आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 419 सर्वश्रेष्ठ दान तीन भाईयों मे...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
419
सर्वश्रेष्ठ दान
तीन भाईयों में इस बात को लेकर बहस छिड़ गयी कि सर्वश्रेष्ठ दान कौन सा है? पहले ने कहा कि धन का दान ही सर्वश्रेष्ठ दान है, दूसरे ने कहा कि गौ-दान सर्वश्रेष्ठ दान है, तीसरे ने कहा कि भूमि-दान ही सर्वश्रेष्ठ दान है। निर्णय न हो पाने के कारण वे तीनों अपने पिता के पास पहुंचे।
पिता ने उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया। उन्होंने सबसे बड़े पुत्र को धन देकर रवाना कर दिया। वह पुत्र गली में पहुंचा और एक भिखारी को वह धन दान में दे दिया। इसी तरह उन्होंने दूसरे पुत्र को गाय दी। दूसरे पुत्र ने भी उसी भिखारी को गाय दान में दे दी। फिर तीसरा पुत्र भी उसी भिखारी को भूमि दान देकर लोट आया।
कुछ दिनों बाद पिता अपने तीनों पुत्रों के साथ उसी गली में टहल रहे थे जहां वह भिखारी प्रायः मिलता था। उन लोगों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वह अब भी भीख मांग रहा था। उस भिखारी ने गाय और भूमि बेचने के पश्चात प्राप्त हुआ पूरा पैसा मौजमस्ती में उड़ा दिया था। पिता ने समझाया - "वही दान सर्वश्रेष्ठ दान है जिसका सदुपयोग किया जा सके। ज्ञानदान ही सर्वश्रेष्ठ दान है।"
(एक बार विशाखापटनम में मैंने गुरू मूर्तिगारू से पूछा - "कौन सा दान सर्वश्रेष्ठ है?" तो उन्होंने उत्तर दिया - "वही दान सर्वश्रेष्ठ है जिसकी पाने वाले को उस समय सबसे अधिक आवश्यकता हो। और विद्यादान ही सर्वश्रेष्ठ दान है")
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यह रोना क्यों ?
एक माँ की तीन संतानें युद्ध में भाग लेने के लिए गयीं। कुछ दिन बाद यह खबर आयी कि पहला पुत्र युद्ध में मारा गया है।
माँ ने मुस्कराते हुए कहा - "वह भाग्यशाली है कि उसने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर किया है।" कुछ ही दिनों बाद दूसरा पुत्र भी युद्धभूमि में शहीद हो गया। माँ ने कहा - "मुझे ऐसे पुत्र की माँ होने का गर्व है जिसने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर किया हो।"
कुछ समय बाद उसका तीसरा पुत्र भी शहीद हो गया। इस बार जब उसने तीसरे पुत्र के निधन का समाचार सुना तो मुस्कराहट के साथ माँ की आँखों में आँसू भी थे। उनके पास में खड़े एक व्यक्ति ने कहा - "आखिर आपकी आँखों में आँसू आ ही गए?"
माँ ने कहा - "मेरी आँखों में आँसू इसलिए हैं क्योंकि मेरे प्यारे देश पर न्योछावर करने के लिए अब मेरे पास और पुत्र नहीं बचे हैं।"
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एक प्राचार्य का पत्र
एक स्कूल में एक नए प्राचार्य ने पदभार ग्रहण किया. पदभार ग्रहण करने के पश्चात उन्होंने तमाम शिक्षकों के नाम निम्न परिपत्र जारी किया :
मेरे प्रिय शिक्षक बंधु,
मैं एक युद्धबंदी यातना शिविर का बंदी रह चुका हूं. मैंने वह सब अत्याचार और दारूण दृश्य देखे हैं जो लोगों की कल्पना शक्ति से भी परे है.
शिक्षित इंजीनियरों ने गैस चैम्बर बनाए थे. प्रशिक्षित डॉक्टरों ने लोगों को तड़पा कर मारने वाले टीके ईजाद किए थे. प्रशिक्षित नर्सों ने नवजात शिशुओं को मौत के घाट उतारा था.
युवाओं, महिलाओं और बच्चों को हाई-स्कूल और कॉलेज पढ़े सैनिकों ने गोलियों से भूना था.
इसीलिए मैं शिक्षा को संदेह की दृष्टि से देखता हूँ.
मेरा निवेदन है कि अपने विद्यार्थियों को मनुष्यता, मानवता का पाठ पहले पढ़ाएं. आपकी मेहनत शिक्षित और प्रशिक्षित दानव और मनोरोगी बनाने में नहीं लगनी चाहिए.
पढ़ना लिखना तभी सफल है जब हमारे बच्चे मनुष्य बनें.
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संतोष का वरदान
भगवान विष्णु अपने एक भक्त की तपस्या से प्रसन्न हुए और उनको दर्शन देकर बोले – वत्स, कोई वरदान मांगो.
भक्त के दिमाग में तत्काल कोई खयाल नहीं आया. तो उसने भगवान से कहा कि वो सोचकर वरदान मांगेगा.
भक्त ने यह समस्या अपने मित्रों व रिश्तेदारों से साझा किया.
एक ने कहा – अमर होने का वरदान मांग लो.
दूसरे ने कहा – अमर होने का क्या फायदा. यदि बीमारी व तकलीफ झेलते रहे. तो अच्छा स्वास्थ्य मांगो.
तीसरे ने सुझाव दिया – अमरता या अच्छे स्वास्थ्य का अचार डालोगे यदि आपके पास पैसा नहीं हो? पैसा मांगो. पैसा.
इस तरह से हर कोई अपनी अपनी थ्योरी बताने लगा.
थक हार कर भक्त फिर से भगवान की शरण में गया और बोला – भगवान, मैं क्या वरदान मांगूं, यही मुझे समझ में नहीं आ रहा है. आप ही मुझ पर कृपा करें और समुचित वरदान दे दें.
भगवान मुस्कुराए और भक्त को संतोषी बने रहने का वरदान दे दिया.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
सभी शिक्षाप्रद कहानियां। वैस सच ही है ज्ञान का दान ही सर्वश्रेष्ठ है और संतोष सबसे बड़ा वरदान।
जवाब देंहटाएंबिना आवश्यकता के दान भी निरर्थक है..
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया
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