आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 465 ईश्वर के लिए कोई स्थान नहीं ए...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
465
ईश्वर के लिए कोई स्थान नहीं
एक सज्जन और सम्मानित वृद्ध ने एक दिन यह निश्चय किया कि वह अपने घर के नजदीक स्थित चर्च की सदस्यता ग्रहण करेगा। उसने उस पुराने तौरतरीकों वाले चर्च के पादरी को बुलाया एवं अपनी इच्छा व्यक्त की।
पादरी ने अलगाव दिखाते हुए कहा - "मेरे प्रिय सज्जन, मुझे नहीं लगता कि आप चर्च की सदस्यता ग्रहण करके खुश होंगे, यद्यपि मैं आपके नेक इरादों की सराहना करता हूं। बल्कि आपको चर्च में मेरे लोगों के बीच आकर अच्छा नहीं लगेगा। मुझे भय है कि वहां आकर आपको शर्मिंदगी महसूस होगी और शायद वे लोग भी असहज हो जायेंगे। मैं आपको यह सलाह दूंगा कि आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करें। ईश्वर आपको सही राह दिखाये।"
एक सप्ताह बाद उस वृद्ध सज्जन की पादरी से राह चलते फिर मुलाकात हो गयी। उन्होंने पादरी को रोकते हुए कहा - "आदरणीय महोदय, मैंने आपकी सलाह मानते हुए अपने फैसले पर विचार किया। अंततः ईश्वर ने मुझे एक संदेश भेजा। ईश्वर ने मुझसे कहा कि मैं चर्च की सदस्यता ग्रहण करने के चक्कर में न पड़ूं। फिर वे बोले कि वे स्वयं भी कई वर्ष से चर्च में जाने का प्रयास कर रहे हैं परंतु अब तक सफल नहीं हो पाये।
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पापी
दस चीनी किसान खेत में काम कर रहे थे कि अचानक आकाश काले बादलों से घिर गया। जोर - जोर से बिजली कड़कने लगी और जोरदार बारिश होने लग गयी। अपनी लंबी टोपियों को थामे हुये सभी किसानों ने पास ही स्थित एक पुराने मंदिर के खंडहर में शरण ली।
बार - बार बिजली गरज रही थी और भीषण गर्जना से हर बार उस पुराने खंडहर की दीवारें हिल जातीं जिसमें किसानों ने शरण ली थी।
भय से कांपते हुए एक किसान बोला - "शायद ईश्वर हमसे नाराज़ है।"
दूसरे ने पूछा - "क्यों?"
भय से कांपते हुए तीसरे किसान ने कहा - "जरूर हमारे बीच कोई घोर पापी है। हमें जल्दी से उस पापी को ढ़ूंढ़कर बाहर कर देना चाहिए अन्यथा हम सभी मारे जायेंगे।"
चौथा किसान बोला - "मेरे पास एक योजना है। चलो हम सभी लोग अपनी टोपी खिड़की से बाहर लहराये। ईश्वर ही पापी का चयन कर लेगा।"
अतः उन सभी ने अपनी टोपियाँ खिड़की से बाहर लहरा दीं। तत्काल बिजली कड़की और एक टोपी राख में बदल गयी। वह टोपी एक अधबूढ़े किसान की थी जिसने अब तक एक भी शब्द नहीं बोला था। वह अपने साथियों से रहम की भीख मांगने लगा।
वह विनती करते हुए बोला - "मेरे घर में एक पत्नी, तीन बच्चे और बूढ़े माता-पिता हैं। यदि मैं नहीं रहूंगा तो उनका क्या होगा?"
लेकिन किसी ने भी उसके ऊपर दया नहीं की और उसे धक्के मारते हुए मंदिर से बाहर निकाल दिया। लड़खड़ाते हुए उस किसान ने भागकर पास ही के एक पेड़ के नीचे शरण ली।
मुश्किल से वह उस पेड़ के नीचे पहुंच ही पाया था कि फिर से बिजली कड़की और उस मंदिर पर गिरी जहां बाकी सभी किसान मौजूद थे।
अब तक उन सभी की जान केवल उसी किसान के पुण्य प्रताप से बची हुयी थी जिसे उन्होंने निकाल बाहर कर दिया था।
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प्रार्थना और जूता
नसरूद्दीन मजार पर गया और जूता पहन कर ही दुआ मांगने लगा.
वह नक्काशीदार चमरौंधे जूते पहना था जिसमें बढ़िया आवाज आ रही थी और उस पर काम की गई जरी की चमक कौंध रही थी.
वहीं मंडरा रहे एक फोकटिया छाप आदमी की नजर नसरुद्दीन के जूतों पर पड़ी. उसे लगा कि काश यह जूता उसके पास होता. जूते पर हाथ साफ करने की गरज से वो नसरुद्दीन के पास गया और उसके कान में धीरे से बोला –
“जूते पहन कर प्रार्थना करने से, दुआ मांगने से ईश्वर हमारी प्रार्थना नहीं सुनता.”
