101 ई-शिष्टाचार एक समय था, जब आदमी जेंटलमेन (सभ्य पुरुष) होता था और स्त्री - लेडी. परंतु आज? आज हम रोज कुछ इस तरह के प्रश्नों का सामना ...
101 ई-शिष्टाचार
एक समय था, जब आदमी जेंटलमेन (सभ्य पुरुष) होता था और स्त्री - लेडी. परंतु आज? आज हम रोज कुछ इस तरह के प्रश्नों का सामना करते हैं – “क्या यह ठीक होगा कि मैं किसी अजनबी के फ़ेसबुक मित्र निवेदन को अनदेखा कर दूं?” “रेस्त्रॉ में टेबल पर मोबाइल फ़ोन रखना क्या शिष्टाचार के विरुद्ध है?” या “कैफ़े कॉफ़ी डे के फ्री वाई-फ़ाई को मैं बिना कुछ ऑर्डर किए कितनी देर तक मुफ़्त में प्रयोग करता रह सकता हूँ?”
डिजिटल लाइफ़ स्टाइल हमारे दैनिंदनी जीवन और आचार व्यवहार तथा शिष्टाचार में बड़ी मात्रा में परिवर्तन ला रहे हैं. अब लाख टके का सवाल ये है कि ऐसे में, नए, डिजिटल जमाने में ई-शिष्टाचार सीखने के लिए हम किसकी शरण में जाएँ?
यहाँ पर ई-एटीकेट में संकलित 101 ई-शिष्टाचारों को विशेष अनुमति से खास आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं. इन ई-शिष्टाचारों को लंबे समय के अंतराल में तमाम प्रयोक्ताओं के सुझावों के आधार पर संकलित किया गया है, और हर किसी के लिए उपयोगी हैं. तो, आपके लिए पहला शिष्टाचार यह है कि इसे अधिकाधिक लोगों तक प्रेषित करें ताकि हम सबका डिजिटल जीवन शिष्टाचार मय हो.
11. बड़े आकार वाले ई-मेल संलग्नक भेजना कुछ-कुछ ऐसा ही है जैसे कि भारी-भरकम लगेज के साथ यात्रा करना. यह तंत्र को बेहद धीमा बना सकता है.
12. जब आप पहली-पहली बार किसी को ई-मेल भेज रहे हैं तो उपयुक्त अभिवादन अवश्य लगाएँ. बाद के पत्र-व्यवहार में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकते हैं.
13. कैपिटल (रोमन लिपि के लिए लागू) अक्षरों में ई-मेल भेजना जोर-जोर से चिल्लाने का प्रतीक समझा जाता है और यह पठन-पाठन में कठिन भी होता है.
14. अपने ई-मेल में आवश्यकतानुसार विराम चिह्नों का प्रयोग अवश्य करें. इसका अभाव आपकी अज्ञानता अथवा आपके आलस्य का प्रदर्शन करता है.
15. महत्वपूर्ण ई-मेल जिनका जवाब लिखने में समय लग सकता हो तो उनकी पावती पहले दें.
16. देर से दिए गए प्रत्युत्तर के लिए क्षमा अवश्य मांगें.
17. घर पर/काम पर नहीं/छुट्टी पर रहने का संदेश फ़ायदेमंद होता है. ऐसे संदेशों को छोटा रखें और अत्यावश्यक संदेशों हेतु वैकल्पिक संपर्क पता दें.
18. ई-मेल लिखते समय कार्यालयीन व मशीनी भाषा का प्रयोग न करें, बल्कि ऐसी भाषा का प्रयोग करें जिससे अपनेपन का भान हो.
19. ई-मेल, चैट, फ़ेसबुक इत्यादि में दिन-भर मस्त न रहें. ई-मेल चेक करने के लिए भी कोई समय नियत करें – सुबह-शाम तथा वाकई जरूरी हो तो दोपहर भी.
20. यदि आपके ऑफ़िस क्यूबिकल पास पास हैं, तो ऐसा कीबोर्ड प्रयोग करें जिसमें टाइपिंग के दौरान न्यूनतम आवाज निकलती हो. कीस्ट्रोक भी हल्का लगाएं, न कि मशीनगन की तरह इसे चलाएँ.
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एक समय था, जब आदमी जेंटलमेन (सभ्य पुरुष) होता था और स्त्री - लेडी. परंतु आज? आज हम रोज कुछ इस तरह के प्रश्नों का सामना करते हैं – “क्या यह ठीक होगा कि मैं किसी अजनबी के फ़ेसबुक मित्र निवेदन को अनदेखा कर दूं?” “रेस्त्रॉ में टेबल पर मोबाइल फ़ोन रखना क्या शिष्टाचार के विरुद्ध है?” या “कैफ़े कॉफ़ी डे के फ्री वाई-फ़ाई को मैं बिना कुछ ऑर्डर किए कितनी देर तक मुफ़्त में प्रयोग करता रह सकता हूँ?”
डिजिटल लाइफ़ स्टाइल हमारे दैनिंदनी जीवन और आचार व्यवहार तथा शिष्टाचार में बड़ी मात्रा में परिवर्तन ला रहे हैं. अब लाख टके का सवाल ये है कि ऐसे में, नए, डिजिटल जमाने में ई-शिष्टाचार सीखने के लिए हम किसकी शरण में जाएँ?
यहाँ पर ई-एटीकेट में संकलित 101 ई-शिष्टाचारों को विशेष अनुमति से खास आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं. इन ई-शिष्टाचारों को लंबे समय के अंतराल में तमाम प्रयोक्ताओं के सुझावों के आधार पर संकलित किया गया है, और हर किसी के लिए उपयोगी हैं. तो, आपके लिए पहला शिष्टाचार यह है कि इसे अधिकाधिक लोगों तक प्रेषित करें ताकि हम सबका डिजिटल जीवन शिष्टाचार मय हो.
ई-शिष्टाचार – 11-20
11. बड़े आकार वाले ई-मेल संलग्नक भेजना कुछ-कुछ ऐसा ही है जैसे कि भारी-भरकम लगेज के साथ यात्रा करना. यह तंत्र को बेहद धीमा बना सकता है.
बहुत ही उपयोगी सुझाव। आभार।
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क्या आपके ब्लॉग में वाइरस है?
बिल्ली बोली चूहा से: आओ बाँध दूँ राखी...
मशीनगन वाली बात पर तो हँसी आ गई। ठीक लग रहा है।
जवाब देंहटाएंसुकून से बैठकर पढ़ते हैं, कुछ का पालन तो हम भी नहीं कर पाते हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छे सुझाव हैं।
जवाब देंहटाएंएक सुझाव है "(छींटे और बौछारें में मूलतः प्रकाशित)" पोस्ट के अन्त में अजीब लगता है (मेरा मतलब है कि इसी ब्लॉग छीटें और बौछारें पर)। यह लाइन फीड में ही जाये इसके लिये फीडबर्नर में Summary Burner का उपयोग करें, उसमें नीचे यह पंक्ति जोड़ दें। ऐसा करने से वह मूल ब्लॉग पोस्ट पर तो न दिखेगी पर फीड में दिखेगी। ब्लॉगर में भी शायद ऐसा करने हेतु प्रावधान होगा।
अच्छी जानकारी। हम तो अधिकतर इन्हें अपनाते भी हैं॥
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