आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 371 गप्प एक शिष्य ने अपने गुरू से इस...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
371
गप्प
एक शिष्य ने अपने गुरू से इस बात के लिए पश्चाताप किया कि उसे गप्प मारने की आदत है।
गुरूजी ने बुद्धिमत्तापूर्ण तरीके से कहा कि "यदि तुम गप्प में नया मिर्चमसाला नहीं डालते तो यह इतनी बुरी बात नहीं है।"
372
संघर्ष से ही शक्ति और विवेक प्राप्त होता है
महाभारत के युद्ध में द्रोणाचार्य को कौरवों का सेनापति बनाया गया। युद्ध के पहले ही दिन वे अत्यंत वीरता और उत्साह के साथ लड़े किंतु अंत में उन्हें अर्जुन द्वारा पराजय का सामना करना पड़ा।
पहले ही दिन पराजय होने से दुर्योधन को बहुत बुरा लगा और वह द्रोणाचार्य के पास जाकर बोला - "गुरूदेव! अर्जुन आपका शिष्य रहा है। आप उसे कुछ ही पलों में हरा सकते हैं। फिर आप इतना बिलंब क्यों कर रहे हैं?"
कुछ देर चुप रहने के बाद द्रोणाचार्य बोले - "तुम ठीक कह रहे हो दुर्योधन! उसके द्वारा युद्ध में प्रयोग की जाने वाली युक्ति और रणनीति से मैं भलीभांति अवगत हूं परंतु मैंने अपना सारा जीवन शाही विलासितापूर्ण तरीके से व्यतीत किया है जबकि अर्जुन ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। संघर्ष के ही कारण उसने मुझसे ज्यादा शक्ति और विवेक प्राप्त कर लिया है।"
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120
तेल का तेल, पानी का पानी
पानी भरे हुए कलश के ऊपर रखे तेल का दीपक जल रहा था और अपने प्रकाश से दिग् दिगन्त को आलोकित कर रहा था.
पानी को ईर्ष्या हो रही थी. उसे अपने ऊपर रखे तेल का जलना जरा भी नहीं भा रहा था. मगर तेल शांति से स्वयं जल कर दुनिया में प्रकाश फैला रहा था.
कलश ने पानी से कहा – तेल से व्यर्थ ईर्ष्या मत करो. वह तप कर निकला है. बीजों को जमीन में बोया गया, वे अंकुरित हुए, फिर पौधे बने, फिर वे फले-फूले और ज्यादा मात्रा में बीज हुए, उन्हें सप्रयास एकत्र किया गया फिर तेल निकालने के लिए बीजों को घानी में पेरा गया, फिर छाना गया और फिर यहाँ दुनिया को आलोकित करने की खातिर स्वयं को जलाए दे रहा है...
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121
द फेमस नॉटी गर्ल
सरोजिनी नायडू को महात्मागांधी ने नाइटिंगेल ऑफ इंडिया नाम दिया था. एक बार सरोजिनी नायडू दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर थीं. वहाँ खोजा समुदाय के लोगों के बीच उनका एक कार्यक्रम था. कार्यक्रम के एक वक्ता को सरोजिनी नायडू का परिचय का पाठ करना था जिसे किसी अन्य लेखक ने लिखा था.
परिचय में एक स्थान पर सरोजिनी नायडू के लिए नाइटिंगेल ऑफ इंडिया का जिक्र भी था. मगर अंग्रेजी में कमजोर वक्ता ने यह शब्द पहले कभी पढ़ा नहीं था और सरोजिनी के इस नामकरण के बारे में भी उसे मालूम नहीं था. तो परिचय पढ़ने के दौरान यह शब्द आने पर वक्ता ने सोचा कि शायद वर्तनी की गलती है, अतः उन्होंने पढ़ा – द फेमस नॉटी गर्ल ऑफ इंडिया - सरोजिनी नायडू....
उनके यह पढ़ते ही पूरा सभागार हंसी के ठहाकों से गूंज पड़ा. सरोजिनी नायडू भी अपनी हँसी नहीं रोक पाईं.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
बढिया कहानियां।
हटाएंआभार।
सुन्दर संस्मरण...
हटाएंshandsr
हटाएंसंघर्ष सच में बहुत कुछ सिखा देता है..
हटाएंmemorable and beautiful .thanks
हटाएंबढिया!
हटाएंआभार
kya baat hai, mazaa aa gaya
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