रोवेन एटकिंसन उर्फ फनी ‘मि. बीन’ ने जब मुझे समस्त हर्जे-खर्चे समेत मेलबोर्न यात्रा के दस्तावेज़ – टिकट, वीज़ा इत्यादि और साथ में सोने में ...
रोवेन एटकिंसन उर्फ फनी ‘मि. बीन’ ने जब मुझे समस्त हर्जे-खर्चे समेत मेलबोर्न यात्रा के दस्तावेज़ – टिकट, वीज़ा इत्यादि और साथ में सोने में सुहागा के तौर पर खर्चने के लिए हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर अतिरिक्त सौंपे तो लगा कि जैसे मेरे जीवन का एक बड़ा सपना पूरा होने जा रहा है.
और हो क्यों न. यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं तो दूरस्थ देश प्रदेश की यात्रा में आपको आनंद आएगा ही. और आप ऐसे मौकों की तलाश में हमेशा रहेंगे ही. शायद ही ऐसा कोई मनुष्य हो जिसे यात्रा में आनंद नहीं आता हो. जहाँ आप रहते हैं वहाँ अपने गांव शहर के उन्हीं इमारतों, उन्हीं सड़कों, उन्हीं लोगों और उन्हीं कारों को देख देख कर कुछ दिनों में बोर हो जाते हैं. ऐसे में छठे चौमासे यदि कहीं आसपास की भी यात्रा कर ली जाए तो मामला रीफ्रेश रहता है और जिंदगानी में रूचि बरकरार रहती है. और फिर, यहाँ तो ऑस्ट्रेलिया, मेलबोर्न की बात हो रही है. दूर, सात समंदर पार. एक ऐसा देश जो मुझे बचपन से लुभाता आ रहा था. ऐसा एकमात्र देश जहाँ कंगारू बसते हैं – जो अपने बच्चों को अपने शरीर के थैले में ही भीतर सुरक्षित छुपा कर रखते हैं – पारिवारिक प्रेम प्यार और केअरिंग का एक अप्रतिम उदाहरण!
आईजीआई इंटरनेशनल टर्मिनल 3 से जब मेरी एयरबस ने उड़ान भरी तो आसमान काली घटाओं से आच्छादित था और बारिश हो रही थी. मेरा मन भी उत्साह से भीगा हुआ था. विंडो सीट से देख रहा था कि विमान ने जब टेकऑफ किया तो आसमान में कहीं दूर बिजली चमकी. मेरे मन के भीतर भी अब तक अपरिचित अनजाने देश और खासकर मेलबोर्न को देखने समझने की उत्कंठाओं की बिजलियाँ चमक रही थीं.
सत्रह घंटों की उड़ान के बाद जब मैं मेलबोर्न हवाई अड्डे पर उतरा, तो थोड़ी सी अकड़ी कमर और जरा से सूजे पैरों के बावजूद स्फूर्ति और जोश से लबालब था. जब आप कोई काम उत्साह से, मन से करते हैं तो कहीं कोई थकान महसूस नहीं होती, दुःख दर्द का पता नहीं चलता. इस यात्रा के लिए मेरे मन में शुरू से ही उत्साह था तो इतनी लंबी यात्रा में ऊब का सवाल ही नहीं था. जल्द ही इमिग्रेशन की कार्यवाही पूरी हो गई और ऑफ़ीसर ने कागज़ातों पर अपनी मुहर लगाते हुए मुस्कुरा कर कहा – “वेलकम टू मेलबोर्न! ‘It's your time to visit Melbourne NOW!’
होटल पहुँच कर मैंने सामानों को एक ओर फेंका और फ्रेश होने के लिए बाथरूम की ओर दौड़ लगाई. जल्द से जल्द तैयार होकर मेलबोर्न का नया टूरिस्ट एट्रैक्शन यूरेका स्काईडैक 88 देखने जो जाना था. बाथरूम विशाल और लाजवाब था. यदि साइट सीइंग देखने की जल्दी न होती तो शर्तिया मैं उस आलीशान विशाल बाथरूम के उतने ही विशाल बाथटब में घंटों घुसा रहता. बहरहाल जल्द ही तैयार होकर मैं बाहर आ गया. यूरेका स्काईडैक 88 ले जाने के लिए एक लिमोजीन टैक्सी पहले से ही तैयार खड़ी थी.
(यूरेका स्काईडैक 88)
ड्राइवर बातूनी था. सड़क पर आते ही उसने दूर एक बेहद ऊंची बिल्डिंग की ओर इशारा कर बताया कि ये है यूरेका स्काईडैक. वो यूरेका स्काईडैक के अपने स्वयं के यात्रा अनुभवों को सविस्तार रस लेकर बता रहा था. परंतु मेरे कान उधर थे नहीं. मैं बस हाँ हूँ करता रहा और उस ऊंची बिल्डिंग को चमत्कृत होकर देखता रहा.
