आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 383 अनुकूलन एक नौजवान ने विरासत...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
383
अनुकूलन
एक नौजवान ने विरासत में मिली अपनी सारी दौलत गंवा दी। जैसा कि ऐसे मामलों में अक्सर होता है, गरीब होते ही उसके सभी मित्र भी उससे किनारा कर गए।
अपनी बुद्धि के अनुसार वह एक स्वामी जी की शरण में पहुंचा और उनसे बोला - "मेरा अब क्या होगा? न मेरे पास धन है, न ही मित्र।"
स्वामी जी ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा - "चिंता मत करो बेटे। मेरे शब्दों को याद रखना। कुछ दिनों में सब कुछ ठीक हो जायेगा।"
नौजवान की आँखों में आशा की किरण दिखायी दी। उसने पूछा - "क्या मैं फिर से धनवान हो जाऊंगा?"
स्वामी जी ने उत्तर दिया - "नहीं। तुम्हें गरीबी और अकेले रहने की आदत हो जायेगी।"
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384
सत्य और असत्य
एक बार एक आदमी की परछाई ने उससे कहा - "यह देखो। मैं तुमसे कितने गुना बड़ी हो गयी हूं और तुम जैसे थे वैसे ही हो।"
कुछ देर चुप रहने के बाद वह व्यक्ति बोला - "यही सत्य और असत्य के बीच का फ़र्क है। सत्य जितना है, उतना ही रहता है और असत्य पल-पल में घटता-बढ़ता रहता है।"
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127
अर्थ का अर्थ
एक गुरु के आश्रम में ज्ञान चर्चा के लिए एक बड़े अधिकारी पधारे. आरंभिक दुआ-सलाम के बाद अधिकारी ने गुरु से पूछा “गुरुदेव कृपा कर बताएँ कि हमारे दैनिक जीवन में हमारे सामने रहते हुए भी वह क्या चीज है जिसे हम देख नहीं पाते हैं”
गुरु शांत रहे. उन्होंने अधिकारी को नाश्ते में फल दिए. पीने को पेय प्रस्तुत किया. खान-पान के बाद यह सोचकर कि गुरु ने शायद उनके प्रश्न पर ध्यान नहीं दिया, अपना प्रश्न फिर से दोहराया.
“बिलकुल सही,” गुरु ने अब अपना मुंह खोला – “इसका यही अर्थ है – हालाकि अपने दैनिक जीवन में वह रहता है, मगर फिर भी हम देख नहीं पाते हैं!”
ज्ञानी बोलते नहीं,
जो बोलते हैं जानते नहीं,
बुद्धिमान मौन रहते हैं,
चतुर थोड़ा बोलते हैं,
मूर्ख बहस करते हैं
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128
मैं असली हूँ!
पूरा परिवार रेस्त्राँ में खाना खाने गया. जब वे टेबल पर अपने-अपने स्थान पर बैठ गए तो वेटर खाने का आर्डर लेने आया.
सब अपनी पसंद की चीजें लिखवाने लगे.
एक बच्चे ने अपनी पसंद लिखवाया – मेरे लिए हॉट डॉग!
परंतु उसकी माँ ने प्रतिवाद किया – नहीं, कोई हॉट डॉग नहीं. इसके लिए सादी रोटी और दाल ले आओ.
मगर वेटर ने माँ की बात नहीं सुनी और बच्चे से बोला – बेटे, हॉट डॉग में आप कैचप लेना पसंद करेंगे या जीरा चटनी?
बच्चे ने खुश होकर कहा – कैचप!
वेटर आदेश लेकर चला गया. बड़े-बूढ़ों में सन्नाटा छा गया.
इधर बच्चा खुशी से चिल्लाया – “देखा! वेटर मुझे असली समझता है!”
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
आस-पास से वाकई कमाल की कहानियां निकाली गई हैं...
हटाएंबहुत ही खुबसूरत....
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