आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 27

SHARE:

  आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी   287 जिंग और चुआन जिंग और चुआन ने...

 

आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ

संकलन – सुनील हांडा

अनुवाद – परितोष मालवीयरवि-रतलामी

 

287

जिंग और चुआन

जिंग और चुआन ने स्नातक परीक्षा पास करने के तुरंत बाद एक थोक भंडार कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया। दोनों ने बहुत मेहनत की। कुछ वर्ष बाद, उनके बॉस ने जिंग का प्रमोशन सेल्स एक्जीक्यूटिव पद पर कर दिया, जबकि चुआन को सेल्स रिप्रिजेन्टेटिव ही बने रहने दिया। चुआन को जब यह बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने अपने बॉस को इस्तीफा सौंप दिया एवं यह उनसे यह शिकायत की कि वे कठोर परिश्रम करने वालों को महत्व न देकर चापलूसों का प्रमोशन करते हैं।

बॉस यह जानते थे कि चुआन ने भी इतने वर्ष परिश्रम से कार्य किया है लेकिन चुआन को उसमें और जिंग में अंतर समझाने के लिए उन्होंने चुआन को एक कार्य करने को कहा। उन्होंने चुआन से कहा कि वह बाजार जाकर ऐसे विक्रेता का पता लगाये जो तरबूज बेच रहा हो। चुआन ने बाजार से लौटकर बताया कि तरबूज बेचने वाला मिल गया है।

बॉस ने पूछा - "कितने रू. किलो ?'

चुआन फिर बाजार गया और लौटकर बोला - "12 रू. प्रति किलो।'

तब बॉस ने चुआन से कहा - "अब मैं यही कार्य जिंग को सौंपूंगा।'

फिर जिंग बाजार गया और लौटकर बोला - "बॉस केवल एक व्यक्ति तरबूज बेचता है। 12 रु. प्रति किलो, 100रु. के 10 किलो। उसके पास 340 तरबूज हैं। उसकी दुकान पर 58 तरबूज थे जिसमें से प्रत्येक लगभग 15 किग्रा. का है। ये तरबूज अभी दो दिन पहले ही दक्षिण प्रांत से लाये गये हैं। ये ताजे, लाल और अच्छी गुणवत्ता के हैं।'

चुआन बहुत प्रभावित हुआ और वह अपने और जिंग में फर्क को समझ गया। अंत में उसने इस्तीफा वापस लेने और जिंग से सीखने का निर्णय लिया।

"एक सफल व्यक्ति हमेशा तल्लीन प्रेक्षक, अधिक चिंतनशील एवं गहराई से सोचने वाला होता है। सफल व्यक्ति कई वर्ष आगे तक का अनुमान कर लेता है जबकि हम

महज कल तक के बारे में ही सोच पाते हैं।'

"एक वर्ष और एक दिन में 365 गुना का अंतर होता है।'

--

288

सुख प्राप्ति के लिए 84वीं समस्या को सुलझाना

एक व्यक्ति महात्मा बुद्ध के पास सहायता मांगने के लिए आया। वह अपने जीवन से निराश था। हालांकि ऐसी कोई भयंकर बात नहीं थी परंतु वह व्यक्ति किसी न किसी बात से निराश रहता था और उसके मन में शिकायत बनी रहती। वह एक किसान था। उसे खेती करना अच्छा लगता था। पर कभी-कभी कम बारिश होती थी या कभी-कभी बहुत ज्यादा। जिससे उसकी खेती अच्छी नहीं हो पाती थी। उसकी पत्नी भी बहुत अच्छी थी, जिसे वह प्यार करता था। लेकिन जब वह उससे ज्यादा झेड़खानी करती तो वह चिढ़ जाता। उसके प्यारे-प्यारे बच्चे थे जो उसे अत्यंत प्रिय थे। लेकिन कभी-कभी.........................

बुद्ध ने धैर्यपूर्वक उस मनुष्य की व्यथा सुनी और कहा - "मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।'

भौचक्के रह गए किसान ने कहा -"मैं तो समझता था कि आप एक महान शिक्षक हैं और आप मुझे शिक्षा देंगे।'

बुद्ध ने कहा - "हर व्यक्ति किसी न किसी समस्या से ग्रस्त है। वास्तव में हम लोग हमेशा ही समस्याओं से घिरे रहते हैं और इसके लिए हम कुछ कर भी नहीं सकते। यदि तुम एक समस्या सुलझा भी लो, तो तुरंत ही दूसरी आ जाएगी। जैसे मान लीजिए कि आप मरने ही वाले हैं। यह तुम्हारे लिए एक समस्या है। और यह ऐसी समस्या है जिससे आप बच नहीं सकते। हम सभी को इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उनमें से कुछ कभी समाप्त नहीं होती।'

किसान गुस्से से बोला - "तो आपकी शिक्षा में ऐसी क्या खास बात है?'