यूरेका स्काईडैक की हाई स्पीड लिफ़्ट जब ऊपर जाने को चालू हुई तो दिल एक बार धक से रह गया. और ये तो होना ही था क्योंकि महज चालीस सेकंड के भीतर हम मेलबोर्न की सबसे ऊंची बिल्डिंग के सबसे ऊंचे माले पर थे. और उतनी ही आश्चर्यजनक बात ये थी कि पूरा का पूरा कांच का लिफ़्ट का कूपा बाहर निकल कर एक किनारे आ लगा और हमें पूरे आधे घंटे का समय मिला मेलबोर्न को उतनी ऊँचाई से चारों तरफ से जीभर निहारने का.
यूरेका स्काईडैक के थीम्ड शॉपिंग मॉल और विशिष्ट आईमैक्स 3डी थियेटर में फ़िल्म देखते देखते समय कब खत्म हो गया पता ही नहीं चला. वहीं लाजवाब डिनर लेकर वापस जब होटल पर आए और वहाँ के वाटरबैड पर लुढ़के तो क्षण भर में ही नींद कब लगी पता ही नहीं चला.
सपने में हैप्पीफ़ीट नजर आ रहा था अपने लाजवाब डांस सीक्वेंस के साथ. कल फ़िलिप आईलैंड नेशनल पार्क जाना था. हैप्पीफ़ीट से मिलने.
(पेंगुइन परेड)
कोई दो घंटे में ही हम फ़िलिप आईलैंड नेशनल पार्क पहुँच गए थे. वहाँ देखने को बहुत कुछ था. शायद हफ़्तों भी कम पड़ जाएं. परंतु मैं सीधा पेंगुइन परेड की ओर चला गया और पेंगुइन स्काईबॉक्स में घुस गया. पेंगुइनों को करीब से देखने. जिजीविषा की चलती फिरती मिसालें इन मासूम से पेंगुइनो से कौन नहीं मिलना चाहेगा. सैकड़ों की तादाद में पेंगुइन अपनी मटकती चाल में दिखे. मेरी निगाहें हैप्पीफ़ीट को ढूंढ रही थीं. आखिर में वो दिखा. अपनी ही मस्ती में चलता हुआ. और उसकी चाल लाजवाब थी. नृत्य की एक अलग ही शैली जिसे देख कर प्रसन्नता और आह्लाद से आपके रौंगटे खड़े हो जाएं.
सोना किसे पसंद नहीं है. चाहे सोफे में धंस कर सोना हो या बिस्कुट-गहनों वाला सोना. मुझे भी सोना पसंद है. परंतु अपने टर्मिनल के सामने कुर्सी पर टेक लगा कर. बहरहाल, यहाँ मैं उस सोने की बात कर रहा हूँ जो प्रागैतिहासिक काल से इंसानों को अपने हर रूप में लुभाता रहा है. जी हाँ, आज हम मेलबोर्न के विश्वप्रसिद्ध सोने की खानों – सेंट्रल डेबोरा गोल्डमाइन देखने जाने वाले हैं जहाँ हम जमीन के नीचे सुरंग में जाकर उस अनछुए सोने को छूकर देखेंगे जिसके लिए दुनिया हजारों वर्षों से पागल है.
(सेंट्रल डेबोरा गोल्डमाइन)
यात्रा के दिन तेजी से बीतते जा रहे थे. अब तो वापस लौटने का दिन भी आ गया था. इस बीच मेलबोर्न में और भी बहुत कुछ देख डाला. खाने-पीने और सोने के आठ घंटे छोड़ दें तो बाकी समय या तो साइट सीईंग में व्यतीत हुआ या आसपास की यात्राओं में. परंतु यदि आप भारतीय हैं तो मेलबोर्न की आपकी यात्रा अधूरी ही रहेगी यदि आप एक खास स्थान को न देखें. मैंने अपनी मेलबोर्न यात्रा इस खास अजूबे को देख कर पूरी की.
