आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 435 आप किस तरह से जीवन पर गहरा प्रभा...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
435
आप किस तरह से जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं
न्यूयॉर्क की एक शिक्षिका ने अपनी हाईस्कूल कक्षा के उन सभी वरिष्ठ सहपाठियों का सम्मान करने का निर्णय लिया जिन्होंने उसके जीवन को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। डैल मार, कैलीफोर्निया की हेलिस ब्रिजेस द्वारा विकसित की गयी तकनीक का प्रयोग करते हुए उसने एक-एक करके प्रत्येक सहपाठी छात्र को आगे बुलाया। सबसे पहले उसने सभी को यह बताया कि किस तरह उन्होंने उसके जीवन एवं कक्षा में परिवर्तन पैदा किया। इसके बाद उन्होंने सभी छात्रों को एक नीला फीता भेंट किया जिस पर सुनहरे अक्षरों से लिखा था - मेरे जीवन पर प्रभाव डालने वाला।
इसके बाद उस शिक्षिका ने एक कक्षा प्रोजेक्ट करने का निर्णय किया। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह ज्ञात करना था कि सम्मान देने से किसी समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ता है। उसने प्रत्येक छात्र को तीन नीले फीते दिए और उन्हें बाहर जाकर इस सम्मान समारोह को और आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। इसके बाद उन्हें यह भी पता लगाना था कि किसने किसे सम्मानित किया और एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।
कक्षा का एक छात्र स्कूल के पास स्थित एक कंपनी में गया जिसने उसके कैरियर को संवारने में सहायता की थी। छात्र ने उस कंपनी के एक जूनियर कर्मचारी को सम्मानित किया तथा उसकी शर्ट पर नीला फीता लगाया। फिर उसने उस कर्मचारी को दो फीते और दिए तथा कहा - हम लोग सम्मान देने का एक प्रोजेक्ट कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि आप भी किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश करें जिसने आपके जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की हो और उसे नीला फीता देकर सम्मानित करें। बाद मे शेष बचा एक फीता उसे सौंप दें ताकि वह भी किसी व्यक्ति को सम्मानित कर सके। इस तरह सम्मान देने का यह समारोह आगे बढ़ता रहेगा। आपको बाद में मुझे यह बताना होगा कि इसका परिणाम क्या रहा।
बाद में वह जूनियर कर्मचारी अपने बॉस के पास गया जो बहुत भला आदमी था। वह अपने बॉस से बोला कि वह उनकी सज्जनता और बुद्धिमता के लिए उन्हें पसंद करता है।
बॉस को बहुत आश्चर्य हुआ। फिर उस जूनियर कर्मचारी ने अपने बॉस से निवेदन किया कि क्या वे उसे अपनी शर्ट पर नीला फीता लगाने देंगे? बॉस ने उत्तर दिया - क्यों नहीं। जरूर।
बॉस की शर्ट पर नीला फीता लगाने के बाद उसने कहा - आप एक मेहरबानी और करें। आप यह बचा हुआ फीता लें और किसी ऐसे इंसान को भेंट करें जिसने आपके जीवन में प्रभाव डाला हो। जिस छात्र ने मुझे ये फीते दिए थे, वह चाहता था कि सम्मान देने का यह समारोह इसी तरह चलता रहे और यह पता चल सके कि इससे लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा।
उसी रात वह बॉस घर पर लौटने के बाद सीधा अपने 14 वर्ष के पुत्र के पास पहुंचा और बोला - आज मेरे साथ एक अविश्वसनीय घटना घटी। आज मेरे ऑफिस का एक जूनियर कर्मचारी मेरे पास आया और मुझे नीला फीता भेंट करते हुए बोला कि मैं एक रचनात्मक और जीनियस व्यक्ति हूं। जरा सोचो वह मुझे एक जीनियस व्यक्ति समझता है। फिर उसने मेरी शर्ट पर यह नीला फीता लगाया। इस पर लिखा है - मेरे जीवन पर प्रभाव डालने वाला। फिर उसने मुझे यह नीला फीता देते हुए कहा कि मैं इस फीते से उस व्यक्ति का सम्मान करूं जिसने मेरे जीवन में महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला हो। घर लौटते वक्त मैं सोच रहा था कि मैं यह फीता किसे दूंगा। मैंने निर्णय लिया है कि यह फीता मैं तुम्हें दूंगा...........मैं ऑफिस में काम करते-करते इतना थक जाता हूं कि तुम्हारे ऊपर ध्यान नहीं दे पाता। कभी-कभी मैं परीक्षा में अच्छे नंबर नहीं लाने और कमरे में गंदगी फैलाने के कारण तुम्हें डाटता भी हूं। पर पता नहीं क्यों आज रात मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं तुम्हें बताऊं कि तुमने मेरे जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला है। तुम्हारी मम्मी के बाद तुम ही मेरे जीवन में दूसरे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हो। तुम बहुत अच्छे बच्चे हो और मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं।
अपने पिता की बातें सुनकर वह बालक भौचक्का रह गया और सुबक-सुबक कर रोने लगा। उसका पूरा शरीर कांपने लग गया। अश्रुपूरित आँखों से उसने अपने पिता से कहा - पापा, मैं कल आत्महत्या करने की योजना बना रहा था। क्योंकि मुझे ऐसा लगता था कि आपको मुझसे प्यार नहीं है। अब मैंने आत्महत्या का विचार त्याग दिया है।
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व्यस्त
एक लकङहारे को एक काष्ठ कंपनी में नौकरी मिल गयी। उसकी तनख्वाह और कार्यदशा बहुत अच्छी थी। इन वजहों से वह कर्मचारी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता था।
उसके बॉस ने उसे एक कुल्हाड़ी दी और काम करने का इलाका बता दिया।
पहले दिन वह लकड़हारा अठारह पेड़ काट कर लाया।
बॉस ने उसे बधाई देते हुए कहा - शाबास! इसी तरह तल्लीनता से काम में लगे रहो।
बॉस के अच्छे शब्दों से प्रभावित होकर उस लकड़हारे ने दूसरे दिन और अधिक परिश्रम किया परंतु वह केवल पंद्रह पेड़ ही काट सका। तीसरे दिन उसने और अधिक मेहनत की परंतु दस पेड़ ही काट सका। धीरे-धीरे उसके द्वारा काटे गए पेड़ों की संख्या कम होती गयी।
लकड़हारे ने सोचा कि उसकी काम करने की क्षमता घटती जा रही है। वह अपने बॉस के पास पहुंचा और माफी मांगते हुए बोला - मुझे समझ ने नहीं आ रहा है कि यह क्या हो रहा है।
बॉस ने उससे पूछा - तुमने आखिरी बार कब अपनी कुल्हाड़ी में धारदार की थी?
