आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 375 नसरुद्दीन और अल्लाह की मर्ज़ी...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
375
नसरुद्दीन और अल्लाह की मर्ज़ी
एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति ने किसी बारे में अपनी राय व्यक्ति करते हुए कहा - "जैसी अल्लाह की मर्ज़ी!"
यह सुनकर मुल्ला नसरुद्दीन तपाक से बोले - "वैसे भी हर मामले में अल्लाह की ही मर्ज़ी चलती है!"
उस व्यक्ति ने पूछा - "नसरुद्दीन! तुम यह कैसे सिद्ध कर सकते हो?"
नसरुद्दीन ने उत्तर दिया - "बहुत सरल है। यदि हर मामले में अल्लाह की मर्ज़ी न चल रही होती तो कभी ऐसा भी हो सकता है कि मेरी मर्ज़ी चलने लग जाए। है ना?"
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376
अपंग हाथ
एक बार फू शांग ने चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस से पूछा - "आखिर तुम किस तरह के संत हो क्योंकि तुम कहते हो कि येन हुई तुमसे ज्यादा स्पष्टवादी है? चीजों को समझाने में चुआन-म्यू-ज़ू तुमसे ज्यादा श्रेष्ठ है?चंग यू तुमसे ज्यादा साहसी है? और चुआन-सुन तुमसे ज्यादा गरिमापूर्ण है?"
तुरंत उत्तर प्राप्त करने की उत्सुकता में फू शांग चटाई के किनारे तक पहुंच गया और गिरते-गिरते बचा। और बोला - "यदि ये बात सत्य है तो ये चारों किस तरह तुम्हारे शिष्य हैं?"
कन्फ्यूशियस ने उत्तर दिया -"जहां हो वहीं खड़े रहो। मैं तुम्हें बताता हूं। येन हुई मुझसे ज्यादा स्पष्टवादी है परंतु वह लचीला होना नहीं जानता। चीजों को समझाने में चुआन-म्यू-ज़ू मुझसे ज्यादा श्रेष्ठ है परंतु वह हां और ना में सरल उत्तर देना नहीं जानता। चंग यू बहुत साहसी है परंतु वह नहीं जानता कि कब सावधान होना है। चुआन-सुन जानता है कि कैसे गरिमापूर्ण रहा जाये परंतु वह यह नहीं जानता कि कैसे विनम्र हुआ जाए। इसीलिए ये चारों लोग खुशी-खुशी मेरे शिष्य हैं।"
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377
छत टपकना
एक बार महात्मा गांधी रेल यात्रा पर थे। यात्रा के दौरान ही उनके डिब्बे की छत टपकने लग गयी। तभी एक रेल कर्मचारी गांधी जी के पास आया और बोला - "बापू आप मेरे साथ आयें। मैं आपको दूसरे डिब्बे में ले चलता हूं जहाँ आप आराम से यात्रा कर सकते हैं।"
गांधी जी ने उससे पूछा - "और इसका क्या होगा। क्या अन्य लोग इस डिब्बे में बैठे रहेंगे? और क्या उन्हें इस टपकन से कष्ट नहीं होगा? इससे तो अच्छा यह होगा कि मैं यहीं बैठा रहूं और दूसरे यात्रियों को कष्ट से बचाऊं।"
रेल कर्मचारी के पास कोई जबाब नहीं था। वह बोला - "बापू यदि मैं आपके लिए कुछ कर सकता हूं तो कृपया बतायें। यह मेरे लिए प्रसन्नता की बात होगी।"
गांधी जी ने कहा - "तुम्हारा कार्य सभी यात्रियों के आराम का प्रबंध करना है। नौजवान, अपना कर्तव्य प्रसन्नतापूर्वक करो। यही मेरे प्रति तुम्हारी सर्वश्रेष्ठ सेवा होगी।"
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378
मछली के लिए बंदर का मोक्ष
एक यात्री ने जब एक बंदर को पानी में से मछली निकालकर पेड़ के नीचे रखते हुए देखा तो उससे पूछा - "इस धरती पर तुम क्या कर रहे हो?"
बंदर ने उत्तर दिया - "मैं इसे डूबने से बचा रहा हूं।"
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
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