आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 33

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  आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 299 उत्कृष्टता को साझा करना एक किस...

 

आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ

संकलन – सुनील हांडा

अनुवाद – परितोष मालवीयरवि-रतलामी

299

उत्कृष्टता को साझा करना

एक किसान को हमेशा राज्य स्तरीय मेले में सर्वश्रेष्ठ मक्का उत्पादन के लिए पुरस्कार मिलता था। उसकी यह आदत थी कि वह अपने आसपास के किसानों को मक्के के सबसे अच्छे बीज बांट देता था।

जब उससे इसका कारण पूछा गया तो उसने कहा - "यह मेरे ही हित की बात है। हवा अपने साथ पराग कणों को उड़ा कर लाती है। यदि मेरे आसपास के किसान घटिया दर्जे के बीज का प्रयोग करेंगे तो इससे मेरी फसल को भी नुक्सान पहुँचेगा। इसीलिए मैं चाहता हूँ कि वे बेहतरीन गुणवत्ता के बीजों का प्रयोग करें।"

जो कुछ भी आप दूसरों को देते हैं, अंततः वही आपको वापस मिलता है।

अतः यह आपके ही स्वार्थ की बात है कि आप स्वार्थरहित बनें।

300

मैंने देखने से मना कर दिया!

मूक और बधिर संस्था के दो छात्रों में आपस में झगड़ा हो गया। जब उस संस्था का कर्मचारी उनके बीच के विवाद के निपटारे के लिए आया तो उसने देखा कि एक मूक-बधिर दूसरे की ओर पीठ करके खड़ा है और ठहाके लगा रहा है।

उसने पहले व्यक्ति से अंगुलियों के इशारों से पूछा - "आखिर माजरा क्या है? तुम्हारा साथी इतना गुस्से में क्यों लग रहा है?"

उस व्यक्ति ने इशारा करते हुए उत्तर दिया - "दरअसल वह मुझे कसम दिलाना चाहता है पर मैंने देखने से ही मना कर दिया।"

--.

52

दर्प का सत्य

एक नगर में एक तीरंदाज रहता था. उसने तीरंदाजी में इतनी निपुणता हासिल कर ली थी कि वह निशाने पर लगे तीर पर फिर से निशाना लगा कर उसे बीच में से दो-फाड़ कर देता था. अपनी कौशलता पर उसे घमंड हो आया और वह अपने आपको अपने गुरु से भी ऊँचा समझने लगा.

शिष्य का यह अभिमान गुरु तक पहुँचना ही था. गुरु ने एक दिन अपने शिष्य से यात्रा पर चलने को कहा. रास्ते में एक नदी पड़ती थी, जिस पर पुल नहीं था. एक बड़े से वृक्ष को काटकर पुल का रूप दे दिया गया था. नदी किनारे पर पहुँचते ही गुरु ने शिष्य से रुकने को कहा और तीर धनुष लेकर वृक्ष के तने के बने पुल के सहारे नदी की बीच धारा के ऊपर पहुँच गए. और वहाँ से किनारे एक वृक्ष पर निशाना साध कर तीर चलाया. तीर वृक्ष के तने पर धंस गया. गुरु ने फिर से निशाना लगाकर तीर चलाया और वृक्ष पर धंसे तीर को बीच में से दो-फाड़ कर दिया.

गुरु ने शिष्य से ऐसा ही करने को कहा. शिष्य पुल रूपी वृक्ष के तने के बीच में पहुँचा. नीचे नदी की तेज धारा बह रही थी. थोड़े से ही असंतुलन से नीचे गिर जाने और धारा में बह जाने का खतरा था. शिष्य ने तीर चलाया. वह वृक्ष के तने में जा धंसा. अब शिष्य ने उस धंसे तीर को दो-फाड़ करने के लिए दोबारा निशाना लगाया. मगर तीर निशाने पर लगने के बजाए वृक्ष के तने से कई इंच बाहर निकल कर जा गिरा. दरअसल नीचे बहती नदी की तेज धारा और लकड़ी के तने से बने संकरे फिसलन युक्त पुल की वजह से भयभीत हो उसके कदम लड़खड़ा रहे थे और इस वजह से उसका निशाना चूक गया था. जबकि गुरु ने अपने भय पर पहले ही नियंत्रण पा लिया था.

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53

त्रुटियों पर ध्यान

कुछ बच्चे बरसाती नदी के ऊपर बने पुलिया पर खेल रहे थे. वे कंकड़ों से नीचे बहती हुई नदी में डूबते-उतराते छोटी मोटी चीजों पर निशाना लगा रहे थे. उनमें से किसी का निशाना नहीं सध रहा था.

एक स्वामी जी उधर से गुजर रहे थे. उन्हें बच्चों के इस खेल को देखने में आनंद आ रहा था. वे बड़ी देर से उनके खेल को देख रहे थे. एक बच्चे का ध्यान उनकी तरफ गया तो उसने स्वामी जी से कहा – महाराज! हमारा निशाना तो नहीं लग रहा. क्या आप निशाना लगा सकते हैं?

स्वामी जी मुस्कुराए. बोले - मैं कोशिश कर सकता हूं.

उन्होंने कुछ पत्थर लिए और बहते लक्ष्यों पर निशाना साधा. हर पत्थर निशाने पर लगा. बच्चे आश्चर्यचकित थे. उन्होंने स्वामी से पूछा कि ऐसा कैसे किया.

स्वामी जी ने बताया – मैं आप सबको निशाना लगाते देख रहा था. मैं यह ध्यान से देख रहा था कि आप सब कहाँ गलतियाँ कर रहे हैं. निशाना लगाते समय मैंने वे गलतियाँ नहीं कीं.

--

(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)

COMMENTS

BLOGGER: 5
  1. यदि उत्तम जीवन बिताना है तो पूरा पारितन्त्र उत्तम रखना पड़ेगा।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रेरक कहानियाँ। पढ़ने के बाद सुख देती हैं।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर! प्रेरक! बधिर कि बघिर? यह एटिकेट में नहीं है लेकिन ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया रवि भाई।
    सुंदर अनुवाद...

    जवाब देंहटाएं
  5. चंदन जी आपने "बघिर" शब्द पर सही टिप्पणी की है। सही शब्द "बधिर" है! अतः मैंने त्रुटि को सुधार लिया है तथा रवि जी को सही वर्तनी वाली कहानी प्रेषित कर दी है। भविष्य में भी आपसे इस तरह की टिप्पणी आमंत्रित हैं। छोटी - छोटी त्रुटियों के बारे में बताते रहना चाहिए। प्रायः लोग संकोच में सही बातें भी बताने से कतराते हैं। धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
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छींटे और बौछारें: आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 33
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