गोल-मटोल, सुंदर, एक ही आकार के, और एक ही तापक्रम में परिपूर्ण तरीके से सिंकी – यानी न अधपकी न अधजली रोटियाँ जब आपको बिना किसी प्रयास किए ख...
गोल-मटोल, सुंदर, एक ही आकार के, और एक ही तापक्रम में परिपूर्ण तरीके से सिंकी – यानी न अधपकी न अधजली रोटियाँ जब आपको बिना किसी प्रयास किए खाने को मिले तो आप उसे क्या कहेंगे? आपकी अर्द्धांगिनी का आशीर्वाद या आपके नए-2 खरीदे गए स्वचालित रोटी बनाने वाली मशीन चपातीमेटिक का प्रताप? आपकी अर्द्धांगिनी तो गुस्से में यदा कदा अधपकी-अधजली रोटियाँ भी खिला देती होंगी, मगर आपके नए चपातीमेटिक पर साल भर की वारंटी मिलती है – सभी रोटियाँ एकदम दुरुस्त!
जब मुझे इस तरह के जादुई मशीन रोटीमेटिक के बारे में जानकारी मिली तो मैंने सोचा कि चलो एक खरीद ही लिया जाए. वैसे भी बहुत दिनों से – बल्कि कई वर्षों से मोबाइल-कंप्यूटर-टैबलेट और उससे संबंधित गॅजेट के अलावा और किसी किस्म की खरीदी की ही नहीं थी – क्या करें, जब हर छः महीने में इनके नए, एकदम उम्दा किस्म के संस्करण आ रहे हों और सामने वाला हर दूसरा बंदा इन नए उपकरणों को आपके ऐन नाक के सामने गर्व से लहराता फिरे तो आपको भी तो उसे या उससे भी बढ़िया वाला खरीदना ही होता है. साथ ही, यह अपने उत्तमार्द्ध के लिए भी बढ़िया खरीद इसलिए साबित होगा कि एक तो यह पुरुष के मन तो तुष्ट करने वाली एक इलेक्ट्रॉनिक गॅजेट की खरीदी है – असंख्य साड़ियों की भीड़ में एक और साड़ी खरीदकर आलमारी में रखने जैसी नहीं है.
बहरहाल, चतुर आदमी वही होता है जो किसी भी चीज को ठोंक बजाकर खरीदे. और, आजकल इसके लिए वरदान स्वरूप गूगल बाबा है ना! कीमत की तो बाद में देखेंगे, पहले इसके फ़ीचर, इसकी फ़ंक्शनलिटी और इसके उपयोगकर्ताओं की समीक्षाओं का पठन-मनन तो कर लिया जाए, फिर आगे की सोचते हैं.
मैं कई दिनों तक गूगल के खोज पृष्ठों में उलझा रहा. चपातीमेटिक के बारे में प्रायोजित समीक्षाओं से लेकर वास्तविक अनुभवों और हैंड्स-ऑन एक्सपीरियंस के अनगिनत पन्नों को आत्मसात कर डाले और अंततः इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि भले ही चपातीमेटिक आदमी के दाम्पत्य जीवन पर आसन्न खतरा जैसा हो, वो इस खतरे से जानबूझ कर जरूर दो-चार होना चाहेगा. यानी – उसे जब मौका मिलेगा, फट से जाकर उसे खरीद लेगा. कम से कम उसे ताजा, एक जैसी रूप-रंग में बेली और सेंकी गई रोटी खाने के लिए मिलने की गारंटी तो होगी.
अब आप पूछेंगे कि इस मशीन के दाम्पत्य पर आसन्न खतरे क्या हैं – तो जान कर करेंगे क्या, क्योंकि आपने तो वैसे भी ये मशीन लेनी ही है. ये क्या, आप तो दुनिया की हर नई मशीन लेने को तत्पर होते हैं – उनमें ऐप्पल, सेमसुंग का लोगो होना चाहिए. फिर भी आपके लिए इनमें से कुछ महत्वपूर्ण पेश हैं –
- · ध्यान रखें, चपातीमेटिक कोई साधारण पटा-बेलन का सेट नहीं है. यह जटिल इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिसको चलाना सीखने के लिए उतनी ही जटिल मार्गदर्शिका है और दिखने में सरल, किंतु जटिल इंस्ट्रूमेंटल पैनल है. और, जाहिरा तौर पर अर्द्धांगिनियाँ इन जटिल मशीनों को जाने-अनजाने छूने-चलाने से बचती हैं, जाने-अनजाने गड़बड़ करती हैं या जाने-अनजाने चला नहीं पाती हैं – लिहाजा या तो इसे आपको ही चलाना होगा या फिर ये किसी कोने में चला जाएगा जो दोनों ही स्थितियों में आपके दाम्प्त्य जीवन के लिए लाभकारी नहीं होगा.