और वो खास स्थान है – मेलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड
भारतीय जनता क्रिकेट के पीछे पागल है. भले ही यह पागलपन सिर्फ टीवी स्क्रीन के सामने और आलू-चिप्स चबाते रन और विकेट पर अपनी टिप्पणियों तक ही सीमित है. वहीं दूसरी ओर आस्ट्रेलियाई क्रिकेट प्रेमियों का पागलपन मेलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड से झलकता है. जिस वक्त मैं यहाँ गया, वहाँ कोई मैच तो नहीं हो रहा था, मगर मैं कल्पना कर सकता था कि जब यहाँ मैच चलता होगा तो ये विशाल, शानदार, सुविधाओं से लबरेज क्रिकेट स्टेडियम किस तरह से जीवंत हो जाता होगा. यदि इस जीवन में कभी इस ग्राउंड पर भारत-पाकिस्तान का विश्वकप का फ़ाइनल मैच देखने को मिल जाए, तो लगेगा कि जीवन का एक और बड़ा सपना पूरा हो गया. आप कहेंगे कि कितने सपने देखते हो. पर यदि सपने न देखें तो पूरे होने के चांसेज भी तो न होंगे!
टीप – यह काल्पनिक यात्रा संस्मरण भविष्य का, अभी से छः माह बाद का है. इसे खासतौर पर इंडीब्लॉगर.इन के इट्स योर टाइम टू विजिट मेलबोर्न नाऊ के लिए लिखा गया है. मेलबोर्न के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ देखें - http://www.visitmelbourne.com/in
वाह, कितना सच सा लिखा..
हटाएंक्या सचमुच?...
हटाएंअरे वाह हम तो जाते जाते रह गये पिछले साल, अब देखते हैं कब मौका लगता है ।
हटाएंजल्दी लगेगा. अगला असाइनमेंट वहीं का समझो...
हटाएंआपका सपना सच हो और हमें और तफ़सील से मेलबोर्न की जानकारी मिले, शुभकामनायें।
हटाएंधन्यवाद. पर मेरे सपने में आप भी एक सहयात्री हैं.
हटाएंमजेदार, रोचक.
हटाएंसपने ही साकार होते है.
हटाएंजी, इसीलिए देखी जा रही है...
हटाएंअजी बहुत ही रोचक लिखा है आपने। अगर आपने यही बताया होता कि ये काल्पनिक है तो कोई भी मानने को तैयार नहीं होता। इससे अंदाजा लगता है कि जब आप वास्तव में वहां जाकर आयेंगे तो वो संस्मरण कितना रोचक व बहुत ही विस्तृत होगा।
हटाएंमि. बीन वाला वाकया भी सही लगा?
हटाएंथोड़ी देर के लिए तो मैं सिर खुजा रहा था फिर सोचा कि शायद ये मि० बीन कोई परिचित व्यक्ति होंगे। लेकिन वाकई में ये संस्मरण एकदम असली सा लग रहा है। पूरे संस्मरण को पढ़ने के दौरान एक ही बात दिमाग में घूम रही थी कि हमारे गुरूजी आस्ट्रेलिया कब घूमने गए और लौट आए? कभी ब्लाग पर जिक्र नही आया। और आखिरी पंक्तियां पढ़ा कि ये काल्पनिक है तो हंस हंस के लोट पोट हो गया।
हटाएं@अंकुर -
हटाएंतो मैं बढ़िया चुटकुले भी गढ़ लेता हूँ?
मामा जी जल्दी आईये ऑस्ट्रेलिया ,मै और आशीष इतजार कर रहे है |
हटाएंहाँ, अब तो मैं भी इंतजार कर रहा हूँ कि इनाम मुझे मिले और मैं दन्न से ऑस्ट्रेलिया घूमने आऊं. साथ में मामी को भी लेता आऊंगा इसी बहाने!
हटाएंwaah waah . vaise mr.been se rishta joda bhi ja sakata hai ...unki wife indian hai .aur susraliyo koto ghumaya ja sakata hai
हटाएंहाँ, पर मि. बीन दरअसल मुझे एक ईनाम दे रहे हैं...
हटाएंबिन गए देख आये आप तो
हटाएंअब टिकट मिले तो हमें दे दीजियेगा
हाँ, पर यदि नॉन ट्रांसफरेबल हुआ तो...
हटाएंबहुत ही साक्षात जीवंत संस्मरण.
हटाएंयह कल्पना है,जानकर आश्चर्य लगा.
KHUBSURAT, ROCHAK
हटाएंअरे...! आखिर में टीप लिखकर तो आपने जबरदस्त टीप लगा दी...
हटाएंकल्पना में यात्रा वृत्तांत वो भी अपनी धरती से बहुत दूर की... सुखद आश्चर्य हुआ आपके कलम का जादू देखकर...
मैं पढ़ते हुए यह सोचता रहा कि आप कब मेलबोर्न विजिट कर आ गए, मालूम ही न चला। संस्मरण एकदम यथार्थ ही है, यही सोचकर पढ़ रहा था, अंतिम में टीप पढ़ा तो समझा। लेकिन वाकई एकदम यथार्थ सा।
हटाएंBhout khoob likha hai. Hum jakar aana chahte they but aap ne dil se dikha diya.
हटाएंBhout khoob
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