आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 381 व्यावहारिकता एक शिष्या अपने व...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
381
व्यावहारिकता
एक शिष्या अपने विवाह की तैयारियों में लगी हुयी थी। इस अवसर पर होने वाले प्रीतिभोज के लिए उसने घोषणा की कि गरीबों के प्रति अगाध प्रेम के कारण उसने यह तय किया है कि समारोह में सबसे आगे की पंक्तियों में गरीब लोग ही बैठेंगे और अमीर मेहमान पीछे की पंक्तियों में रहेंगे। भोजन में भी यही क्रम रहेगा।
यह बात कहकर उसने अपने गुरूजी की आँखों में देखा तथा उनकी स्वीकृति चाही।
गुरूजी ने एक पल विचार करने के बाद कहा -"मेरे विचार से यह सर्वथा ग़लत होगा। किसी को भी विवाह समारोह में मजा नहीं आएगा। तुम्हारे परिवार को शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी। तुम्हारे अमीर मेहमानों को अपमान महसूस होगा और गरीब मेहमान भी बेझिझक भोजन नहीं कर पायेंगे।"
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ड्यूटी का बहाना
एक गुरूजी ने राज्यपाल को सख्त शिकायती पत्र लिखकर यह आपत्ति जतायी कि नस्लभेद विरोधी शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया है।
राज्यपाल ने पत्र लिखकर यह उत्तर दिया कि उन्होंने सिर्फ अपनी ड्यूटी की है।
गुरूजी बोले - "जब भी कोई बेवकूफ व्यक्ति गलती करता है तो उस पर शर्मिंदा होने की बजाए वह यही कहता है कि यह उसकी ड्यूटी थी।"
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मदर टेरेसा की 3 कहानियाँ
(1)
एक बार मदर टेरेसा के आश्रम में दो व्यक्ति उनसे मिलने एक ही वक्त पर पहुँचे. पहला व्यक्ति धनी था और मदर की चैरिटी के लिए बहुत सा धन देने के इरादे से आया था. उसे विश्वास था कि चैरिटी में उन्हें हाथों हाथ लिया जाएगा और उनका गर्मागर्म स्वागत होगा. दूसरा व्यक्ति निम्नवर्गीय था जो अपनी नौकरी की पहली तनख्वाह मदर टेरेसा को अर्पित करने आया था. दरअसल वह युवक बहुत दिनों से बेरोजगार था, और उसने सोचा था कि पहली तनख्वाह पर वो कोई अच्छा काम करेगा.
मदर टेरेसा ने निम्नवर्गीय व्यक्ति को पहले बुलावा भेजा. और उनसे कहा कि वह अपनी पहली तनख्वाह चैरिटी को देने के बजाए अपनी माँ को अर्पित करे. मगर उस युवक ने बताया कि उनकी माँ ने ही उन्हें इसके लिए प्रेरणा दी है, और साथ ही उनकी बहन ने भी इसके लिए सहमति दी है.
यह सुनकर मदर टेरेसा की आंखें नम हो गईं.
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(2)
मदर टेरेसा अपनी जन्मभूमि देश – अल्बानिया में अपना एक आश्रम खोलना चाहती थीं. अल्बानिया को पूरे विश्व में ऐसा पहला देश होने का सौभाग्य है जो पूरी तरह नास्तिक देश बना. वहां की राजाज्ञा के अनुरूप तमाम चर्च, मस्जिद, मंदिर और अन्य धर्मस्थल बन्द कर दिए गये थे. 1946 में कम्यूनिस्टों ने किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी थी.
परंतु अल्बानिया के शासकों ने मदर टेरेसा का मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एक आश्रम खोलने के प्रस्ताव का न सिर्फ स्वागत किया, बल्कि उन्हें मदर टेरेसा ऑफ अल्बानिया का खिताब भी दिया और 1991 में चैरिटी का शुभारंभ भी हो गया.
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(3)
मदर टेरेसा न सिर्फ सादगी की मिसाल थीं, बल्कि दीन-दुखियों की सहायता करने में भी वे बेमिसाल थीं.
जब पोप भारत यात्रा पर आए, तो मदर टेरेसा से मिले. जाते जाते उन्होंने अपनी कार, जिसका उन्होंने भारत यात्रा में प्रयोग किया था, मदर टेरेसा को भेंट कर दिया. मदर टेरेसा के लिए वह कार बेहद अहम और बहुमूल्य था. परंतु उन्होंने उस कार को नीलाम करवा दिया और प्राप्त राशि से कोढ़ियों के लिए एक बड़ी कॉलोनी बनवा दी, जिनके बारे में वे बड़े समय से विचार कर रही थीं.
(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
शिष्या जब सादगी वाली थी, तो विवाह समारोह क्यों करना चाहती थी?
हटाएंहुजूर, सादगी में भी तो परम्परा का निर्वाह करना होता है| विवाह तो समारोह के बिना संपन्न ही नहीं होता|
हटाएंव्यवहार बना रहे..
हटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
हटाएंइसी को कहते हैं झूठी दिखावटी सादगी और झूठी कहानी...
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