कुल्हाड़ी पर धार? पर मैं तो पेड़ काटने में इतना व्यस्त था कि मुझे धार तेज करवाने का समय ही नहीं मिला।
यदि मेरे पास पेड़ काटने के लिए आठ घंटे होते तो सात घंटे में कुल्हाड़ी की धार तेज करता और एक घंटे कटाई।
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सही व्यक्ति से मांगना
एक बार राजा विक्रांत जंगल में रास्ता भटक गये। एक किसान ने उन्हें शरण दी और प्रेमपूर्वक उनका आदर-सत्कार किया। वह किसान यह नहीं जानता था कि जिस मेहमान का वह सत्कार कर रहा है, वह राजा विक्रांत हैं। वहां से जाते समय राजा ने उस किसान को एक पहचान पत्र दिया जिस पर राज्य की मुहर लगी थी और कहा - जब भी तुम्हें कोई परेशानी हो तो राजदरबार में इस पहचानपत्र को लेकर आ जाना। वह किसान बहुत मेहनती था। वह अपने आप में संतुष्ट था तथा कुछ समय बाद ही इस घटना को भूल गया।
एक बार वह किसान दुर्भाग्यवश किसी समस्या में फंस गया और उसे राजा की बात याद आयी। वह उस पहचानपत्र को लेकर राजदरबार में पहुंचा। राजा विक्रांत उस समय पूजा अर्चना में व्यस्त थे। दरबानों ने पहचान पत्र देखकर उस किसान को भीतर जाने दिया। किसान ने देखा कि राजा ईश्वर की प्रतिमा के समक्ष सिर झुकाकर वरदान मांग रहे थे।
इस घटना ने उस किसान की आत्मा एवं आत्मसम्मान को झकझोर दिया। उसने सोचा - परमपिता परमात्मा ही सर्वोपरि दानी है। मांगना ही है तो ईश्वर से ही मांगा जाए किसी मनुष्य से नहीं। वह वापस जाने लगा। राजा उसे पहचान गया और उसे रोककर मदद करने की इच्छा प्रकट की। किसान ने उत्तर दिया - महाराज, मैं यहाँ आपसे मदद मांगने ही आया था। परंतु अब मैं परमपिता परमात्मा से ही मांगूंगा जिससे आप भी मांग रहे थे।
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होनहार विरवान के होत चीकने पात
एक स्कूल के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के दौरान एक स्वैच्छिक कार्यकर्ता की नियुक्ति आमंत्रणपत्रों की जांच एवं मेहमानों को उचित स्थान पर बैठाने के लिए मुख्य द्वार पर की गयी थी।
उस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधान न्यायाधीश महादेव गोविंद रानाडे थे। जैसे ही वे मुख्य द्वार पहुंचे, उस कार्यकर्ता ने उनसे आमंत्रण पत्र मांगा। रानाडे ने उत्तर दिया - परंतु मैं तो अपना आमंत्रण पत्र साथ लेकर नहीं आया।
कार्यकर्ता ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया - माफ कीजिए, आप अंदर नहीं जा सकते। उस समय तक स्वागत समिति के सदस्य मुख्य अतिथि के स्वागत और उन्हें मंच तक ले जाने के लिए मुख्य द्वार पर आ चुके थे। लेकिन कार्यकर्ता ने उन्हें रोककर कहा - श्रीमान, यदि स्वागत समिति के सदस्यों की ओर से बाधा पहुंचायी जाएगी, तो मैं अपने कर्तव्य का निर्वहन कैसे करूंगा? चाहे कोई भी अतिथि हो, उनके पास आमंत्रण पत्र होना चाहिए। मैं भेदभाव नहीं कर सकता।
यह कार्यकर्ता और कोई नहीं बल्कि गोपाल कृष्ण गोखले थे, जिन्होंने अपनी आखिरी सांस तक मातृभूमि की सेवा की और जिन्हें महात्मा गांधी के गुरू के रूप में भी जाना जाता है।
(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण हैं उन्हें इस बात का पता चलना चाहिये..
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