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आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 477 हीरे की खरीद एक धनी डच व्यापारी...

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आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ

संकलन – सुनील हांडा

अनुवाद – परितोष मालवीयरवि-रतलामी

477

हीरे की खरीद

एक धनी डच व्यापारी हीरों के अपने संग्रह को और अधिक समृद्ध करने के लिए एक विशेष प्रकार का हीरा खरीदना चाहता था। न्यूयॉर्क के एक प्रसिद्ध डीलर ने ऐसे हीरे को देखने और खरीदने के लिए उसे आमंत्रित किया। वह व्यापारी तत्काल न्यूयॉर्क रवाना हो गया। उस विक्रेता ने अपने सबसे अनुभवी और विशेषज्ञ सेल्समैन को हीरा बेचने के काम पर लगाया। सेल्समैने द्वारा हीरे की गुणवत्ता और खूबसूरती के संबंध में समस्त जानकारी प्राप्त होने के बाद भी व्यापारी ने हीरा न खरीदने का निर्णय लिया।

इसके पहले कि वह दुकान से बाहर जाता, दुकान के मालिक ने उससे कहा - "अगर आपके पास समय हो तो मैं उन हीरों को फिर से दिखाता हूं।" ग्राहक तैयार हो गया।

दुकान के मालिक ने सेल्समैन द्वारा कही गयी किसी भी बात को नहीं दुहराया। उसने हीरे को हाथ में लेकर देखा और सिर्फ इसकी खूबसूरती और विलक्षणता के बारे में बताया कि किस तरह यह अन्य हीरों से अलग है।

ग्राहक ने तत्काल वह हीरा खरीद लिया। हीरे को अपनी शर्ट की जेब में रखते हुए वह दुकान के मालिक से बोला - "मुझे आश्चर्य इस बात का है कि सेल्समैन के असफल होने के बाद भी आप यह हीरा मुझे बेचने में कैसे सफल हो गये?"

दुकान के मालिक ने उत्तर दिया - "वह सेल्समैन अपने काम में सर्वश्रेष्ठ है। उसे हीरों के बारे में अन्य लोगों की तुलना में अधिक जानकारी है। मैं उसके ज्ञान और दक्षता के कारण उसे मोटी तनख्वाह देता हूं। मैं खुशी-खुशी उसकी तनख्वाह दोगुनी करने को तैयार हूं यदि वह उन बातों को जान ले जो मैं जानता हूं। वह हीरों को पहचानता है और मैं हीरों को प्यार करता हूं।"

(किसी भी व्यापार को शुरू करने के पहले यह सबसे जरूरी है कि

आपको उस काम से लगाव हो।)

478

गाँव का सरपंच

भारत के गांवों में मुखिया को सरपंच कहा जाता है। इंद्रपाल एक गांव का सरपंच था। वह बहुत बुजुर्ग हो गया था और उसका स्वास्थ्य भी गिर रहा था। इसलिए उसने गांव के बुजुर्गों से कहा कि वह सरपंच के पद से सेवानिवृत्त होना चाहता है। नए सरपंच के नाम पर विचार हुआ। अंत में दो युवकों करन और महिपाल के नाम पर आम सहमति बनी। वे दोनों ही उस गांव के होनहार युवक थे। काफी सोच-विचार करने के बाद भी गांव के बुजुर्ग इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए कि इनमें से किसे सरपंच चुना जाये। तब बुजुर्ग सरपंच ने उन दोनों की परीक्षा लेने का निर्णय लिया।

वह गांव दोनों ओर से मुख्य राजमार्ग से एक मील की दूरी पर था। गांव के सरपंच ने करन और महिपाल को बराबर धन देकर कहा कि तुम दोनों को गांव को दोनों ओर से राजमार्ग से जोड़ने के लिए कच्चे मार्ग का निर्माण करना है।

करन अगले ही दिन से काम में जुट गया। उसने एक ठेकेदार नियुक्त किया जो अपने साथ बड़ी संख्या में श्रमिकों को लेकर आया। उन्होंने सड़क के मार्ग में आने वाली झाड़ियों और पेड़ों का सफाया किया तथा कीचड़ को दबाकर मिट्टी को एक सा कर दिया। उनका मार्ग गांव के कबड्डी मैंदान के बीचोंबीच से गुजर गया। बेहतर सड़क के निर्माण के लिए धन कम पड़ गया। दो ही दिन में ठेकेदार ने करन को बताया कि सड़क बनकर तैयार हो गयी है।

दूसरी ओर महिपाल ने कुछ ही श्रमिकों को इस काम के लिए नियुक्त किया। उसने अपने साथ इस कार्य में हाथ बटाने के लिए गांव के नवयुवकों से श्रमदान की अपील की। सड़क आधी ही बनकर तैयार हुयी थी कि उसके समक्ष पुराना बरगद का पेड़ आ गया। महिपाल ने कहा -"हम इस पेड़ को नहीं काटेंगे और हम इस सड़क को पेड़ के किनारे से ही थोड़ा सा मोड़ लेंगे।" सभी नवयुवकों ने सड़क की मिट्टी को एक समान करने में अपना योगदान दिया तथा सड़क के दोनों ओर मेड़ भी बना दी। जब सड़क पूरी बनकर तैयार हो गयी तो महिपाल ने पाया कि कुछ धन अभी भी शेष है। वह शहतूत के 100 छोटे पेड़ खरीद कर लाया जिसे उसने नवयुवकों के साथ मिलकर दोनों ओर सड़क के किनारे लगा दिया। फिर भी थोड़ा सा धन बचा रह गया। तब महिपाल ने उस बचे हुए पैसों की मिठाई खरीद कर अपने उत्साही नवयुवकों की टीम में बांट दिया।

सड़क के पूरा होने का समाचार गांव के सरपंच को दिया गया। सरपंच दोनों सड़कों का मुआयना करने गए। वह करन के कार्य की उत्तमता से बहुत प्रभावित हुआ। उसके द्वारा बनवायी गयी सड़क बिल्कुल पेशेवर तरीके से कुशलतापूर्वक बनायी गयी थी।

बाद में वह दूसरी सड़क को भी देखने गया। अपने सरपंच की राय सुनने के लिए वहां सभी नवयुवक मौजूद थे। उन्होंने सरपंच को अपने द्वारा किया गया वृक्षारोपण दिखाया। बरगद के पेड़ को न काटने और उसके बगल से सड़क को मोड़ देने के कार्य से सरपंच विशेष रूप से प्रभावित हुए।

उसने नए सरपंच के रूप में महिपाल के नाम की घोषणा की और कहा -"किसी नेता का सबसे महत्त्वपूर्ण गुण उसके द्वारा कराए गए कार्य का उत्तम होना नहीं बल्कि कार्य के प्रति उसका समर्पणभाव, विश्ववसनीयता और समूह भावना पैदा करना है। महिपाल इन सभी नवयुवकों का विश्वास जीतने में सफल रहा, इसीलिए सभी ने उसके कार्य का अनुसरण किया। वह कार्य के प्रति ईमानदार रहा और उसने एक टीम का गठन करने में पसीना बहाया। नेता अकेले ही नेता नहीं होता, वह व्यक्तियों का नेता होता है और इसीलिए वह और उसकी बात भरोसे के लायक होती है। केवल ऐसे ही गुणोंवाला व्यक्ति नेता बनने के योग्य होता है।"

(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. अपने काम से लगाव अत्यन्त आवश्यक है

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