बुद्ध बोले - इससे आपको 84वीं समस्या को हल करने में सहायता मिलेगी।

किसान बोला - 84वीं समस्या क्या है?

"यह कि तुम कोई समस्या नहीं चाहते।' - बुद्ध ने उत्तर दिया।

यदि हम अपने आप को इच्छाओं से मुक्त कर लें तो कोई समस्या नहीं रहेगी। स्पष्ट सोच के साथ हम वास्तविक परिस्थितियों का सामना करते हैं। हमारे जीवन में जो भी घटित होता या होने वाला होता है, उसके ऊपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है या जरा सा ही नियंत्रण है। लेकिन हम किसी समस्या से कैसे निपटते हैं, यह पूर्णतः हमारे हाथ में है।

"प्रायः हम अपने जीवन में उत्पन्न हुई परिस्थितियों के प्रति बाहरी रूप से प्रतिक्रिया करते हैं जबकि हमें आध्यात्मिक रूप से प्रतिक्रिया करनी चाहिये।'

--

42

जिंदगी की नाव, आ रही है कि जा रही है?

मुल्ला नदी की ओर जी जान लगा कर दौड़ता हुआ जा रहा था. उसे दूसरे गांव जाना था और नाव जाने का समय हो चुका था, और वह पहले ही लेट हो गया था. नदी किनारे उसे नाव दिखाई दी. वह और जी जान लगा कर भागा और एक छलांग में नाव के ऊपर जा चढ़ा. इस कोशिश में वो नाव में गिर पड़ा, उसके कपड़े फट गए और उसकी कोहनी छिल गई, जिसमें से खून टप टप टपकने लगा.

मगर वो प्रसन्न था. उसने नाव को पकड़ ही लिया था. वो खुशी से उठा और चिल्लाया – मैंने नाव को पकड़ ही लिया. लेट हो गया था, मगर मुझे नाव आखिरकार मिल ही गई.

पास में बैठे दूसरे यात्री ने अपना सामान समेटते हुए मुल्ला को बताया – ये नाव जा नहीं रही है, बल्कि आ रही है, और अभी ही किनारे लगी है!

----

 

(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. सच है, सामने वाले का मन्तव्य समझ कर कार्य करना ही बुद्धिमत्ता है।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! पहले 83 की लिस्ट बना लें, फिर 84वें पर आयें! :-)

    जवाब देंहटाएं
आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
कृपया ध्यान दें - स्पैम (वायरस, ट्रोजन व रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त)टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहां पर प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

तकनीकी ,1,अनूप शुक्ल,1,आलेख,6,आसपास की कहानियाँ,127,एलो,1,ऐलो,1,कहानी,1,गूगल,1,गूगल एल्लो,1,चोरी,4,छींटे और बौछारें,148,छींटें और बौछारें,341,जियो सिम,1,जुगलबंदी,49,तकनीक,56,तकनीकी,709,फ़िशिंग,1,मंजीत ठाकुर,1,मोबाइल,1,रिलायंस जियो,3,रेंसमवेयर,1,विंडोज रेस्क्यू,1,विविध,384,व्यंग्य,515,संस्मरण,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,स्पैम,10,स्प्लॉग,2,हास्य,2,हिंदी,5,हिन्दी,509,hindi,1,
ltr
item
छींटे और बौछारें: आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 27
आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 27
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3E29E4EI3vvffyv9nUZH5iMAAdHTog3SWbFZj253LmimIMQdJcjWM9di8AD0JRZKz08kiuPtOMXBa5p287SdMAfpLBQx5O9lBMCJbjTbbz3EHGTBhuPNiaPGdQeeZI9z68M3U/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3E29E4EI3vvffyv9nUZH5iMAAdHTog3SWbFZj253LmimIMQdJcjWM9di8AD0JRZKz08kiuPtOMXBa5p287SdMAfpLBQx5O9lBMCJbjTbbz3EHGTBhuPNiaPGdQeeZI9z68M3U/s72-c/?imgmax=800
छींटे और बौछारें
https://raviratlami.blogspot.com/2011/12/stories-from-here-and-there-27.html
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/2011/12/stories-from-here-and-there-27.html
true
7370482
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content