आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 289 संसार की सबसे बहुमूल्य वस्तु ची...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
289
संसार की सबसे बहुमूल्य वस्तु
चीनी गुरू सोज़ेन से उनके एक छात्र ने पूछा - "संसार की सबसे बहुमूल्य वस्तु कौन सी है?"
गुरू ने उत्तर दिया - "मरी हुई बिल्ली की सिर।"
छात्र ने अचंभित होते हुए पूछा - "मरी हुई बिल्ली का सिर आखिर कैसे सबसे बहुमूल्य हो सकता है?"
गुरू सोज़ेन ने उत्तर दिया - "क्योंकि कोई उसका मूल्य नहीं बता सकता।"
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290
बात पलटना
एक दिन गुस्से से भरा मुल्ला नसरुद्दीन अपने पड़ोसी के घर पहुंचा और बोला - "तुम्हारे सांड ने मेरी गाय पर हमला कर उसे घायल कर दिया दिया है, और मैं मुआवज़ा पाने का हक़दार हूँ।"
पड़ोसी को भी गुस्सा आ गया और वह बोला - "मुझसे मुआवज़ा मांगने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? जानवर की करतूत के लिए किसी आदमी को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?"
नसरुद्दीन बोले - "जी हाँ, आप बिल्कुल सही फरमा रहे हैं। लेकिन शायद मुझसे भी कहने में कुछ गल्ती हो गई है। मैं फिर से बताता हूँ। दरअसल, मेरे सांड ने आपकी गाय को घायल कर दिया है। लेकिन कोई बात नहीं, अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि किसकी गाय थी और किसका सांड। "
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43
ब्रह्मज्ञान
एक बार एक भिखारीनुमा व्यक्ति अरस्तू के पास गया और उनसे ब्रह्मज्ञान मांगने लगा.
अरस्तू ने उसे सिर से लेकर पैर तक देखा और कहा – “अपने कपड़े साफ करो, और रोज नहाओ-धोओ. अपने बालों को कटवाओ और कंघी करो...गलतियाँ करो, मगर उन्हें दोहराओ नहीं...अपनी गलतियों से सीखो. वास्तविक तपस्या तो अपने आप में झांकना और अपनी गलतियों से सीखना ही है.”
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44
मुफ़्त के गधे
नसरूद्दीन गधे बेचने का कारोबार करता था. वो साप्ताहिक बाजार में गधे लेकर आता और अपने गधे बेहद कम कीमत में बेचता जिससे उसके सारे गधे बिक जाते और वो ठीकठाक मुनाफा कमाता.
एक दिन गधे बेचने वाला एक दूसरा व्यापारी नसरूद्दीन के पास आया और बोला “मुल्ला, मैं अपने गधों के लिए चारा इधर-उधर से जुगाड़ कर लेता हूं. मेरे चरवाहे बंधुआ मजदूर हैं जिन्हें मैं कोई फूटी कौड़ी भी नहीं देता. इस तरह से मैं गधों पर ज्यादा कुछ खर्चा नहीं करता. फिर भी जो कीमत मैं लगाता हूँ, उसमें कम लाभ मिलता है. तुम तो मुझसे भी कम कीमत में गधे बेचते हो. ऐसे कैसे कर लेते हो?”
मुल्ला ने फिलासफी झाड़ी – “तुम चारा चुराते हो, मैं गधे चुराता हूं”
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
गधे चुराना...हा हा हा
जवाब देंहटाएंvery good
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