टेलिविजन और फ़िल्म के लोकप्रिय कलाकार हर्ष छाया अपने रोजमर्रा के अनुभवों को जीन्सगुरू नामक ब्लॉग पर कमाल के ब्लॉग पोस्टों में परिवर्तित करत...
टेलिविजन और फ़िल्म के लोकप्रिय कलाकार हर्ष छाया अपने रोजमर्रा के अनुभवों को जीन्सगुरू नामक ब्लॉग पर कमाल के ब्लॉग पोस्टों में परिवर्तित करते रहे हैं. उनकी एक पोस्ट
...96 घन्टे और 4 बातें...
को चिट्ठाचर्चा में
मामू.. आई लव्ड दिस वन रे… क्या लिखते हैं आप…!
नाम से टीपा गया था. इस पोस्ट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी लेखनी कितनी कमाल की है और वे कितनी भावपूर्ण, रोचक अंदाज में लिखते हैं.
हर्ष छाया ने अपनी उन्हीं पोस्टों में से चंद चुनिंदा तथा अपने अन्य और भी अनुभवों को संकलित कर एक किताब की शक्ल दी है. जिसका नाम है चूरन. चूरन प्रस्तुत करते हुए वे लिखते हैं -
जी हाँ...चूरन…. कुछ खट्टा कुछ मीठा कुल मिलाकर चटपटा...मेरे ये संस्मरण, कहानियाँ और किस्से, अगर आपकी किसी याद, किसी किस्से को या किसी भावना को "कोहनी" करें और कुछ देर के लिये आपको अपनी ही दुनिया में ले जाये तो मुझे मेरा प्रयास सफल होने की बेहद खुशी होगी...इसे आप कहीं से भी पढ़ना शुरू कर सकते हैं । जो अध्याय खुल जाए वहीं से यह किताब शुरू होती है..वैसे अगर आप चाहें तो पहले पन्ने से भी शुरूआत कर सकते हैं.
हिंदी ब्लॉग पोस्टों को किताबी शक्ल देने के कुछ प्रयास पहले भी हुए हैं. परंतु कमर्शियल स्तर पर वृहद रूप में बाकायदा प्लानिंग कर प्रकाशित करने का यह प्रथम प्रयास माना जाना चाहिए.
हर्ष छाया के हिंदी ब्लॉग पोस्टों के संकलन की किताब चूरन की कीमत बेहद वाजिब है और मात्र 150 रुपए में इसे खरीदा जा सकता है. 200 रुपए में किताब चूरन घर बैठे मंगवाई जा सकती है (कैश ऑन डिलीवरी). अधिक विवरण के लिए यहाँ देखें - http://www.harshchhayaworld.com/html/feedbk_cntct.html
हर्ष छाया को बधाई व शुभकामनाएँ. उनके दर्जनों किस्म की चूरनें जल्द निकलें और वे सब की सब बेस्ट सेलर हों.
बहुत बधाई हो हर्ष छाया जी को।
हटाएंblog to invitation based hai
हटाएंBadhai harsh ji ko
हटाएंअच्छी प्रस्तुति है
हटाएंपढ़ कर अच्छा लगा
- विजय तिवारी 'किसलय '
हिंदी साहित्य संगम जबलपुर
रवी...आभार कि यह बात यहाँ लिखी, ईमान्दारी से औपराचिक रूप से नहीं...प्रवीण, संजीत, विजय... शुक्रिया...अभीषेक, किताब खरीद लें... ;-)
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