इट्ज़ ऑफ़ीशियल नाऊ! जर्मनी की सरकारी एजेंसियों ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस के नाम पर व्यावसायिक रूप...
इट्ज़ ऑफ़ीशियल नाऊ! जर्मनी की सरकारी एजेंसियों ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस के नाम पर व्यावसायिक रूप से बिक्रय के लिए उपलब्ध ट्रोजन (कीलॉगर) वायरस को खरीदा और उसे अपने तथाकथित सरकारी काम-काज के लिए अपनाया! मजेदार बात ये है कि यह जर्मनी के कानून के खिलाफ है!
भारत में क्या स्थिति है? यह तो सिर्फ समय का सवाल है. इट इज जस्ट ए मैटर ऑफ टाइम. (और अगर आपको यहाँ मेरी लेखनी में अंग्रेज़ी ज्यादा पढ़ने को मिले तो मुझे दोष न दें, बल्कि हिंदी लिखने की नई सरकारी नियमावली सॉरी.. रूल्ज़-एंड-रेगुलेशन एंड गाइडलाइन को देखें.) किसी दिन सुबह सुबह हमें भी यह पता चलेगा कि हमारी कुछ सरकारी एजेंसियों ने भी ऐसी ही करामातें दिखा दी हैं!
और, रहा सवाल एंटीवायरसों का, तो अब जब आपकी सरकार ही आपको वायरस परोस रही है तो कैसा भी एंटीवायरस हो वह भी क्या खाक कर लेगा!
इसलिए, अपनी दाँतों में उंगली दबाए रखिए!
जब भी हो आप ही खुलासा करियेगा।
हटाएंअभी तो चिंता की कोई बात नहीं है। हमारी सरकारे चुनावी माहौल में ऐसे कदम नहीं उठायेगी। हां..खबर तो खतरनाक है।
हटाएंभारत की सरकार के बारे में क्या सूचना है?
हटाएंबढ़िया है। हिन्दी के ऊपर यह सब बाकी था, कम से कम सरकारी आदेशों में…
हटाएंhttp://rajbhasha.nic.in/IIContent.aspx?t=enpolicyorders इस लिंक पर वह हिन्दी वाला आदेश मिल जाएगा।
हटाएंपीडीएफ़ कड़ी- http://rajbhasha.nic.in/policy26sep11.pdf
हैक कर नजर रखने का सबसे आसान तरीका ।
हटाएंकुछ भी हो सकता है... लूटतंत्र में सरकार कोई भी हथकंडा अपना सकती है
हटाएंहिन्दी गालियों की परिभाषा
are kalyug hai shaitaani dimag se saavdhan
हटाएंअपनी सरकार के कामकाज के तरीकों की मुझे पूरी जानकारी है। जब भी यह गोपनीय हरकत करेगी, उसकी सूचना सबको मिल जाएगी। आपको तो सबसे पहले मिलेगी ही।
हटाएं