- · इस बात की अधिक संभावना है कि आपकी अर्द्धांगिनी चपातीमेटिक का स्वागत करने के बजाए उसे एक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर ले. आपके लिए भी यह नुकसानदेह साबित हो सकता है – अब आपको ये भी सुनाई नहीं पड़ेगा कि – एक चपाती और ले लो न जी, गर्मागर्म एकदम पतला सा तो बनाया है. इतने प्यार से बना रही हूँ और तुम मना कर रहे हो. ये बात जुदा है कि तब वो यह बात भूल जाती हैं कि अभी दो दिन पहले ही आपने अपने तमाम पैंटों को एक इंच चौड़ा करवाया था.
- · हालांकि इस मशीन में तीन-चार तरह की छोटी-बड़ी आकार की और चार-पाँच तरह की मोटी-पतली और कम-ज्यादा सिंकी रोटियों के लिए तमाम सेटिंग हैं, मगर आप जल्द ही एक जैसी बनी-सिंकी रोटियों को खाकर बोर हो जाएंगे – क्योंकि आप अपनी प्रत्येक रोटी के लिए अलग सेटिंग तो करेंगे नहीं. अलबत्ता कभी मशीन गड़बड़ा जाए, और रेंडम मोड में चला जाए तो बात अलग है. और वैसे भी, कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि जब उत्तमार्द्ध का पारा चढ़ा हो तो उनके हाथों की बनी, जली हुई रोटियाँ खाने का मजा कुछ और ही होता है, जो इस मशीन में संभव ही नहीं है – यह रोटियों को किसी सूरत में जला नहीं पाएगा – इसका सेंसर एक खास तापमान होने पर इसके हीटर को खुद-ब-खुद बंद जो कर देता है. यानी किसी दिन आपका कड़क सिंकी हुई रोटी खाने का मन करे तो उसे मन में ही रखिए – चपातीमेटिक इसे अनसुना कर देगा, और पत्नी को बोलेंगे तो वो भड़क उठेगी और कहेगी – हजारों रुपए का ये नकारा डब्बा उठा लाए अब इसी से मांगो अपनी मनपसंद रोटी!
बहुत पहले देखा था इसका ऐड , रोटिमैटिक के नाम से !
हटाएंहमें तो यूँ भी कोई खतरा नहीं , पतिदेव हमसे अधिक अच्छे पराठे बना लेते हैं जरूरत होने पर
आप लाकर तो देखिये ,प्रन्नहो जायेंगी वे,
हटाएंऔर-'अर्द्धांगिनियाँ इन जटिल मशीनोंजा को जाने-अनजाने छूने-चलाने से बचती हैं, जाने-अनजाने गड़बड़ करती हैं या ने-अनजाने चला नहीं पाती हैं'
ये किस गलतफ़हमी मैं हैं आप ?अरे, जब हम इस उम्र में कंप्यूटर सीख सकते हैं और यह भी पता है कि ये लड़कियाँ (हमारे लिये वे लड़कियाँ ही हैं) किसी से कम नहीं! लाके दीजिये ,शान से पड़ोसिन पे रोब गाँठेंगी वे .
koi bhi machine manav buddhi aur vivek ki barabari nahi kar sakta..Ye dekhana behad dilchasp hoga ki Roti banane wali machine ko kya response milta hai..
हटाएंअपनी रिसर्च से भी कुछ जानकारी शेयर करें तो अच्छा रहेगा.
हटाएंजैसे कीमत, कहाँ से ख़रीदा जा सकता है वगैरह.
कोई नहीं बेलन से बचेंगे
हटाएंएसी मशीनो से तो अपना पुराना चुल्हा ही सही है ।
हटाएंखरीदी?
हटाएंना बाबा ना, यह रिस्क कोई उठा सकता है क्या. और, पत्नी जी के हाथों की बने गर्म गर्म रोटियों का स्वाद कोई मशीन कैसे दे सकता है भला!
हटाएंसही कहा..मशीनों की अपनी सीमाएं हैं और घर में मां या मिसेज के हाथों का जायका कभी मशीनों से नहीं मिल सकता...
हटाएंसही है
हटाएं