आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 93

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  आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 423 जाल एक बार जंगल का राजा शेर ब...

 

sunil handa story book stories from here and there in Hindi

आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ

संकलन – सुनील हांडा

अनुवाद – परितोष मालवीयरवि-रतलामी

423

जाल

एक बार जंगल का राजा शेर बहुत बीमार पड़ गया। वह बहुत कमजोर हो गया। उसकी दहाड़ बिल्ली की म्याँऊ की तरह हो गयी थी।

लोमड़ी को छोड़कर बाकी सभी जानवर शेर का हालचाल पूछने उसके पास आये। भेड़िया और लोमड़ी में पुरानी दुश्मनी थी। भेड़िये ने सोचा कि लोमड़ी से बदला लेने का यही सही वक्त है।

भेड़िए ने दबी हुयी आवाज़ में शेर से कहा -"हे जंगल के राजा! आपकी बीमारी की खबर सुनकर सभी जानवर दुःखी हैं, सिवाए लोमड़ी के। तभी तो सिर्फ लोमड़ी ही आपसे मिलने नहीं आयी।"

जैसे ही भेड़िए ने अपनी बात पूरी की, लोमड़ी वहां आ धमकी। उसने भेड़िए की बातें सुन लीं। वह बोली - " हे राजा, भेड़िया महोदय बिल्कुल सही फ़रमा रहे हैं। यह सत्य है कि मैं आपको देखने नहीं आयी। लेकिन किसी जानवर ने वह नहीं किया होगा, जो मैंने किया है। सभी जानवर यहाँ आपके पास आकर घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं, और मैं सभी जगह भटक कर आपके लिए उपचार की तलाश कर रही थी। और अंततः मैंने उपचार तलाश ही लिया।"

शेर ने कराहते हुए कहा - "प्रिय लोमड़ी! मुझे जल्द बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए?"

लोमड़ी ने उत्तर दिया - "यह बहुत ही सरल उपचार है। बस आपको एक भेड़िए को मारकर उसकी खाल लपेटनी है।"

यह सुनते ही भेड़िया सिर पर पैर रखकर भाग खड़ा हुआ। उसने तय कर लिया कि फिर कभी घटिया हरकत नहीं करेगा।

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424

हम मनुष्यों की जड़ें

जब एक नौजवान लड़के की दादी बीमार पड़ गयीं और चलने-फिरने में असमर्थ हो गयीं, तब उन्होंने उसे बुलाकर कहा कि वह उसके बगीचे में लगे पेड़-पौधों का ध्यान रखे ताकि वे मुरझा न जायें। उस लड़के ने वायदा किया कि वह बगीचे को ध्यान रखेगा।

एक माह के बाद जब दादी स्वस्थ और टहलने लायक हो गयीं, तो वे बगीचे में पहुँची। उन्होंने देखा कि बगीचे के कुछ पौधे सूखकर मर गए हैं और कई बुरी स्थिति में हैं। उन्होंने लड़के से कहा कि उसने अपना वायदा पूरा नहीं किया। लड़के ने रोते हुए कहा - "मैं तो रोज ही पत्तियों को पोछा करता था और पेड़ों की जड़ों में रोटी के टुकड़े डाला करता था, फिर भी वे सूख गए। इसमें मेरा क्या दोष है?"

दादी ने लड़के से कहा - "तुम्हें पेड़ की जड़ों में पानी डालना चाहिए था। पेड़ों में इतनी शक्ति होती है कि वे मिट्टी से भोजन प्राप्त कर लेते हैं और बढ़ते रहते हैं।"

लड़का विचार-मग्न हो गया। कुछ समय बाद उसने पूछा - "हम मनुष्यों की जड़ें कहाँ हैं?" दादी ने उत्तर दिया - "साहस और भुजाओं में हमारी जड़ें होती हैं। यदि इनको रोजाना पोषण नहीं मिलेगा तो हम जीवित नहीं रह सकते।" लड़के ने फैसला किया कि वह एक बड़ा नेता बनेगा और अपने समूह के साथियों को रोजाना पोषण देगा।

आगे चलकर यही लड़का माओ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

 

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168

राजकपूर की नीति

स्वर्गीय राजकपूर से एक बार कांग्रेस पार्टी के किसी बड़े ओहदेदार ने राज्य सभा सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया.

यह प्रस्ताव सुनकर राजकपूर बोले – “मैं संसद में मूर्ख का रोल करने के बजाए फ़िल्म में जोकर का रोल करना ज्यादा पसंद करूंगा.”

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169

पथ का रोड़ा

पुराने जमाने की बात है. एक बार एक राजा वेश बदल कर निकले और अपनी प्रजा की परीक्षा लेनी चाही.

राजपथ पर उन्होंने बीच सड़क में एक बड़ा सा पत्थर रख दिया और उसके नीचे एक बटुए में कुछ स्वर्ण मुद्राएं रख दीं और उसमें लिखा कि जो व्यक्ति इस राह के रोड़े को हटा देगा उसे इनाम स्वरूप यह स्वर्ण मुद्राएं राजा की तरफ से दी जाती हैं.

