज्ञ जीरो से बोला - "अब देखिये। अंक एक का अपने आप में अधिक मूल्य नहीं था परंतु जब तुम इसके साथ खड़े हो गए, इसका मूल्य बढ़कर कई गुना हो गया। तुमने अपना योगदान दिया और बहुमूल्य हो गए।"
उस दिन के बाद से जीरो ने अपनेआप को हीन नहीं समझा। वह यह सोचने लगा - "यदि मैं अपनी भूमिका का सर्वश्रेष्ठ तरीके से निर्वहन करूं तो कुछ सार्थक होगा। जब हम एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करते हैं तो हम सभी का मूल्य बढ़ता है।"
जब हम एक दूसरे के साथ कार्य करते हैं, तो बेहतर कार्य करते हैं।
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प्रार्थना 5
एक दिन एक मोची रब्बी के पास पहुँचा और अपनी व्यथा बताई.
मैं मोची का काम करता हूँ. मेरे ग्राहक गरीब मजदूर हैं. वे शाम को जब आते हैं तब उनके जूते चप्पल खराब रहते हैं. मैं उन्हें रात में ठीक करता हूँ. कई बार सुबह भी यह काम करना पड़ता है क्योंकि मजदूर सुबह सुबह काम पर जाते हैं. इस वजह से मैं सुबह व शाम को भगवान का ध्यान और पूजा नहीं कर पाता इससे मैं अपने आप को अपराधी मानता हूँ.
रब्बी ने कहा – यदि मैं भगवान होता तो मैं तुम्हारे कार्य को पूजा और प्रार्थना से ज्यादा अच्छा समझता.
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प्रार्थना 6
शाम को खेत से वापस आते समय गरीब किसान को अहसास हुआ कि आज तो वह अपनी आरती की किताब साथ लाना भूल गया था. चूंकि उसे घर लौटते अकसर देर हो जाती थी तो वह कहीं पर बीच में बैठ कर किताब से पढ़कर आरती गा लेता था.
चूंकि उसे आरती याद नहीं रहता था तो उसने बचपन में पढ़े स्वर और व्यंजनों यानी अक्षरों का पाठ पाँच बार किया और मन ही मन भगवान से बोला – भगवान इसमें से आरती वाले शब्द चुनकर अपनी आरती स्वीकार कर लो.
और चूंकि यह विचित्र प्रार्थना दिल से निकली थी. सीधे भगवान के पास पहुँची.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
मिलकर जीने का मोल है..
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