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तब तो मैं ग़रीब ही भला!

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लगता है कि अब इस देश के बाशिंदों को ग़रीब बने रहने में ही भलाई है. जिधर देखो उधर ग़रीबों के लिए योजनाएँ. फलां योजना ग़रीबों के लिए ढिकां य...

अप्रैल 2006 में छींटे और बौछारें में प्रकाशित रचनाएँ...
मार्च 2006 में छींटें और बौछारें में प्रकाशित रचनाएँ....
फरवरी 2006 में छींटें और बौछारें में प्रकाशित रचनाएँ...

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लगता है कि अब इस देश के बाशिंदों को ग़रीब बने रहने में ही भलाई है. जिधर देखो उधर ग़रीबों के लिए योजनाएँ. फलां योजना ग़रीबों के लिए ढिकां योजना ग़रीबों के लिए. सरकारी तो सरकारी, गैर सरकारी और एनजीओ सभी ग़रीबों के पीछे अपनी योजनाएं लेकर पिले पड़े रहते हैं. आप कोई योजना अमीरों के लिए, यदि कोई हो तो बता दो. अब ये बात जुदा है कि ग़रीबों की योजनाओं से भला अंततः अमीरों का ही होता है. मगर, फिर योजना भी तो कोई चीज होती है या नहीं.

कोई भी योजना उठाकर देख लो. सरकार ग़रीबों को ग़रीब ही बने रहने देना चाहती है. ऊपर से ग़रीबों के लिए चुनावी साल तो बहुत ही बेकार साल होता है. वो ग़रीबों को और ज्यादा ग़रीब बनाने की फिराक में रहती है. अब चाहे शादी के समय मुफ़्त में सोना यानी मंगल-सूत्र बांटने की योजना हो या लैपटॉप की. अंदर के तो कयास ये भी हैं कि बाजार में सोने के लुढ़कने के पीछे ग़रीबों को मंगलसूत्र बांटा जाना भी है!

अभी हाल ही की खबर लें. मप्र में चुनावी वर्ष में एक योजना लाई गई है कि ग़रीबों को 1 रुपए किलो गेहूं और 2 रुपए किलो चावल दिया जाएगा. अरे भई, ये टोकन एमाउंट, 1-2 रुपए भी क्यों ले रहे हो? हम ग़रीबों का इतना खयाल नहीं रखोगे तो और कौन रखेगा. मुफ़्त में नहीं दे सकते थे तो भाव चवन्नी किलो या पाँच पैसे किलो कर देते. वैसे भी ये प्रचलन से बाहर हो गए थे, यदि भाव चवन्नी अठन्नी कर देते तो शायद ये फिर प्रचलन में आ जाते और इनकी औकात कुछ खरीदने की तो हो जाती! ग़रीबों के साथ साथ देश के लिए कुछ किया है ये हो जाता. पैसे की कीमत डॉलर के मुकाबले, बढ़े या न बढ़े, कुछ खरीदने की तो हो ही जाती!

अच्छा है. अब हम ग़रीब एक दिन काम करेंगे, और उसकी कमाई से महीने भर खाते रहेंगे. फिर एक दिन काम करेंगे और महीने भर खाते रहेंगे. इस तरह साल में बारह दिन काम कर अपना जीवन आराम से जी लेंगे. आखिर एक ग़रीब को जिंदा रहने के लिए और क्या चाहिए? अनाज और नमक. बस!

