आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 353 उसका कोई परिवार नहीं है एक परिवा...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
353
उसका कोई परिवार नहीं है
एक परिवार रात्रिभोज के समय एकत्रित था। तभी घर के सबसे बड़े पुत्र ने घोषणा की कि वह गली के मोड़ पर रहने वाली लड़की से शादी करने जा रहा है।
यह सुनकर उसके पिता बोले – “लेकिन उस लड़की के परिवार ने तो उसके लिए एक भी पैसा नहीं छोड़ा है।”
माताजी बोलीं – “और उसने भी कोई बचत नहीं की है।”
छोटे भाई ने कहा – “वह फुटबॉल के बारे में भी कुछ नहीं जानती।”
बहन बोली – “और उसके बाल तो बिल्कुल जोकरों जैसे हैं।”
चाचाजी बोले – “वह हर समय सिर्फ उपन्यास ही पढ़ती रहती है।”
दादीजी बोलीं – “और वह बिल्कुल भी किफायती नहीं है।”
“आप सभी बिल्कुल सही कह रहे हैं परंतु वह फिर भी इस घर में आने के योग्य है।” – लड़के ने कहा।
“वह कैसे?” – सभी ने जानना चाहा।
लड़के ने कहा - “क्योंकि उसका कोई परिवार नहीं है।”
354
वास्तविक जीवन में तुलनात्मकता
एक नौजवान अमेरिकी युवक को व्हाइट हाउस में क्लर्क की नौकरी मिल गयी और उस राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले भोज का आमंत्रण प्राप्त हुआ।
उसने सोचा कि उसकी माँ को यह जानकर बहुत खुशी होगी कि मैं व्हाइट हाउस से बोल रहा हूँ। अत: उसने अपनी माँ को फाने लगाया और बोला – “माँ, आज का दिन मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है। तुम जानती हो क्यों? मैं इस समय व्हाइट हाउस से बोल रहा हूँ।”
लेकिन उसे माँ की ओर से अपेक्षा के अनुरूप प्रतिक्रिया नहीं मिली। बात के अंत में उन्होंने कहा – “बेटा आज मेरे लिए भी बहुत बड़ा दिन है।”
“सच माँ। कैसे?” – बेटा बोला।
“आखिरकार आज मैंने अपने घर की अटारी साफ कर ली है।” - माँ ने उत्तर दिया।
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107
अपने आप को प्रकाशित करें
जब बुद्ध मृत्युशैय्या पर थे, तो एक समय उनका एक शिष्य आनंद जार जार रोने लगा. बुद्ध ने क्षीण आवाज में उससे रोने का कारण पूछा.
आनंद ने कहा – “तथागत, मेरे जीवन का प्रकाश तो खत्म हो रहा है. आपके बगैर मेरे जीवन का क्या होगा? मैं आपके बगैर नहीं रह सकता.”
बुद्ध ने धीरे से कहा – “इस तरह की मूर्खतापूर्ण बातें मत करो. अपने आप को प्रकाशित करो. प्रकाश तुम्हारे भीतर स्वयं है. उसे पहचानो.”
आपके भीतर भी बुद्ध जैसा प्रकाश है. उसे पहचानें. पहले अपने आप पर विश्वास करना सीखें.
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108
क्या आपके बगैर दुनिया रह लेगी?
एक व्यक्ति दुनियादारी छोड़कर सन्यास लेने का विचार कर रहा था. उसने अपने गुरु से यह बात बताई, परंतु साथ ही यह कहा कि उसका घर परिवार, बच्चे और पत्नी उसे सन्यास लेने नहीं दे रहे क्योंकि वे मुझसे बेहद प्यार करते हैं.
“प्यार!” गुरु ने कहा – “यह तो किसी सूरत प्यार नहीं है. अच्छा ठीक है सुनो...” और फिर गुरु ने उसे वह योग विद्या सिखाई जिससे वह अपनी सांसें रोककर मुर्दा जैसी अवस्था में घंटों रह सकता था.
दूसरे दिन वह व्यक्ति अपने घर पर मुर्दा पाया गया. परिवार के सारे लोग इकट्ठे हो गए. सभी जार जार रो रहे थे, विलाप कर रहे थे, क्रंदन कर रहे थे. पत्नी सबसे ज्यादा दुःखी प्रतीत हो रही थी.
वह व्यक्ति मुर्दा अवस्था में था, मगर योग अवस्था में आसपास के माहोल को महसूस कर सकता था, सुन सकता था. उसे बड़ा सुकून मिला कि उसका परिवार उसे कितना प्यार करता है. और वह सन्यास का इरादा त्यागने का फैसला कर लिया.
इतने में वहाँ उसका गुरु पहुँचा. उसने परिवार को सांत्वना दी और कहा कि वह इस मुर्दे में वापस जान फूंक सकता है. परंतु इसके लिए परिवार के किसी अन्य सदस्य को अपना प्राण त्यागना होगा.
और, यह क्या! सबकी सांसें ऊपर की ऊपर ही रह गईं. हरेक ने अपनी जिम्मेदारियाँ सुनानी शुरू कर दीं कि उसका जीना ज्यादा जरूरी है.
अंत में उसकी पत्नी की ओर गुरु ने देखा. पत्नी ने कहा – “हम इनके बगैर जी लेंगे...”
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
प्रभावी कहानियों का संकलन..
हटाएंखज़ाना हैं आपकी ये कहानिया...
हटाएंबहुत ही शानदार।
हटाएंबेहतरीन कहानी....
हटाएंयहां प्रस्तुत कहानियों में जिंदगी का काफी कुछ संदेश मौजूद है..... पूरा संकलन सच में पढनीय होगा।
आभार जानकारी के लिए।
हाय, आदमी ने उसके बाद जिन्दगी कैसे गुजारी होगी?
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