आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 415 अमीर एक बार एक अमीर व्यापारी ...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
415
अमीर
एक बार एक अमीर व्यापारी एक संन्यासी के आश्रम में पहुंचा। संन्यासी को प्रणाम करने के उपरांत उसने पूछा - "किस तरह से आध्यात्म मुझ जैसे सांसारिक व्यक्ति को सहायता प्रदान कर सकता है?"
संन्यासी ने कहा - "इससे तुम और अधिक अमीर हो जाओगे।"
ललचायी आँखों के साथ व्यापारी ने पूछा - "कैसे?"
संन्यासी ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया - "तुम्हें इच्छाओं से मुक्त होने की शिक्षा देकर।"
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416
कथाएं और दृष्टांत
एक गुरूजी अपने शिष्यों को कथाओं और दृष्टांतों के माध्यम से शिक्षा देते थे, जिसे उनके शिष्य खूब पसंद करते परंतु उन्हें कभी-कभी यह शिकायत भी होती कि गुरूजी गंभीर विषय पर व्याख्यान नहीं देते हैं।
गुरूजी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। शिष्यों की शिकायत पर वे कहते -"प्रिय शिष्यों! तुम लोगों का अब भी यह समझना बाकी है कि मनुष्यमात्र और सत्य के मध्य केवल कथा ही है।"
कुछ देर चुप रहने के बाद वे पुनः बोले - "कथाओं से घृणा मत करो। एक खोये हुए सिक्के को सिर्फ सस्ती मोमबत्ती के माध्यम से खोजा जा सकता है। सरल कथाओं के माध्यम से ही गंभीर सत्य प्राप्त किया जा सकता है।"
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किसका, कैसा ऋण
बादशाह सिकंदर लोधी के जमाने में जैन-उद्-दीन नामक प्रसिद्ध संत हुए थे. उनका मठ धनी था और संत दयालु थे. मठ का अधिकांश धन उन्होंने दीन दुखियों की सेवा सुश्रूषा में लगा दिया था.
समय बीतता गया और उनका मठ धन विहीन हो गया. एक दिन संत ने मठ में रखे कुछ कागजातों को छाना और उन्हें जलाने का हुक्म दिया. उनके एक शिष्य ने इन कागजातों को देखा तो पाया कि ये तो मठ द्वारा शहर के कई सेठों को दिए गए ऋण के कागजात हैं. यदि ये ऋण वसूल हो जाएं तो मठ फिर से धन्-धान्य से भरपूर हो सकता है. शिष्य ने यह बात संत को बताई.
संत ने कहा – “जब मठ धनी था तब जिन लोगों ने मठ से रुपए उधार लिए थे, तब भी मुझे यह प्रत्याशा नहीं थी कि यह धन मठ को वापस मिलेगा. उन लोगों ने तो महज विश्वास बनाए रखने के नाम पर और शासकीय जरूरतों के मुताबिक ये कागजात सौंप दिए थे. अब मठ गरीब हो गया है. ऐसी स्थिति में हमारे मन में लालच आ सकता है और बिलकुल वही बात आ सकती है जैसा कि तुमने कहा है. इसीलिए मैं इन कागजातों को जला रहा हूँ ताकि मैं इस तरह की संभावना को पूरी तरह समाप्त कर सकूं.”
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एक रुपए में महल को कैसे भरोगे
एक बुद्धिमान राजा के तीन पुत्र थे. राजा वृद्ध हो चला तो उसने अपने तीनों पुत्रों में से किसी एक को राज्य का उत्तराधिकारी बनाने का सोचा. वह पारंपरिक रूप से ज्येष्ठ पुत्र को राजा बनाने के विरुद्ध था. वह चाहता था कि बुद्धिमान पुत्र राजा बने ताकि राज्य का कल्याण हो.
तो राजा ने इसके लिए अपने पुत्रों की परीक्षा लेने के लिए एक दिन अपने पास बुलाया और प्रत्येक को एक एक रूपए देकर कहा कि यह रुपया ले जाओ और उससे कुछ खरीद कर महल को पूरा भर दो.
ज्येष्ठ पुत्र ने सोचा कि पिता शायद पागल हो गया है. एक रूपए में आजकल क्या आता है जिससे महल को भरा जा सकता है! उसने वह रुपया एक भिखारी को दे दिया.
मंझले ने सोचा कि एक रूपए में तो महल को पूरा भरने लायक कबाड़ ही मिलेगा. वह कबाड़ी बाजार पहुँचा और सबसे सस्ता कबाड़ खरीद कर ले आया. फिर भी उससे महल का सबसे छोटा कमरा ही भर पाया.
कनिष्ठ पुत्र ने थोड़ा विचार किया और बाजार चला गया. जब वह वापस आया तो उसके हाथ में अगरबत्ती का पैकेट था.
उसने उन अगरबत्तियों को जलाया, और महल के हर कमरे में एक एक अगरबत्ती लगा दी. पूरा महल सुगंध और दैवीय माहौल से भर गया.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
इच्छायें कम होने से भी अमीरी बढ़ती है...
हटाएंयह खरा सच है कि सरल कथाओं से ही गंभीर सत्य को जाना जा सकता है।
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