कंप्यूटर स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने के फलस्वरूप जब मेरे चश्मे के पुराने नंबर ने काम करने से पूरी तरह मना कर दिया तो अंततः मॉनीटर को उसके र...
कंप्यूटर स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने के फलस्वरूप जब मेरे चश्मे के पुराने नंबर ने काम करने से पूरी तरह मना कर दिया तो अंततः मॉनीटर को उसके रहमोकरम पर छोड़ कर बाजार की ओर रूख करना ही पड़ा.
चौराहे पर टाईटन आई+ के विशालकाय पोस्टर पर अनायास नजर पड़ गई जिसे इरादतन अनायास नजर पड़ने के लिए ही वहाँ लगाया गया था. आपकी आँखों के लिए नवीन तकनॉलाज़ी के बेहतरीन चश्मे – टाइटन आई+.
अरे! यही तो मुझे लेना था और इसी की तलाश में मैं निकला था. जगमगाते शोरूम में पहुँच कर एक चमचमाता फ्रेम भी पसंद किया क्योंकि पुराने नीले पड़ चुके फ्रेम का विशेष किस्म का स्क्रू भी यू-ट्यूब वीडियो को स्पष्ट रूप से देखने के चक्कर में कहीं गिर चुका था - बार बार चश्मे को पोंछना जो पड़ता था.
नंबर आदि की जाँच के बाद लैंस के कांचों की कई-कई किस्में बताई गईं. अब अपनी आँखों का खयाल तो रखना ही था सो एक अच्छे कांच को चुना गया. बिल आम बाजारी चश्मे से कई गुना आ रहा था, मगर नाम का टैग टाइटन आई+ भी तो लगा था (ग़नीमत टैग रे-बैन या पोलराइड नहीं था)
चश्मे की डिलीवरी कोई सात दिन बाद देने की बात कही गई. पूछने से ज्ञान में वृद्धि हुई कि चश्मे के लैंस बैंगलोर लैब से आते हैं. यानी जल्दबाजी में चश्मा बनवाना हो तो टाइटन आई+ की ओर कतई निगाहें न करें.
एक हफ़्ते बाद चश्मा आया तो लगाकर पढ़ने में थोड़ा अजीब लगा. आमतौर पर नया नंबर सेट होने में कुछ वक्त आँखों को लगता ही है.
मगर यहाँ तो बात ही दूसरी थी.
यहाँ पर मेरे बाइफ़ोकल चश्मे में पढ़ने वाले लैंस में रेड (केसरिया) कलर ब्लीड हो रहा था. इसे समझाने के लिए एक चित्र की सहायता लेनी पड़ेगी. मुझे एक सामान्य पाठ का श्वेत-श्याम अक्षर कुछ इस तरह नजर आ रहा था -
मैंने अपनी समस्या बताई. पहले तो स्टाफ मानने को तैयार नहीं था. पर जब मैंने अपनी बात दृढ़ता-पूर्वक रखी तो मान लिया गया और कहा कि लैंस को बैंगलोर भेजकर टेस्ट/ठीक करवाएँगे. इस काम में पूरा एक महीना लग गया.
महीनेभर बाद दोबारा जब लैंस (तथाकथित रूप से) वापस ठीक कर आया तो जाँच में फिर वही ढाक के तीन पात. यानी समस्या बाल बराबर भी सुलझी नहीं. सेल्स पर्सन का कहना है कि यह समस्या पहली और यूनीक है. मैं भी कहता हूँ कि हाँ, ये यूनीक ही है क्योंकि अब तक मैंने दसियों चश्मे पहने उनमें ऐसी समस्या नहीं थी यहाँ तक कि उनके यहाँ आईटैस्टिंग किट के लैंसों में भी नहीं!
अब दोबारा लैंस को बदलने के लिए भेजा गया है. शायद इस बार कोई दूसरी क्वालिटी का लैंस लगाया जाएगा, अथवा लैंस में की गई विशेष कोटिंग हटाई जाएगी.
मैंने अपनी समस्या टाईटन आई+ की साइट पर भी दर्ज करवाई. मगर, आश्चर्य की बात कि वहाँ से न तो कोई प्राप्ति स्वीकृति ही आई और न ही कोई जवाब!
है न नाम आई प्लस और काम आई-माइनस ?
आपकी समस्या यूनीक नहीं है| हमारे पापा के साथ भी यही हुआ| पापा बैंगलूर आये हुए थे और उन्हें नया चश्मा बनवाना था| हम उन्हें विज़न एक्सप्रेस लेकर गए, यूँ जाना वो भी टाइटन आई + थे, पर हमारे घर के पास कोई शो रूम नहीं था तो हमने विज़न एक्सप्रेस चुना, पर अनुभव उनका बिलकुल आपके जैसा ही था| ४००० का चश्मा २ हम्फ्ते में जब बन कर आया तो उन्हें उससे डबल विज़न दिख रहा था| कम्प्लेंट करने पर उन्होंने कहा की आपकी समस्या तो यूनीक है, आपका केस बहुत कॉम्प्लीकेटेड है, आप किसी आई डाक्टर से प्रिस्क्रिप्शन लेकर आइये| बाद में प्रिस्क्रिप्शन लाने पर भी लेंस ढीले ही बने| इसे कहते हैं ऊँची दूकान फीके पकवान|
हटाएंबहुत अच्छा किया कि बता दिया।
हटाएंटाटा के नाम के चक्कर में बस वहीं जाने वाले थे, मगर युनिक समस्याग्रस्त बनना मंजूर नहीं. ठीक किया ब्लॉग डाल कर.
हटाएंooo. Thanks for saving me!
हटाएंयूनीक लोगो की प्रोबलेम भी यूनिक होती है | कही वो आपको मक्खन लगाने के लिये ही यूनिक बता रहा हो | खैर आपने अपनी बात सबके साथ शेयर की अब पाठक तो सावधान हो ही जायेंगे |
हटाएंहमारा चश्मा तो पुरानी तकनीक का है - सस्ता भी! और काम भी दे रहा है।
हटाएंहमरो इंहा खुल गेहे ये ह, बने बतायेस भईया, अब टराई नई करन भईया.
हटाएंइस पर रोल्स रॊयस की कहानी याद आई। उसकी रेप्यूटेशन बहुत है आपकी आइ+ से ज़्यादा हुआ यूं कि गाडी खरीदी गई और दो माह बाद सताने लगी। कम्पनी में भेजा गया तो पता चला कि उसमें इंजन ही नहीं लगा था। सवाल हुआ कि इतने दिन चली कैसे.... अरे वो तो रेप्यूटेशन पर चल गई
हटाएंमेरा एक चेला है जो खुद ही लेन्स बनाता है .साधारण मिलने वाले शीशो को घिस कर बनाये जाते है लेन्स ,मशीनो द्वारा .उसका छोटा सा कारखाना है और वह परफ़ेक्ट लेन्स बनाता है
हटाएंअच्छा हुआ आपसे पता चल गया. मैंने तो तय कर लिया था कि भोपाल जाकर टाइटन से ही चश्मा बनवाउंगा.
हटाएंसलामत रहें नजरें, आंख खोल देने वाली पोस्ट.
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