आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 429 विशेषज...
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विशेषज्ञ कभी गलत नहीं हो सकते
एकबार, पता नहीं कैसे मुल्ला नसरुद्दीन की बेगम का नाम मतदाता सूची से नदारद हो गया। चुनाव नजदीक ही थे और उनकी बेगम वोट डालने को आतुर थीं लेकिन मतदाता सूची में उनका नाम नहीं था। अतः नसरुद्दीन अपनी बेगम को लेकर चुनाव आयुक्त के यहाँ पहुंचे। वहां जाकर पता चला कि उनका सिर्फ नाम ही नदारद नहीं है बल्कि वे मृत घोषित थीं। बेगम गुस्से से तमतमा गयीं क्योंकि नसरुद्दीन सारे मामले को बहुत हल्के में ले रहे थे। वह न तो गुस्से में थे न ही विचलित, जो कि उन्हें होना चाहिए था। आखिर उनकी बेगम को मृत घोषित करने की उनकी हिम्मत कैसे हुयी।
चुनाव आयुक्त के पास पहुंचकर बेगम बोलीं -"यह अच्छी बात नहीं है। मैं जिंदा हूँ! और मतदाता सूची में दर्ज है कि मैं मर गयीं हूं। आखिर यह सब क्या मचा रखा है?"
बेगम को गुस्से में भरा देख नसरुद्दीन बोले - "जरा ठहरो बेगम! तुम एक अधिकारी से कैसे झगड़ सकती हो? वे हमेशा सही होंगे। वे गलत कैसे हो सकते हैं? निश्चित रूप से वे हम लोगों से ज्यादा जानकार हैं। और तुम अनपढ़ महिला होकर एक महान अधिकारी से जबान चला रही हो? यदि उन्होंने लिखा है कि तुम मर गयी हो, तो तुम्हें मर जाना चाहिए।"
विशेषज्ञ कभी गलत नहीं हो सकते
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कुछ भी व्यर्थ नहीं करना चाहिए
राजा उदयन की रानी ने बौद्ध संघ को 500 चादरें दान कीं। आयुष्मान आनंद नामक भिक्षुक उन चादरों को ले जाने के लिए महल में आया। राजा ने उनका स्वागत किया और उनके वाहन पर चादरों को लदवाने का प्रबंध किया।
जब आनंद वहां से प्रस्थान करने लगे, तब राजा ने जिज्ञासा को शांत करने के लिए उनसे पूछा - "इतनी सारी चादरों का आप क्या करेंगे?"
आनंद ने उत्तर दिया - "जिन शिष्यों के वस्त्र फट गए हैं, इन चादरों से उनके लिए वस्त्र बनवा दिए जायेंगे।"
प्रश्नोत्तर सत्र थोड़ी देर और जारी रहा। राजा उदयन प्रश्न पूछते रहे और आनंद जवाब देते रहे।
राजा उदयन ने फिर पूछा - "शिष्यों के पुराने वस्त्रों का क्या होगा?"
"हम उनसे बैठने की चटाई बना लेगें।"
"और पुरानी चटाईयों का क्या करेंगे?"
"हम उन्हें अलग-अलग करके उनसे तकियों के कवर बना लेंगे।"
"पुराने तकियों के कवर का क्या करेंगे?"
"हम उनका पोछा बना लेंगे जो सफाई के काम आयेगा या उनको गद्दा भरने के काम में लायेंगे।"
"पुराने पोछों और गद्दों का क्या करेंगे?"
"हम उनका चूर्ण बनाकर लुगदी बना लेंगे जो दीवारों की चुनाई के काम आएगा।"
राजा उदयन बौद्ध संघों के वित्तीय प्रबंधन से पूरी तरह संतुष्ट हो गए और उन्होंने अपने राज्य में ऐसी ही वित्तीय प्रणाली को लागू करने का सबक सीखा। उन्होंने घोषणा की कि जहाँ तक संभव हो, कोई भी चीज व्यर्थ न की जाये और उसका किसी अन्य उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाए।
विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया चल रही है।
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