आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 483 जीसस का वकील के साथ संवाद - एक सच...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
483
जीसस का वकील के साथ संवाद - एक सच्चा धार्मिक
ज्यादातर समय क्राइस्ट ने जीसस को अपने आप से अलग रखा क्योंकि वे अपने मुखबिर की बातों पर भरोसा कर सकते थे। वे जानते थे कि उनका गुप्तचर भरोसे के काबिल है क्योंकि समय - समय पर वे अन्य लोगों से भी जीसस की बातों और गतिविधियों के बारे में जानकारी लेते रहते थे और इस तरह अपने गुप्तचर के संदेश की पड़ताल करते थे। उन्होंने अपने गुप्तचर के संदेशों को प्रायः सटीक पाया।
लेकिन जब क्राइस्ट ने सुना कि जीसस अपने नगर में उपदेश देने जा रहे हैं और यह कि वे कभी-कभी सभा में सबसे पीछे की ओर बैठ चुपके से अपने बारे में बातें सुनते थे। एक अवसर पर जब उन्होंने ऐसा किया तो यह देखा कि एक वकील जीसस से प्रश्न कर रहा है। कानून के जानकार व्यक्ति ने अपने सारे दांवपेंच जीसस के सामने प्रयोग किए परंतु जीसस उनमें से ज्यादातर के उत्तर देने में सक्षम थे, यद्यपि क्राइस्ट के अनुसार उनमें से कुछ तरीके सर्वथा अनुचित थे। बहस के दौरान प्रायः कहानियां सुनाने से अतिरिक्त कानूनी तत्व शामिल होते हैं। लोगों की भावनाओं में हेरफेर करके उन्हें अपनी बात से सहमत करना बहस में अतिरिक्त प्रभाव तो पैदा कर सकता है किंतु कानूनी दृष्टि से अनुचित है।
इस बार वकील ने उनसे कहा - "गुरूजी, आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिये?"
क्राइस्ट ने ध्यान से जीसस को यह उत्तर देते हुए सुना - "तुम वकील हो। है ना? अच्छा पहले मुझे यह बताओ कि इस बारे में कानून क्या कहता है?"
"पूर्ण समर्पित होकर तन, मन, धन से ईश्वर से प्रेम करो और अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो जैसा स्वयं से करते हो।"
यह सुनकर जीसस बोले - "ये हुई न बात, तुम बिल्कुल ठीक समझे। तुम कानून समझते हो। यही करो, इससे तुम्हें आंतरिक शांति प्राप्त होगी।"
लेकिन आखिर वह व्यक्ति वकील था और वह यह साबित करना चाहता था कि उसके पास सभी बातों के लिए प्रश्न हैं। इसलिए उसने पूछा - "ओह, लेकिन मुझे यह तो बताने की कृपा करें कि मेरा पड़ोसी कौन है?"
इसके उत्तर में जीसस ने यह कहानी सुनायी -
"एक बार की बात है। तुम्हारी ही तरह का एक यहूदी व्यक्ति येरूशलम से जेरिको जा रहा था। बीच रास्ते में डकैत उसके ऊपर टूट पड़े। डकैतों ने उसकी जमकर पिटायी लगायी और उसके पास मौजूद सारा माल लूट लिया। बाद में उसे सड़क किनारे ही अधमरा छोड़ के चले गए।
उस व्यस्त सड़क पर कुछ देर बाद वहां से एक पादरी गुजरे। उन्होंने खून से लथपथ उस व्यक्ति को एक झलक देखा और मुंह फेर लिया। उन्होंने वहां न रुकने का फैसला किया। कुछ देर बाद वहां से एक पुजारी गुजरा और उसने भी पचड़े में न पड़ने का निर्णय लिया और जल्दी से वहां से खिसक गया।
लेकिन इसके बाद एक सच्चा धार्मिक व्यक्ति वहां से गुजरा। जैसे ही उसने घायल पड़े व्यक्ति को देखा, मदद के लिए रुक गया। उसने उसके घावों को विसंक्रमित करने के लिए उनपर शराब डाली और जख्मों से राहत देने के लिए तेल की मालिश की। उसने उसे सहारा देकर अपने गधे पर बैठाया और एक सराय तक ले गया। उसने सराय के मालिक को उस व्यक्ति की देखभाल के लिए धन दिया और कहा - "यदि तुम्हें और धन की आवश्यकता पड़े तो मैं अपनी अगली यात्रा में दे दूंगा परंतु इसकी देखभाल में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।"
अब तुम्हारे लिए मेरा प्रश्न यह है कि पादरी, पुजारी और उस धार्मिक व्यक्ति में से कौन उस घायल व्यक्ति का पड़ोसी था?
वकील केवल यही उत्तर दे सका - "वह व्यक्ति जिसने उसकी मदद की थी।"
जीसस ने उससे कहा - "तुम्हें सिर्फ यही जानने की जरूरत है। अब तुम जाओ और ऐसा ही करो।"
क्राइस्ट ने इस कहानी को यह जानते हुए भी लिख लिया कि अपनी समस्त अनुचित बातों के बावजूद लोग इस कहानी को कानूनी परिभाषा की तुलना में बहुत दिनों तक याद रखेंगे।
(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
प्रेरक प्रसंग..
जवाब देंहटाएंMAJA AYA
जवाब देंहटाएंबहुत असरदार है ये कहानी ।
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