चहुँओर पर्यावरण रक्षा के संदेशों के बीच जब जनता जागृत हो गई तो उसने दस्तावेज़ों के प्रिंट आउट लेना एक तरह से बंद ही कर दिया. टोनर इंक की घटत...
चहुँओर पर्यावरण रक्षा के संदेशों के बीच जब जनता जागृत हो गई तो उसने दस्तावेज़ों के प्रिंट आउट लेना एक तरह से बंद ही कर दिया. टोनर इंक की घटती डिमांड से परेशान निर्माता ने अपने सेल्समैनों से कहा – डिमांड बढ़ाओ या खुद नौकरी छोड़कर बढ़ जाओ.
एक नॉट सो ब्रिलिएंट सेल्समैन के दिमाग में एक बत्ती तब जली जब वो नौकरी न रहने की स्थिति में वापस अपने गांव जाने का प्लान कर रहा था.
वो अपनी प्लानिंग बीच में छोड़-छाड़कर अपने मैनेजर के पास भागा. उसे अपना आइडिया बताया -
“सर, टिकट के प्रतिदिन औसतन दस लाख प्रिंट आउट निकलते हैं. यदि हम बैकग्राउण्ड काला कर दें तो टोनर की खपत चार गुना बढ़ जाएगी.”
मैनेजर की आँखें चमक उठीं. वैसे भी यह तो जरा सी सेटिंग-फेटिंग से हो जाने वाला काम था.
टोनर की डिमांड फिर से बढ़ गई. कंपनी फायदे में चलने लगी.
मार्केटिंग स्ट्रेटेजी से पहले की टिकिट -
बाद की टिकिट
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अर्थव्यवस्था डुबाऊ मार्केटिंग।
हटाएंvaah ji
हटाएंकितने प्रकार का होता है भय ?
वाह अनुपम उदाहरण
हटाएंयह भी देखें, मैंने आजतक कितनी रिश्वत दी उसका हिसाब (जितना याद आया
दफ़्तर में तीन प्रिन्टर हैं, और एक A1 size plotter भी है और घर में एक प्रिन्टर है।
हटाएंपिछले सात साल से प्रिन्टर /प्लॉट्टर कार्ट्रिज पर पता नहीं कितना पैसा बर्बाद किया हूँ।
इस साल से कार्ट्रिज का री-इन्किन्ग कर के प्रयोग करने लगा हूँ।
यह HP/Epson/Canon कंपनियाँ हमी लूट रही हैं।
९०० रुपये की नयी कार्ट्रिज के बजाय हम १५० रुपये में पुराने कार्ट्रिज को री-इन्क कर रहे हैं।
मेरा एक लेसर प्रिन्टर भी है।
नये टोनेर कार्ट्रिज का दाम ३००० से भी ज्यादा है।
उसे अब ७५० रुपये में रिफ़िल करके काम चला रहा हूँ।
प्रिन्ट अच्छे निकल रहे हैं।
यह प्रिन्टर कंपनियाँ हमें धमकाते थे और कहते थे कि यदि हमने रि-इंकिन्ग की तो उनकी guarantee null and void हो जाएगी।
इतने सालों से डरता था, कहीं पैसे बचाने की चक्कर में प्रिन्टर खराब न हो जाए।
अब इन पुराने रीफ़िल किए हुए कार्ट्रिजों में भरोसा करने लगा हूँ।
जी विश्वनाथ
जब कण्डोम की बिक्री के लिए एड्स का हव्वा खडा किया जा सकता है तो यह तो कुछ भी नहीं है। किन्तु आपने चतुराई और धूर्तता का अन्तर बता दिया।
हटाएंकमाल की मार्केटिंग स्ट्रेटजी है
हटाएं@ जी. विश्वनाथ जी
मैं इंकजेट प्रिंटर के लिये 200रुपये की 200 mltr. की शीशी लाता था। डिस्पोजल सिरिंज से 20-22 बार कार्ट्रिज खुद ही रिफिल कर लेता था।
अब लेजर लिया है तो 200 रुपये में टोनर रिफिल करवा लेता हूँ।
प्रणाम
बच गए डिसमिस होने से ...:-)
हटाएंहार्दिक शुभकामनायें रवि भाई !
अन्तर सोहिलजी,
हटाएंसूचना के लिए धन्यवाद।
हम यह नहीं जानते कि री-इन्किन्ग कैसे की जाती है।
अवसर मिलने पर यह भी सीख लेंगे और स्वयं कर लेंगे।
फ़िलहाल ३००० न खर्च करके से ७५० में काम चलाने से सन्तुष्ट हूँ।
वैसे यह खर्च साल में एक बार ही करना पडता है।
इन्क जेट प्रिन्टर पर अवश्य हर महीने खर्च होता है।
सोच रहा हूँ री-इन्क करने वाले से यह सीख लूँ पर क्या वह बताने के लिए राजी हो जाएगा?
उलटा हमें कोसेगा और पूछेगा "क्यों हमारी रोजी रोटी छीनने में तुले हैं आप?"
पर उसे canon/Epson/HP वालों पर वार करने में कोई संकोच नहीं होता!
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
ravi ji aapka kartoon acha laga kya mera bhi banva payenge
हटाएंrajeshji aur me baith kar aapka blog dekh rahe the aap bhopal me ho ya kahi aur.
हटाएंkafi dino se aapne ratlam me kisi ko yad nahi kiya aap ki curent activities kya he.