आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 413 कभी मत बदलो , इस्तीफा दो और मुक...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
413
कभी मत बदलो, इस्तीफा दो और मुक्ति पाओ
मुल्ला नसरुद्दीन एक ऑफिस में काम करने लगे। हर कोई उससे नाराज़ रहता। वह कोई काम नहीं करता था और सारा समय सोता ही रहता था। ऑफिस के लोग उससे इतने तंग आ चुके थे कि धीरे-धीरे उन्होंने उसके ऊपर चिल्लाना शुरू कर दिया। जल्द ही ऑफिस के बॉस ने भी नसरुद्दीन को डाँट पिला दी। लेकिन उसमें कोई परिवर्तन नहीं आया।
एक दिन नसरुद्दीन रोज-रोज के तानों, आलोचना और डाँट से तंग आ गया और उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देना उसके लिए अपनेआप को बदलने से ज्यादा आसान था।(इस दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो बदलना नहीं चाहते इसलिए वे इस्तीफा देकर भाग खड़े होते हैं।)
नसरुद्दीन ने इस्तीफा दे दिया। सभी लोग बहुत खुश हो गए। बॉस तो अत्यधिक खुश होकर बोला - "चूंकि नसरुद्दीन ने अपने आप ही इस्तीफा दिया है इसलिए हम सभी को उदारता दिखाते हुए उसे विदाई पार्टी देनी चाहिए। हम सभी उससे इतने नाखुश थे कि इसके अलावा और कोई चारा नहीं था।"
इसलिए नसरुद्दीन के सम्मान में एक बेहतरीन रात्रिभोज का आयोजन किया गया जिसमें तरह-तरह के व्यंजन, मिष्ठान और संगीत आदि की व्यवस्था थी। इस समारोह में ऑफिस के सभी लोग उपस्थित थे। यह सोचते हुए कि नसरुद्दीन तो जा ही रहा है, कई लोगों ने नसरुद्दीन के सम्मान में अच्छी-अच्छी बातें बोली। नसरुद्दीन आश्चर्यचकित थे।
तभी नसरुद्दीन उठ खड़े हुए। अपनी आँखों में आँसू भरकर बोले - "मुझे नहीं पता था कि सभी लोगों के मन में मेरे प्रति इतना प्रेम और सम्मान है। मुझे इतना अधिक प्रेम और कहाँ मिलेगा? मैंने निर्णय लिया है कि आप सभी को छोड़कर कभी नहीं जाऊंगा। मैं अपना इस्तीफा वापस ले रहा हूं!"
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गुरू के प्रति राजकुमारों की भक्ति
ख़लीफ़ा मामू के मन में विद्वानों के प्रति आदर सम्मान था। उन्होंने अपने दोनों पुत्रों को शिक्षित करने के लिए एक गुरूजी को नियुक्त किया। एक दिन जब कक्षा समाप्त हो गयी और गुरूजी अपने घर जाने को खड़े हुए, दोनों राजकुमार दौड़कर उनके जुते उठा लाये। दोनों एक साथ उनके पास पहुंचे थे अतः उनके मध्य यह विवाद हो गया कि गुरूजी को जूता पहनाने का नेक काम कोन करेगा। अंत में यह निर्णय हुआ कि दोनों राजकुमार एक - एक जूता पहनायेंगे। उन्होंने ऐसा ही किया।
जब ख़लीफ़ाने इसके बारे में सुना तो उन्होंने गुरूजी से पूछा -"इस संसार में सबसे अधिक प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति कौन है?"
गुरूजी ने उत्तर दिया - "मुस्लिमों के नेता ख़लीफ़ा से ज्यादा इस संसार में और कौन प्रतिष्ठित और सम्मानित हो सकता है?"
ख़लीफ़ा मामू ने कहा - "नहीं सबसे अधिक प्रतिष्ठित और सम्मानित वह है जिसे जूता पहनाने के लिए ख़लीफ़ा के दोनों पुत्र आपस में झगड़ पड़े हों।"
गुरूजी ने कहा - "पहले मैं उन्हें ऐसा करने से रोकने वाला था, फिर मेरे मन में यह विचार आया कि मैं उनकी श्रृद्धा के आड़े क्यों आऊँ।"
ख़लीफ़ा मामू ने कहा - "यदि आपने ऐसा किया होता तो मैं बहुत नाराज़ होता। उनका यह कार्य उन्हें अपमानित नहीं करता बल्कि यह दर्शाता है कि दोनों राजकुमार कितने भले और सभ्य हैं। राजा, पिता और गुरू के प्रति सेवा का भाव रखने से प्रतिष्ठा गिरने के बजाए बढ़ती है।"
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राजा का मालिक कौन?
एक बार राजा की मुलाकात दूसरे देश के दरवेश से हुई. जैसी की परंपरा थी, दूसरे देश के अतिथि को राजा सौहार्द स्वरूप कुछ भेंट करता था. राजा ने दरवेश से पूछा - “मांगो, तुम क्या चाहते हो”
दरवेश ने जवाब दिया - “यह उचित नहीं होगा कि मैं अपने गुलाम से कुछ मांगूं!”
राजा को क्रोध आ गया कि यह अदना सा दरवेश उसे अपना गुलाम कहे. उसने दरवेश से कहा – “तुम राजा से इस तरह कैसे बोल सकते हो? स्पष्ट करो नहीं तो तुम्हारा सिर कलम करवा दिया जाएगा.”
“मेरे पास एक गुलाम है जो कि आपका स्वामी है. इस लिहाज से आप भी तो मेरे गुलाम हुए!” दरवेश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.
“कौन है मेरा स्वामी?” राजा ने पूछा.
“सिंहासन खोने का भय” – दरवेश ने जवाब दिया.
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चूहे का दिल
अति-प्रसिद्ध, अति-प्राचीन भारतीय लोककथा है यह. चूहा सदैव बिल्लियों से आतंकित रहता था. वह एक साधु के पास पहुँचा और उसे अपनी व्यथा बताई. साधु ने चूहे को बिल्ली बना दिया. बिल्ली कुत्तों से आतंकित रहने लगी. बिल्ली बनी चूहा साधु के पास पहुँचा और अपनी व्यथा बताई. साधु ने उसे कुत्ता बना दिया. कुत्ता शेरों से डरने लगा. जाहिर है, साधु ने उसे शेर बना दिया. परंतु शेर शिकारियों से डरने लगा और साधु की शरण में फिर से जा पहुँचा.
यह देख साधु ने उसे फिर से चूहा बना दिया और कहा – “कोई कुछ भी कर ले, परंतु तुम्हारी समस्या दूर नहीं होगी क्योंकि तुम्हारा दिल तो चूहे का है!”
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
वाह, प्रेम तो अन्त में ही झलकता है..
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