पत्थर रख कर राजा इंतजार करने लगे कि देखें कि इनाम का हकदार कौन होता है और इससे बड़ी बात यह कि राह के रोड़े को कौन हटाता है.

उस रास्ते से राज्य के अधिकारी, व्यापारी सब गुजरे. परंतु कई ने ध्यान नहीं दिया, कई ने उस पत्थर से किनारा करते हुए रास्ता पार किया और कई को उस पत्थर से ठोकर भी लगा और वे राजा और उनके राजकाज को लानत मलामत भेजते हुए आगे बढ़ गए.

राजा निराश हो चला था कि उसके राज्य में ऐसा कोई भला बंदा नहीं है जो इस बीच सड़क पर पड़े पत्थर को हटाने की सोचे भी.

राजा जाने वाला था ही कि इतने में एक किसान अपनी पीठ पर ताजा सब्जियाँ लाद कर आता दिखा. वह अपना माल मंडी में बेचने आया था. उसने उस पत्थर को बीच सड़क में देखा तो उसने पहले अपना बोझा एक किनारे पर रखा और फिर उस पत्थर को प्रयत्न से सड़क के एक किनारे कर दिया.

जाहिर है जब उसने उस पत्थर को हटाया तो नीचे वहाँ रखा उसका इनाम मिल गया. राह के रोड़े को हटाने का इनाम मिलता ही है.

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170

अपशकुनी कौन

एक राजा शिकार के लिए निकला तो महल से निकलते ही मुल्ला नसरूद्दीन पर उसकी नजर पड़ गई.

राजा ने इसे अपशकुन समझा और मुल्ला को चार कोड़े मारने के आदेश दे दिए कि जब राजा की सवारी निकल रही थी तो वह रास्ते में सामने क्यों आ गया.

परंतु उस दिन राजा के शिकार के लिए बहुत उम्दा रहा. ढेर शिकार मिले. राजा जब शिकार से वापस आया तो उसे मुल्ला की याद आई. उसने मुल्ला को बुलवा भेजा.

राजा ने मुल्ला को दिलासा दिलाते हुए कहा – “हम क्षमा चाहते हैं मुल्ला, हमने आपको देखने से दिन के लिए अपशकुन माना था, मगर आज का दिन तो भाग्यशाली रहा – हमें बढ़िया शिकार मिले.”

“मगर हुजूर, मेरा दिन तो बेहद अपशकुन वाला रहा. सुबह चार कोड़े खाए, दिन भर भूखा रहा और अभी मैं खाना खाने जा रहा था कि सिपाहियों ने हुक्म दिया कि राजा ने बुलाया है और मुझे भरी थाली छोड़कर आना पड़ा. मेरे लिए तो आपको देखना ही अपशकुन हो गया.” – मुल्ला ने जवाब दिया.

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171

सबकुछ

एडीसन एक बार गेस्टबुक में हस्ताक्षर कर रहे थे. वहाँ आखिरी कॉलम में लिखा था – आपकी रूचियाँ. जिसमें गेस्ट अपनी रूचियाँ या रुचि के विषय के बारे में लिखते थे.

एडीसन ने लिखा – सबकुछ.

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172

लामा और जनरल

तिब्बत में जब विदेशी सैनिकों का आक्रमण हुआ तो सिपाहियों के अत्याचार के किस्से सुन सुनकर एक गांव के लोग भय से पहले ही पलायन कर गए.

सैनिक जब गांव पहुँचे तो वह पूरा सुनसान मिला. एक स्थान पर एक लामा ध्यानस्थ अवस्था में सैनिकों को मिला. खबर जनरल तक पहुँची, तो वह उस लामा के पास पहुँचा और लामा पर चीखते हुए बोला – “तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम्हें मालूम नहीं मैं कौन हूँ? मैं पलक झपकते ही अभी तुम्हारा सिर कलम कर सकता हूँ.”

यह सुनकर लामा ने जवाब दिया – “तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम्हें मालूम नहीं मैं कौन हूँ? मैं पलक झपकते ही अभी अपना सिर कलम करवा सकता हूँ.”

यह सुनकर जनरल अवाक् रह गए. उन्होंने लामा को प्रणाम किया और उस गांव से अपने दल बल समेत वापस चले गए.

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173

चौथा बंदर

गांधी जी के तीन बंदर हैं – बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो और बुरा मत कहो.

परंतु एकलव्य के एक वरिष्ठ शिक्षक का कहना था – एक चौथा बंदर भी होना चाहिए.

बुरा मत सोचो.

बुरा करने की क्रिया और भावना बुरी सोच से ही आती है. यदि सोच सही होगी तो कहीं बुरा नहीं होगा.

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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)

COMMENTS

BLOGGER: 3
  1. सभी कहानियाँ बेहतरीन...
    मगर आजकल बच्चे कहानियां सुनते नहीं...ऐसी तो बिलकुल नहीं...
    या शायद हम सुनाते नहीं!!!
    बहुत शुक्रिया..

    जवाब देंहटाएं
  2. एक से बढ़ कर एक कहानियां...बहुत ही रोचक पोस्ट है आपका...हर बार कमेन्ट भले ना करता होऊं...पर पढता ज़रूर हूँ...

    जवाब देंहटाएं
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