पितृ दिवस पर मियाँ मरफ़ी

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मरफ़ी के पिताओं के नियम आप चाहें कितने बड़े हो जाएँ, आप अपने पिता के लिए हमेशा वही नाक सुड़कते हुए बच्चे ही होते हैं. जब आपके पिता ...

मरफ़ी के पिताओं के नियम

  • आप चाहें कितने बड़े हो जाएँ, आप अपने पिता के लिए हमेशा वही नाक सुड़कते हुए बच्चे ही होते हैं.
  • जब आपके पिता आपसे कहते हैं ‘नहीं’, तो इसका अर्थ होता है – अपनी मम्मी से जाकर पूछो.
  • पिता जो कहते हैं, वही नियम होता है, परंतु सिर्फ बच्चों के वोट देने लायक उम्र होने तक.
  • पिता परिपूर्ण होते हैं, समस्याएँ बच्चों के साथ होती हैं.
  • वैसे तो बहुत से विकल्प होते हैं, परंतु पिता का कहा ही अंतिम होता है.
  • यदि आपके पिता खामोश रहते हैं – तो इसका अर्थ है कि वे कोई प्लान कर रहे होते हैं. यदि वे खर्राटे भर रहे होते हैं तो समझें वह प्लान कामयाब हो गया है.
  • अपने पिता से हमेशा सहमत रहें. फिर देखें वे यह कैसे कहते हैं – मैंने तुम्हें पहले ही कहा था!
  • यदि आपको अपने पिता की पूर्ण सहमति हासिल हो गई है तो इसका मतलब है कि वे बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं.
  • आप अपनी माता को उल्लू बनाने की कोशिश कर सकते हैं, परंतु पिता को नहीं – वो तो ऐसे स्टंट दसियों बार पहले ही आजमा कर फेल हो चुके होते हैं.
  • बहस में जीत पिताओं की ही होती है – दूसरे तरीके से भी तर्क उनके ही होते हैं.
  • पिताओं द्वारा तय किए गए नियम-कानूनों के कुछ अपवाद भी होते हैं, परंतु वे भी पिताओं द्वारा बनाए गए होते हैं.
  • आप अपने पिता से ज्यादा अनुभवी कभी भी नहीं हो सकते हैं.
  • आपके पिता आपकी गलतियों को माफ कर सकते हैं परंतु इसका ये मतलब नहीं कि आप उन्हें दोहराएं.
  • पिता ऐसे न्यायाधीश हैं जो बिना सबूत के सज़ा सुना सकते हैं.
  • आप भले ही अपने पिता के दिशा-निर्देशों के बगैर चलने लायक बड़े हो गए हों, परंतु यह बात उन्हें भूले से भी न बताएं.
  • अपने पिता को आप किसी भी समय डिस्टर्ब कर सकते हैं – परंतु यह संतुष्टि कर लें कि कहीं क्रिकेट मैच तो नहीं चल रहा.
  • घर पर टीवी सब देख सकते हैं, परंतु उसके रिमोट पर अधिकार पिता का होता है.
  • आप कुछ लोगों को हमेशा के लिए उल्लू बना सकते हैं, कुछ लोगों को कुछ समय के लिए, परंतु अपने पिता को कभी नहीं. वे इस तरह की सफल-असफल कोशिशें अपने जमाने में कर परिपक्व हो चुके होते हैं.
  • आप अपने पिता से कभी ये न कहें कि करने के लिए कुछ नहीं है. वे कुछ न कुछ नया काम आपको पकड़ा ही देंगे.
  • उपलब्धि हमेशा आपके पिता के सौजन्य से हासिल होती है, असफलता में आपका और सिर्फ आपका योगदान होता है.
  • पिता द्वारा सुझाया तरीका ही सर्वश्रेष्ठ होता है. यदि आपको विश्वास नहीं होता तो  जरा उन्हें पूछ देखें.
  • जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे आप अपने आपको अपने पिता का ज्यादा प्यारा, दुलारा बच्चा समझने लगते हैं.
  • यदि आप समझते हैं कि आप अपने पिता से कुछ छुपा सकते हैं, तो याद कीजिए, किसने आपके पोतड़े बदलने में मदद की है.
  • आप चाहे जो भी करें उसे आपके पिता की आलोचना मिल सकती है – कुछ भी नहीं करने पर भी.
  • पिता की वे सलाहें जो आपने अनदेखा की हुई होती हैं, वे हमेशा ही सर्वोत्तम सलाहें होती हैं.

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COMMENTS

BLOGGER: 5
  1. वाह! वाह!! वाह!!
    जय पिता, जय मरफी।

    जवाब देंहटाएं
  2. पिता दिवस पर शानदार नियम। पिता दिवस मुबारक हो।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामी9:26 am

    मैं तो मर्फी का एक ही नियम जानता था,
    यदि किसी काम करने में गलती हो सकती है तो वह हो कर रहेगी। If a thing can go wrong then it will go wrong.

    जवाब देंहटाएं
  4. मार्फी के नियम सद ही मजेदार रहे है.

    घर पर टीवी सब देख सकते हैं, परंतु उसके रिमोट पर अधिकार पिता का होता है.

    क्या सचमुच? :)

    जवाब देंहटाएं
  5. आह! वाह-क्या नियम लाये हैं ऐन पितृ दिवस पर. :)

    जवाब देंहटाएं
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