आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 481 सुखी वैवाहिक जीवन का रहस्य एक...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
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सुखी वैवाहिक जीवन का रहस्य
एक दंपति का वैवाहिक जीवन 60 वर्ष से अधिक हो चुका था। उन्होंने एक - दूसरे से कभी कोई बात नहीं छुपायी। वे सभी मसलों पर आपस में बात किया करते थे। उनके बीच में कभी कोई रहस्य नहीं था, सिवाय एक जूते के डिब्बे के, जो उस वृद्ध महिला की अल्मारी में ऊपर की ओर रखा रहता था। महिला ने अपने पति को यह कह रखा था कि वह कभी भी उस डिब्बे को खोलकर न देखे।
पति ने भी इतने वर्ष उस डिब्बे की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। एक दिन वह बुजुर्ग महिला बहुत बीमार पड़ गयी। डॉक्टरों ने बताया कि उसके बचने की उम्मीद बहुत कम है। एक - दूसरे के मध्य सभी शेष विषयों की जानकारी लेने के उद्देश्य से पति उस जूते के डिब्बे बिस्तर पर पड़ी महिला के पास लेकर पहुंचा।
महिला ने भी माना कि जूते के डिब्बे के रहस्य से पर्दा उठाने का यही सही वक्त है। जब पति ने उस डिब्बे को खोला तो उसमें कढ़ाईकारी की हुयीं दो गुड़ियां और $ 95000/- मिले।
पति ने इसके बारे में जानना चाहा। महिला ने उत्तर दिया - "जब हमारी शादी हुयी थी तो मेरी दादी ने मुझे सुखी वैवाहिक जीवन के रहस्य के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था कि मैं कभी भी तुमसे बहस न करूं। यदि मुझे कभी तुम्हारे ऊपर गुस्सा आये तो मैं चुप रहूं और अपना ध्यान गुड़िया को सजाने के लिए की जाने वाली कढ़ाईकारी पर लगा दूं।"
उस वृद्ध पुरुष की आँखों में खुशी के आंसू छलक आये। डिब्बे में सिर्फ दो गुड़िया थीं। पति यह सोचकर भी खुश था कि इतने वर्षों के लंबे वैवाहिक जीवन में उसने सिर्फ दो बार ही अपनी पत्नी का दिल दुखाया था।
"लेकिन प्रिये! यह तो हुयी गुड़िया की बात। फिर इतने सारे पैसों का क्या रहस्य है? ये कहाँ से आये?"
पत्नी ने उत्तर दिया - "ओह! ये पैसा मैंने उन गुड़ियों को बेचकर कमाया है।"
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किसकी समस्या ?
एक व्यक्ति को यह आशंका हुयी कि उसकी पत्नी कुछ ऊँचा सुनने लगी है। उसे लगा कि उसकी पत्नी को सुनने की मशीन लगवाने की आवश्यकता है। वह असमंजस में पड़ गया कि पत्नी को इस संबंध में कैसे बताया जाए। अतः उसने अपने पारिवारिक डॉक्टर से संपर्क किया।
डॉक्टर ने उसे पत्नी की बहरापन जांचने के लिए आसान घरेलू उपाय बताया - "तुम 40 फुट दूर से खड़े होकर अपनी पत्नी से उस तरह बात करो जैसे उसके नजदीक ही खड़े हो, और देखों कि वह तुम्हें सुन पा रही है या नहीं। यदि नहीं तो 30 फुट की दूरी से बात करो, फिर 20 फुट और इसी तरह पास आते जाओ जब तक कि तुम्हें जबाव न मिले।"
उसी शाम उसकी पत्नी किचन मे खाना पका रही थी और वह दूसरे कमरे में था। वह अपने आप से बोला - "मैं लगभग 40 फुट दूर हूं। देखते हैं क्या होता है?" फिर उसने सामान्य स्वर में अपनी पत्नी से पूछा - "अजी सुनती हो! आज क्या बना रही हो?" कोई उत्तर नहीं मिला! तब पतिदेव किचन की ओर बढ़े। किचन से लगभग 30 फुट की दूरी से उसने फिर पूछा -"अजी सुनती हो! आज क्या बना रही हो?" अभी भी कोई उत्तर नहीं मिला।
फिर वह और नजदीक स्थित डाइनिंग रूम तक पहुंच कर बोला - "अजी आज क्या बना रही हो?" फिर कोई उत्तर नहीं मिला। फिर वह किचन के दरवाजे तक यानि पत्नी से 10 फुट की दूरी तक पहुंच कर बोला - "अजी आज क्या बना रही हो?" तब भी कोई उत्तर नहीं मिला। तब वह पत्नी के ठीक पीछे जाकर चिल्लाया - "आज क्या बना रही हो????"
पत्नी ने उत्तर दिया - "जयेश, मैं पांचवी बार बता रही हूं कि मैं खिचड़ी बना रही हूं।"
जरूरी नहीं कि दूसरों के साथ ही कोई समस्या हो, जैसा कि हम मानते हैं। ये हमारे साथ भी हो सकती है।
(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
क्रोध को सह कर उसे सकारात्मकता में लगाना आ जाये तो जीवन सँवर जायेगा।
जवाब देंहटाएंHi,
जवाब देंहटाएंAll you are doing good job. long back i read this story in "Sarvotam". After long time, this recall all memories.
thanks.