भई, ये बातें बड़े-बड़े पंडित और शोध-कर्ता कह रहे हैं, तब तो मानना पड़ेगा! जय हो! (सलमान और उसके फ़िल्म की नहीं!)
भई, ये बातें बड़े-बड़े पंडित और शोध-कर्ता कह रहे हैं, तब तो मानना पड़ेगा!
जय हो!
(सलमान और उसके फ़िल्म की नहीं!)
भई, ये बातें बड़े-बड़े पंडित और शोध-कर्ता कह रहे हैं, तब तो मानना पड़ेगा! जय हो! (सलमान और उसके फ़िल्म की नहीं!)
भई, ये बातें बड़े-बड़े पंडित और शोध-कर्ता कह रहे हैं, तब तो मानना पड़ेगा!
जय हो!
(सलमान और उसके फ़िल्म की नहीं!)
यह तो होना ही है.किसी भी कार्य के निरंतर चलने में समरसता नहीं रहती. फैफबूक भी अब अपना चारम खोती जा रही हैं. और आये दिन होने वाले अपराधिक कृत्यों ने भी इसे लांछित कर दिया है.
जवाब देंहटाएंपता नहीं २०१७ में देखेंगे।
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग जिन्दाबाद :)
जवाब देंहटाएंजय हो !
जवाब देंहटाएंबात सत्य है ..
जवाब देंहटाएंजय हो ..
मुझे नहीं लगता। पुराने ऊब कर भागेंगे, नये जुड़ते चले जायेंगे।
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