कुछ समय पहले विशिष्ट पहचान पत्र यानी आधार कार्ड बनाने की कवायद की गई थी. इसके बारे में कहा गया था कि इसमें इतनी ताकत होगी कि यह अमीरों और ग़रीबों के बीच की खाई को पाट देगा. हम ग़रीबों के तो हाथ पाँव फूल गए थे उस समय. यदि हम ग़रीबों और अमीरों में कोई अंतर नहीं रहेगा, तो हमारी पूछ परख कौन करेगा? हमारे लिए योजनाएँ कैसे आएंगी? हमारे लिए योजनाएँ कौन बनाएगा? और, सबसे बड़ी बात, सरकार चुनावी साल में आखिर करेगी क्या और कौन सी योजना लाकर वो चुनाव जीतने के अपने मंसूबे पूरा करेगी? पर, शुक्र है, आधार कार्ड की मंशा पूरी होती दिखाई नहीं दे रही, उसका खुद का आधार खिसकता जा रहा है और हम ग़रीबों को अभी थोड़ी राहत है.

हाँ, याद आया. अगले साल तो केंद्र के चुनाव भी हैं ना! सुना है कि केंद्र सरकार भी हम ग़रीबों के लिए एक नई योजना ला रही है शिक्षा का अधिकार (हाँ, ये भी तो हम ग़रीबों के लिए ही योजना थी, जिसके कारण हमरा बबुआ भी अब कॉन्वेंट में पढ़ता है अब ये बात अलग है कि उसे कक्षा में अलग बैठाया जाता है) की तरह भोजन का अधिकार. जब यह आ जाएगा तब तो और भी बल्ले बल्ले. काम करो या न करो. खाना तो बैठे-बिठाए ही मिलेगा - सरकारी अमला और सरकारी बाबू अलग से इस बात के लिए हमारे आगे पीछे घूमेंगे कि हमने खाना खाया या नहीं. खाने का अधिकार हमें ठीक तरह से मिला या नहीं. यहाँ ये बात दीगर है कि मनरेगा योजना की तरह आखिर में पैसे की भूख किनकी जगती है और किनकी मिटती है. कभी कभी तो मुझ ग़रीब को ये भी अंदेशा होता है कि हम ग़रीबों के लिए योजना बनाते समय अफ़सर और नेता अपने पैसों की भूख के लिए तो नहीं योजना बना रहे होते हैं!

इधर मैं भी ग़रीब ब्लॉगरों के लिए एक योजना पर काम कर रहा हूँ जिसमें ग़रीबों के कंप्यूटरों/स्मार्टफ़ोनों पर बिना डेटाप्लान के, बिना क्लिक किए, बैठे-बैठे मुफ़्त में ही ब्लॉग पोस्टें लिखने-पढ़ने और टिप्पणियाँ मारने को मिलेगा. पुश ईमेल की तर पुश ब्लॉग. तो बस, थोड़ा इंतजार करिए.

COMMENTS

BLOGGER: 7
  1. उडी बाबा !

    चलिए यह ठीक रहेगा................... आपको हम ब्लॉगर प्रधानमंत्री बनवा देंगे ........ और हमको शिक्षा मंत्री ! अब प्राइमरी का मास्टर ब्लॉग चलाने पर इत्ता तो हक़ बनता ही है !

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
    --
    शस्य श्यामला धरा बनाओ।
    भूमि में पौधे उपजाओ!
    अपनी प्यारी धरा बचाओ!
    --
    पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!

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  3. गरीबों का इतना पैसा बच जाये तो वे गरीब कैसे रहेंगे।

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  4. ग़रीबों को सस्ता नाज मिलेगा,नेताओं झोली भरेंगे,भ्रष्टों के पौ बारह होंगे -पर सारी चोट पड़ेगी किस पर ! ,

    जवाब दें हटाएं
  5. बेनामी9:40 pm

    mere pendrive main kahi se win32/ramnit.a trojen aa gaya tha mere paas ms security essential hai aur vo up-to-date hai main usse pendrvie ko full scan kiya phir bhi pc main win32/ramnit.a trojen aa gaya ab vo .exe, .html, .dll files aur browser ko effect kar raha hai to mere pc aur pendrive main se win32/ramnit.a ko puri tarah se door karne ka koi upay bataiye?

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  6. बहुत खूब कहा हुज़ूर |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब दें हटाएं
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