“मेरी प्रार्थना न पहुंचे तो भी कोई बात नहीं, कम से कम मेरे जूते मेरे पास तो रहेंगे.” – नसरूद्दीन का उत्तर था.
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ज्ञान का राजसी मार्ग
जब यूक्लिड अपने एक कठिन ज्यामितीय प्रमेय को अलेक्सांद्रिया के राजा टॉल्मी को समझा रहा था तो राजा की समझ में कुछ आ नहीं रहा था.
राजा टॉल्मी ने यूक्लिड से कहा – क्या कोई छोटा, सरल तरीका नहीं है तुम्हारे प्रमेय को सीखने का?
इस पर यूक्लिड ने उत्तर दिया – महोदय, इस देश में आवागमन के लिए दो तरह के रास्ते हैं. एक तो आम जनता के लिए लंबा, उबाऊ, कांटों, गड्ढों और पत्थरों भरा रास्ता और दूसरा शानदार, आसान रास्ता राजसी परिवार के लोगों के लिए. परंतु ज्यामिती में कोई राजसी रास्ता नहीं है. सभी को एक ही रास्ते से जाना होगा. चाहे वो राजा हो या रंक!
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सही ताले की ग़लत चाबी
अमीर जमींदार के घर में मुल्ला लंबे समय से काम कर रहा था. 11 वर्षों तक निरंतर काम करने के बाद एक दिन मुल्ला जमींदार से बोला – “अब मैं भर पाया. मैं अब यहाँ काम नहीं करूंगा. मैं यहाँ काम करके बोर हो गया. मैं काम छोड़कर जाना चाहता हूँ. वैसे भी आप मुझ पर भरोसा ही नहीं करते!”
जमींदार को झटका लगा. बोला – “भरोसा नहीं करते? क्या कह रहे हो मुल्ला! मैं तुम्हें पिछले 11 वर्षों से अपने छोटे भाई सा सम्मान दे रहा हूँ. और घर की चाबियाँ यहीं टेबल पर तुम्हारे सामने पड़ी रहती हैं और तुम कहते हो कि मैं तुम पर भरोसा नहीं करता!”
“भरोसे की बात तो छोड़ ही दो,” मुल्ला ने आगे कहा – “इनमें से कोई भी चाबी तिजोरी में नहीं लगती.”
हमारे पास भी बहुत सी चाबियाँ नहीं हैं जो कहीं नहीं लगतीं?
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सेंसरशिप
सेंसरशिप के विरोध में अपना मत दर्ज करवाने एक प्रतिनिधि मंडल गवर्नर से मिलने गया और उनसे मिलकर अपना पक्ष रखा.
गवर्नर ने तीखे स्वर में प्रतिनिधि मंडल से कहा – “आपको पता नहीं है कि आजकल प्रेस (press) कितना खतरनाक हो गया है.”
इस पर किसी ने टिप्पणी ली – “सिर्फ सप्रेस्ड (supressed) शब्द ही खतरनाक हैं.”
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एक परिपूर्ण दुनिया
मुल्ला भीड़ भरे बाजार में पहुँचा और एक कोने पर खड़ा होकर भाषण झाड़ने लगा.
थोड़ी ही देर में अच्छी खासी भीड़ एकत्र हो गई.
वो भाषण दे रहा था – “क्रांति होगी तो हमारी दुनिया परिपूर्ण हो जाएगी, परफेक्ट हो जाएगी. क्रांति होगी तो सभी के पास कारें होंगी. क्रांति होगी तो सभी के पास मोबाइल होगा. क्रांति होगी तो रहने के लिए सभी के पास घर होगा...”
इतने में भीड़ में से कोई विरोध में चिल्लाया – “मुझे न कार चाहिए न मोबाइल और न घर!”
मुल्ला का भाषण जारी था – “क्रांति होगी तो विरोध में बोलने वाले ऐसे आदमी भी न रहेंगे...”
यदि आप परिपूर्ण, परफ़ेक्ट दुनिया चाहते हैं तो वहाँ से आपको मनुष्यों को रफादफा करना होगा.
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सुझाव
एक दिन मुल्ला नसरूद्दीन एक अमीर सेठ के पास गया और कुछ रुपए उधार मांगे.
“तुम्हें रुपया क्यों चाहिए?”
“मुझे एक हाथी खरीदना है.”
“यदि तुम्हारे पास पैसा नहीं है, तुम उधारी के पैसे से हाथी खरीद रहे हो तो तुम हाथी को चारा कैसे खिलाओगे?”
“मैं उधारी मांग रहा हूँ, सुझाव नहीं!”
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
ईश्वर की चयन की विधि सर्वथा अलग है।
हटाएंआसपास बिखरी हुई शानदार कहानियां। वास्तव में शानदार है। आपका प्रयास अति सराहनीय है।
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