आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 301 वर्तमान में जियो एक कंजूस व्यक...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
301
वर्तमान में जियो
एक कंजूस व्यक्ति ने जीवन भर कंजूसी करके पांच लाख दीनार एकत्रित कर लिये। इस एकत्रित धन की बदौलत वह एक साल तक बिना कोई काम किए चैन की बंशी बजाने के स्वप्न देखने लगा। इसके पहले कि वह उस धन को निवेश करने का इरादा कर पाता, यमदूत ने उसके दरवाज़े पर दस्तक दे दी।
उस व्यक्ति ने यमदूत से कुछ समय देने की प्रार्थना की परंतु यमदूत टस से मस नहीं हुआ। उसने याचना की - "मुझे तीन दिन की ज़िंदगी दे दो, मैं तुम्हें अपना आधा धन दे दूँगा।" पर यमदूत ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
उस व्यक्ति ने फिर प्रार्थना की - "मैं आपसे एक दिन की ज़िंदगी की भीख मांगता हूं। इसके बदले तुम मेरी वर्षों की मेहनत से जोड़ा गया पूरा धन ले लो।" पर यमदूत फिर भी अडिग रहा।
अपनी तमाम अनुनय-विनय के बाद उसे यमदूत से सिर्फ इतनी मोहलत मिली कि वह एक संदेश लिख सके। उस व्यक्ति ने अपने संदेश में लिखा - "जिस किसी को भी यह संदेश मिले, उससे मैं सिर्फ इतना कहूँगा कि वह जीवनभर सिर्फ संपत्ति जोड़ने की फिराक में न रहे। ज़िंदगी का एक - एक पल पूरी तरह से जियो। मेरे पांच लाख दीनार भी मेरे लिए एक घंटे का समय नहीं खरीद सके।"
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सतत जागरूकता
ज़ैन विद्या सीखने वाले छात्र को तब तक इसके अध्यापन की अनुमति नहीं है जब तक कि वह कम से कम 10 वर्ष तक अपने गुरू के सानिध्य में न रहे।
टैनो नामक एक छात्र 10 वर्ष का कठिन परिश्रम करके 'गुरू' का दर्ज़ा प्राप्त करने में सफल हो गया। एक दिन वह अपने गुरू नैनिन से मिलने गया। उस दिन तेज बारिश हो रही थी, इसलिये टैनो ने लकड़ी की खड़ाऊँ पहनी तथा अपने साथ छाता लेकर गया।
जैसे ही उसने गुरू जी के कक्ष में प्रवेश किया, उन्होंने उससे पूछा -"लगता है तुमने अपनी खड़ाऊँ और छाता बाहर दालान में ही छोड़ दिया है। तुम मुझे यह बताओ कि तुमने अपना छाता बांयी ओर रखा है या खड़ाऊँ?"
टैनो को इस बारे में कुछ याद नहीं था अतः वह उत्तर न दे पाने के कारण शर्मिंदा हो गया। उसे यह एहसास भी हो गया कि वह लगातार जागरूक नहीं रह सका। वह पुनः नैनिन का शिष्य बन गया और सतत जागरूकता के अभ्यास के लिए पुनः 10 वर्षों तक श्रम किया।
"ऐसा व्यक्ति जो लगातार जागरूक रहता है तथा हर पल में पूरी तरह
शरीक होता है, वही गुरू कहलाने के योग्य है।"
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दुनिया मेरी नजर में
गांव के बाहर बने चौपाल पर उस गांव का एक निवासी रस्सियाँ बुनता हुआ बैठा था.
इतने में एक यात्री वहाँ आया और उस निवासी से जानना चाहा कि इस गांव में किस किस्म के व्यक्ति रहते हैं. यात्री ने आगे बताया कि वो अपने वर्तमान गांव को छोड़ कर नई जगह बसना चाहता है.
गांव के निवासी ने पूछा – तुम्हारे वर्तमान गांव में किस किस्म के लोग रहते हैं?
वे सभी लालची, कूढ़ मगज, निष्ठुर और असभ्य हैं – यात्री ने बताया.
इस गांव के निवासी भी ठीक ऐसे ही हैं – गांव के उस निवासी ने खुलासा किया.
संयोगवश थोड़ी देर के बाद एक अन्य यात्री वहाँ पहुँचा और उसने भी उस निवासी से ठीक यही बात पूछी. क्योंकि वह भी अपना गांव छोड़कर नए गांव में बसना चाहता था.
गांव के उस निवासी ने यात्री से वही प्रश्न पूछा कि उसके वर्तमान गांव में किस किस्म के लोग रहते हैं.
यात्री ने बताया – हमारे गांव के निवासी दयालु, बुद्धिमान, सभ्य, भद्र अच्छे हैं.
उस निवासी ने कहा – हमारे गांव में भी सभी ऐसे ही हैं.
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फल खाने की अधीरता
आम के मौसम में बग़ीचे में बंदरों का खूब उत्पात रहता था. बहुत सारा फल बंदर खा जाते थे. इस बार मालिक ने बंदरों को दूर रखने के लिए कुछ चौकीदार रख लिए सुरक्षा के कड़े उपाय अपना लिए.
बंदरों को मीठे आम का स्वाद मिलना मुश्किल हो गया. वे अपने सरदार के पास गए और उनसे अपनी समस्या के बारे में बताया.
बंदरों के सरदार ने कहा कि हम भी इनसानों की तरह आम के बगीचे लगाएंगे, और अपनी मेहनत का फल बिना किसी रोकटोक के खाएंगे.
बंदरों ने एक बढ़िया जगह तलाशा और खूब सारे अलग अलग किस्मों के आम की गुठलियाँ एकत्र किया और बड़े जतन से उन्हें बो दिया.
एक दिन बीता, दो दिन बीते बंदर सुबह शाम उस स्थान पर जा कर देखते. तीसरे दिन भी जब उन्हें जमीन में कोई हलचल दिखाई नहीं दी तो उन्होंने पूरी जमीन फिर से खोद डाली और गुठलियों को देखा कि उनमें से पेड़ क्यों निकल नहीं रहे हैं. इससे गुठलियों में हो रहे अंकुरण खराब हो गए.
कुछ पाने के लिए कुछ समय तो देना पड़ता है!
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
हर दिन जीना है, वर्तमान में रह कर।
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