आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 367 पेपर क्लिप अपना एक शोधपत्र लि...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
367
पेपर क्लिप
अपना एक शोधपत्र लिखने के बाद आइंस्टीन और उनके एक सहयोगी ने कागज़ों को नत्थी करने के लिए पेपर क्लिप को ढूंढना शुरू किया। अंततः उन्हें एक टेढ़ी-मेढ़ी पेपर क्लिप मिली जो प्रयोग में लाने योग्य नहीं थी।
फिर उन लोगों ने उस क्लिप को सीधा करने का निर्णय लिया तथा उसके लिए उपकरण की तलाश शुरू की। अल्मारी की कई दराजों में तलाश करने के बाद अंततः उन्हें अच्छी क्लिपों का एक डिब्बा मिला। जिसमें से एक क्लिप को निकालकर आइंस्टीन ने उपकरण बनाना शुरू कर दिया। उनके सहयोगी ने हतप्रभ होते हुए पूछा कि जब इतनी सारी अच्छी क्लिप मौजूद हैं तो आप उस टेढ़ी-मेढ़ी क्लिप को ही सीधा करने पर क्यों उतारू हैं?
आइंस्टीन ने उत्तर दिया - "यदि एकबार मैं किसी काम को करने का निर्णय ले लेता हूँ, तो चाहे कितनी भी परेशानियां आयें मैं उस काम को पूरा करके ही दम लेता हूँ।"
प्रैंस्टन में अपने एक सहयोगी को यह कथा सुनाते हुए आइंस्टीन ने कहा था
कि इस कथा से उनके व्यक्तित्व के बारे में पूरी जानकारी मिलती है।
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368
इससे मरने में आसानी होगी
एक स्वामी जी के शिष्य को जब अपने घर में आग लगने की जानकारी मिली तो वह अपने घर की ओर दौड़ा। तब तक पूरा घर जलकर स्वाहा हो चुका था।
वह शिष्य भी बूढ़ा था और उसकी सारी संपत्ति जल गयी थी। आश्रम के सभी लोग उससे सहानुभति प्रकट करने लगे। इस घटना पर स्वामी जी ने सिर्फ यही कहा कि "इससे मरने में आसानी होगी।"
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निष्ठावान
एक राजा रात के समय अपने साम्राज्य के भ्रमण पर था। वह नशे में धुत्त था। नशे में उसने अपनी प्रजा की बहु-बेटियों के साथ छेड़खानी शुरू कर दी। राजा के साथ कई सैनिक और सेवक थे परंतु किसी ने भी राजा को रोकने की हिम्मत नहीं दिखायी। अंततः एक वृद्ध सेवक ने आगे बढ़कर राजा को रोका तथा पकड़कर महल में वापस ले आया।
अगले दिन भरे दरबार में उसे राजा के सम्मुख प्रस्तुत किया गया। दरबारियों ने राजा से उस सेवक की गुस्ताखी का जिक्र करते हुए मर्यादा के प्रतिकूल कार्य करने के लिए उसे सख्त से सख्त सज़ा देने का अनुरोध किया।
कुछ देर के सन्नाटे के बाद राजा उठे और बोले कि एक सच्चा निष्ठावान सेवक ही अपने राजा को हमेशा अन्यायपूर्ण कार्य करने से रोकेगा तथा पथभ्रष्ट नहीं होने देगा। राजा ने उस सेवक को उसकी निष्ठा के लिए पुरस्कृत किया तथा उसे उच्च पद पर पदोन्नत किया।
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370
पवित्रता
पूरे देश में दूर पर्वत पर बनी कुटिया में रहने वाले एक पवित्र संत की ख्याति फैल गयी थी। वहां से काफी दूर स्थित एक गांव में रहने वाले व्यक्ति ने कठिन यात्रा कर उस संत के पास जाने का निर्णय लिया।
कई दिनों की कठिन यात्रा के उपरांत जब वह व्यक्ति इस संत की कुटिया तक पहुंचा तो उसने दरवाज़े पर एक नौकर को खड़ा हुआ पाया। उसने नौकर से कुटिया के भीतर जाकर पवित्र संत को दर्शन करने की अभिलाषा प्रकट की। नौकर मुस्कराया और उस व्यक्ति को लेकर कुटिया के अंदर गया। जैसे ही उस व्यक्ति ने कुटिया में प्रवेश किया उसकी नज़रें पवित्र संत को तलाशने लगीं जिनके दर्शन के लिए वह इतनी दूर चलकर आया था। पर वहाँ कोई नहीं था।
इसके पहले कि वह कुछ समझ पाता वह नौकर उसे बाहर ले आया। वह व्यक्ति मुड़ा और नौकर से बोला - "परंतु मैं पवित्र संत के दर्शन करना चाहता हूँ।"
नौकर ने उत्तर दिया - "दर्शन तो तुम पहले ही कर चुके हो। अपने जीवन में तुम जिस किसी भी व्यक्ति से मिलो, उसे बुद्धिमान पवित्र व्यक्ति ही समझो चाहे वह कितना भी साधारण दिखायी दे रहा हो। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारी वे सभी समस्यायें जिन्हें लेकर तुम यहाँ आए हो अपनेआप दूर हो जाएगीं।"
(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
बढिया कहानियां।
हटाएंहर कहानी में सीखने योग्य बातें।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
जय हिंद...वंदे मातरम्।
वाकई शानदार कहानियां...
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