101 ई-शिष्टाचार एक समय था, जब आदमी जेंटलमेन (सभ्य पुरुष) होता था और स्त्री - लेडी. परंतु आज? आज हम रोज कुछ इस तरह के प्रश्नों का सामना क...
101 ई-शिष्टाचार
एक समय था, जब आदमी जेंटलमेन (सभ्य पुरुष) होता था और स्त्री - लेडी. परंतु आज? आज हम रोज कुछ इस तरह के प्रश्नों का सामना करते हैं – “क्या यह ठीक होगा कि मैं किसी अजनबी के फ़ेसबुक मित्र निवेदन को अनदेखा कर दूं?” “रेस्त्रॉ में टेबल पर मोबाइल फ़ोन रखना क्या शिष्टाचार के विरुद्ध है?” या “कैफ़े कॉफ़ी डे के फ्री वाई-फ़ाई को मैं बिना कुछ ऑर्डर किए कितनी देर तक मुफ़्त में प्रयोग करता रह सकता हूँ?”
डिजिटल लाइफ़ स्टाइल हमारे दैनिंदनी जीवन और आचार व्यवहार तथा शिष्टाचार में बड़ी मात्रा में परिवर्तन ला रहे हैं. अब लाख टके का सवाल ये है कि ऐसे में, नए, डिजिटल जमाने में ई-शिष्टाचार सीखने के लिए हम किसकी शरण में जाएँ?
यहाँ पर ई-एटीकेट में संकलित 101 ई-शिष्टाचारों को विशेष अनुमति से खास आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं. इन ई-शिष्टाचारों को लंबे समय के अंतराल में तमाम प्रयोक्ताओं के सुझावों के आधार पर संकलित किया गया है, और हर किसी के लिए उपयोगी हैं. तो, आपके लिए पहला शिष्टाचार यह है कि इसे अधिकाधिक लोगों तक प्रेषित करें ताकि हम सबका डिजिटल जीवन शिष्टाचार मय हो.
एक समय था, जब आदमी जेंटलमेन (सभ्य पुरुष) होता था और स्त्री - लेडी. परंतु आज? आज हम रोज कुछ इस तरह के प्रश्नों का सामना करते हैं – “क्या यह ठीक होगा कि मैं किसी अजनबी के फ़ेसबुक मित्र निवेदन को अनदेखा कर दूं?” “रेस्त्रॉ में टेबल पर मोबाइल फ़ोन रखना क्या शिष्टाचार के विरुद्ध है?” या “कैफ़े कॉफ़ी डे के फ्री वाई-फ़ाई को मैं बिना कुछ ऑर्डर किए कितनी देर तक मुफ़्त में प्रयोग करता रह सकता हूँ?”
डिजिटल लाइफ़ स्टाइल हमारे दैनिंदनी जीवन और आचार व्यवहार तथा शिष्टाचार में बड़ी मात्रा में परिवर्तन ला रहे हैं. अब लाख टके का सवाल ये है कि ऐसे में, नए, डिजिटल जमाने में ई-शिष्टाचार सीखने के लिए हम किसकी शरण में जाएँ?
यहाँ पर ई-एटीकेट में संकलित 101 ई-शिष्टाचारों को विशेष अनुमति से खास आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं. इन ई-शिष्टाचारों को लंबे समय के अंतराल में तमाम प्रयोक्ताओं के सुझावों के आधार पर संकलित किया गया है, और हर किसी के लिए उपयोगी हैं. तो, आपके लिए पहला शिष्टाचार यह है कि इसे अधिकाधिक लोगों तक प्रेषित करें ताकि हम सबका डिजिटल जीवन शिष्टाचार मय हो.
ई-शिष्टाचार – 1-10
1. किसी नए संचार चैनल का प्रयोग करने से पहले ठीक से अवलोकन कर लें और बुनियादी शिष्टाचार सीख लें.
2. प्रत्येक व्यक्तिगत ई-मेल का (जहाँ तक संभव हो) प्रत्युत्तर समय के भीतर दें.
3. पत्राचार व संवाद प्रारंभ कर सामने वाले के प्रति अपनी अपेक्षाओं को स्पष्ट करें.
4. ई-मेल को संक्षिप्त व विषय पर सीमित रखें. यदि आप लंबे ई-मेल लिखते हैं तो उतने ही लंबे प्रत्युत्तर की आकांक्षा न पालें.
5. लंबे ई-मेल अथवा अन्य किसी ई-मेल का अपरिहार्य कारणों से तत्काल जवाब नहीं दिया जा सकता हो तो ऐसे ई-मेल की पावती दें.
6. अपने प्रश्नों को सरल रखें जिनका उत्तर आसानी से दिया जा सके. इसी प्रकार प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अलग से दें.
7. एसएमएस किस्म के, वर्तनी की गलतियों समेत औपचारिक ई-मेल से खराब छवि बनती है.
8. किसी दूसरे की वर्तनी की ग़लतियों को सरेआम न उछालें.
9. व्यक्तियों के नामों – खासकर अंग्रेज़ी व अन्य भाषा के नामों की गलत वर्तनी से बचने के लिए कॉपी-पेस्ट का सहारा लें.
10. यदि आपको संदेश के अंत में यह लिखा मिले – ‘मेरे मोबाइल फ़ोन से भेजा गया’ तब फिर आप संदेश की संक्षिप्तता और यदा कदा वर्तनी गलतियों को स्वीकारें.
पावती की बात समझ नहीं आई। इनमें से एक तो पहली बार ध्यान दिलाया गया और सही है। इस पर ध्यान नहीं दिया कभी गम्भीरता से। अब देंगे। बताने के लिए धन्यवाद!
हटाएंई-शिष्टाचार हेतु कोई आचरण संहिता तैयार की गई है, यह जानकर अच्छा लगा। मुझे, यद्यपि बहुत कम काम पडता है किन्तु यह देखकर अच्छा लग रहा है कि मैं इनमें से अधिकांश बातों का पालन कर रहा हूँ - आचरण संहिता के बारे मे कोई जानकारी होने से पहले ही। यह आपकी संगति का ही प्रभाव है। आपको धन्यवाद।
हटाएंImpressive initiation, Ravi bhai..These are really important as reach of internet going to more n more people..
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