आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 291 शेर और गधा एक बार एक शेर और गध...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
291
शेर और गधा
एक बार एक शेर और गधा साथ-साथ शिकार पर जाने को राजी हो गए। कुछ समय बाद वे एक गुफा के पास पहुँचे जहाँ जंगली भेड़ों का झुण्ड घास चर रहा था। शेर गुफा के द्वार पर घात लगाकर बैठ गया जबकि गधा गुफा में प्रवेश कर गया। गुफा में पहुँच कर उसने दुलत्ती मारना और रेंकना प्रारंभ कर दिया जिससे भेड़े डर के मारे गुफा से बाहर को भागीं।
जब शेर ने उनमें से कुछ भेड़ों को पकड़ लिया तो गधा बाहर आया और उसने शेर से यह पूछा कि वह उसके वीरतापूर्ण प्रदर्शन के बारे में क्या राय रखता है ?
शेर ने कहा - "अरे मैं भी तुमसे डर गया होता। वो तो अच्छा है कि मुझे पता था कि तुम "गधे' हो ।'
"कूटनीति द्वारा गुलामों की उपयोगिता भी बढ़ जाती है।'
292
विरोध
बार-बार होने वाली आलोचनाओं से व्यथित एक सामाजिक कार्यकर्ता से उसके गुरू ने कहा - "आलोचकों के शब्दों को ध्यान से सुनो। वे उस बात को बताते हैं जो तुम्हारे मित्र तुमसे छुपाते हैं।'
लेकिन उन्होंने यह भी कहा - "आलोचकों द्वारा की गई बातों से कभी निराश मत होना।'
"कोई भी मूर्ति किसी आलोचक के सम्मान में नहीं बनायी जाती।
मूर्तियाँ तो आलोचना के लिये बनायी जाती हैं।'
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संसदीय हास-परिहास
एक बार सांसद पीलू मोदी पर लोकसभा अध्यक्ष के अनादर का मामला चला कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष की तरफ पीठ फेर दिया था. मोदी जी ने, जो शारीरिक रूप से भारी भरकम थे, अपना बचाव कुछ यूँ किया – महोदय, मेरा न तो आगा है न पीछा. मैं तो बस गोल-मटोल हूं.
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भय बिन होय न प्रीति गुसाईं
मर्यादा पुरुषोत्तम राम लंका विजय के लिए समुद्र के किनारे सेना समेत पहुँचे. उन्होंने समुद्र देव से रास्ता देने का निवेदन किया.
राम ने एक दिन इंतजार किया, दो दिन इंतजार किया और फिर तीसरे दिन भी जब समुद्र देव ने उनके निवेदन को अनसुना कर दिया तो उन्हें भी क्रोध आ गया और उन्होंने अपने धनुष की प्रत्यंचा पर तीर लगा कर खींचा कि समुद्र का सारा पानी अपने तीर से सुखा डालेंगे.
समुद्र देव डर कर थरथर कांपते हुए प्रकट हुए और हाथ जोड़कर बोले – भगवन्, मुझे क्षमा करें. आप ऐसा अनर्थ न करें. मैं आपसे अनुनय करता हूँ कि आप मेरे सीने पर पुल बना लें, और लंका विजय हासिल करें.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
रोचक प्रसंग।
जवाब देंहटाएंमूर्ति और विरोध...प्रेरक।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। पीलू मोदी वाला किस्सा सुनकर गांधीजी और सरदार पटेल का किस्सा याद आ गया। एक बार गांधीजी सरदार पटेल व अन्य कुछ नेताओं के साथ जेल में बंद थे। गांधीजी प्रतिदिन नींबू पानी का इस्तेमाल करते थे और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते थे। उनके तथा अन्य नेताओं के लिए जेल में नींबू भिजवाये जाते थे। एक बार जब नींबू बहुत महंगे हो गये, तो बापू ने सुझाव दिया कि नींबू की जगह इमली इस्तेमाल की जाये। सरदार पटेल को इमली का स्वाद पसंद न था इसलिए उन्होंने प्रतिवाद करते हुए कहा, ''बापू, इमली हड्डियों को गला देती है।'' बापू ने कहा,''पर जमनालाल बजाज जी तो रोज इस्तेमाल करते हैं।'' सरदार पटेल ने जमनालाल जी के भारी-भरकम डील-डौल की ओर संकेत करते हुए कहा, ''बापू, उनकी हड्डियों तक वह पहुँच कहां पाती है?''
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