ये भारतीय क़ानून हैं.... --**--**-- क़ानून के किस्से बड़े निराले हैं. कहा जाता है कि क़ानून अंधा होता है. यह भी कहा जाता है कि बड़े औ...
ये भारतीय क़ानून हैं....
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क़ानून के किस्से बड़े निराले हैं. कहा जाता है कि क़ानून अंधा होता है. यह भी कहा जाता है कि बड़े और पैसे वालों के लिए क़ानून नाम की कोई चीज़ नहीं होती. कुछ लोगों के अपने क़ानून होते हैं. कहीं क़ानून तो होता है, परंतु क़ानून के पालन हार ही उसे तोड़ते फ़िरते हैं. आज जीवन के हर क्षेत्र के लिए इतने क़ायदे क़ानून हो गए हैं कि हममें से हर कोई हर पग पर क़ानून तोड़ता चलता है. जब कोई नेता शासक बनता है तो विरोधियों को अंदर कर देता है और कहता है क़ानून अपना काम करेगा. जब वह विरोधी पार्टी में होता है तो चिल्लाता है कि क़ानून को शासकों ने बंधक बना लिया है और मनमाना क़ानून लगा रहे हैं. बहुत से क़ानून हैं जिसे हम आप रोज तोड़ते हैं पर खुदा का शुक्र है कि हम में से अधिकतर नेता नहीं हैं. अन्यथा या तो क़ानून के काम के कारण या तो अंदर होते या क़ानून को काम देने के नाते अपने विरोधियों को अंदर कर रहे होते.
बहरहाल, चर्चा भारत के एक विचित्र क़ानून की हो रही है. इसके लिए एक घटना सुनिए.
एक भारतीय व्यक्ति अपने विदेशी मेहमान की मेहमान नवाज़ी के लिए फ़ाइव स्टार होटल ले गया. ज़ाहिर है उन्होंने ख़ाने के साथ बियर का ऑर्डर दिया. बेयरा बियर की एक बोतल और सिर्फ एक गिलास लेकर आया. यह सोच कर कि बेयरे से अनजाने में यह गलती हो गई होगी, और इसे अन्यथा न लेते हुए भारतीय ने अपनी बियर पानी के गिलास में डाली. पर बेयरा दौड़ते हुए आया और बोला - साहब जी, आप हमारे होटल का भट्ठा मत बिठाइयेगा. आज ड्राइ डे है और उस दिन क़ानूनन किसी भारतीय को शराब नहीं परोसी जा सकती. किसी विरोधी पार्टी को पता चल गई तो इस बात पर हम अंदर हो जाएंगे और हमारा लाइसेंस रद्द हो जाएगा. हम आप से माफ़ी चाहते हैं. भारत में विशेष अवसरों पर ड्राई डे होता है. यानी उस दिन शराब बिक्री पर प्रतिबंध होता है. पर यह प्रतिबंध सिर्फ भारतीयों के लिए होता है. विदेशियों के लिए नहीं. हो सकता है कि आपको इस कहानी में कुछ अतिशयोक्ति दिखाई दे, परंतु यह भी सच है कि ड्राई डे के दिन औसत से ज्यादा शराब बिकती है. क़ानूनन शराब नहीं बेची जा सकती अतः एक दो पैग शराब आपको होटलों या बार में नहीं मिलेगी. परंतु टाउट्स आपको अद्धा पौवा और बोतल हर जगह, थोड़े से ज्यादा पैसे में बेचते मिलेंगे. फिर शराब बंदी के दिन लोगों को जरा ज्यादा ही तलब लगती है. चुनावों के ऐन दो दिन पहले से ड्राइ डे डिक्लेयर हो जाता है परंतु हम सब को पता है कि जब तक जम कर बोतलों की सप्लाई नहीं होती है, चुनाव का अंतिम चरण पूरा नहीं होता है. एक और क़ानून है जिसमें आप 21 (महिला के लिए 18) साल के होने पर शादी तो कर सकते हैं, परंतु दारू पीने के लिए आपको 25 साल का होना पड़ेगा, नहीं तो पुलिस क़ानून के तहत आपको जेल में बंद कर सकती है. पीने वाले को भी और पिलाने वाले को भी.
ऐसा ही एक भारतीय क़ानून है जिसमें किसी विशेष अवसर पर जैसे कि गांधी जयंती इत्यादि पर मांस विक्रय पर प्रतिबंध रहता है. बेचारे मछुआरे और कसाई जो ले दे कर अपना पेट पालते हैं उन्हें उस दिन अपना कारोबार जबर्दस्ती बंद रखना पड़ता है. शायद देश के क़ानून बनाने वालों को अब तक यह जानकारी नहीं है कि दूध और घी भी रासायनिक रूप से एनिमल प्रोटीन और फैट (पशु मांस) ही हैं...
ये भारतीय क़ानून हैं....
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ग़ज़ल
*+*+*
बनते बिगड़ते नित्य नए क़ानून हैं
कुछ के लिए नहीं कहीं क़ानून हैं
चले कैसे कोई इस पथ पर अविराम
पग पग पर कई कई तो क़ानून हैं
सियासती लोग खुश हैं तो दरअसल
बनाए उन्होंने अपने लिए क़ानून हैं
धन बल पर निकलती हैं व्याख्याएँ
शायद इसीलिए अंधे सभी क़ानून हैं
जमाने में आ के रो नहीं सका रवि
सच बात न कहने के जो क़ानून हैं
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क़ानून के किस्से बड़े निराले हैं. कहा जाता है कि क़ानून अंधा होता है. यह भी कहा जाता है कि बड़े और पैसे वालों के लिए क़ानून नाम की कोई चीज़ नहीं होती. कुछ लोगों के अपने क़ानून होते हैं. कहीं क़ानून तो होता है, परंतु क़ानून के पालन हार ही उसे तोड़ते फ़िरते हैं. आज जीवन के हर क्षेत्र के लिए इतने क़ायदे क़ानून हो गए हैं कि हममें से हर कोई हर पग पर क़ानून तोड़ता चलता है. जब कोई नेता शासक बनता है तो विरोधियों को अंदर कर देता है और कहता है क़ानून अपना काम करेगा. जब वह विरोधी पार्टी में होता है तो चिल्लाता है कि क़ानून को शासकों ने बंधक बना लिया है और मनमाना क़ानून लगा रहे हैं. बहुत से क़ानून हैं जिसे हम आप रोज तोड़ते हैं पर खुदा का शुक्र है कि हम में से अधिकतर नेता नहीं हैं. अन्यथा या तो क़ानून के काम के कारण या तो अंदर होते या क़ानून को काम देने के नाते अपने विरोधियों को अंदर कर रहे होते.
बहरहाल, चर्चा भारत के एक विचित्र क़ानून की हो रही है. इसके लिए एक घटना सुनिए.
एक भारतीय व्यक्ति अपने विदेशी मेहमान की मेहमान नवाज़ी के लिए फ़ाइव स्टार होटल ले गया. ज़ाहिर है उन्होंने ख़ाने के साथ बियर का ऑर्डर दिया. बेयरा बियर की एक बोतल और सिर्फ एक गिलास लेकर आया. यह सोच कर कि बेयरे से अनजाने में यह गलती हो गई होगी, और इसे अन्यथा न लेते हुए भारतीय ने अपनी बियर पानी के गिलास में डाली. पर बेयरा दौड़ते हुए आया और बोला - साहब जी, आप हमारे होटल का भट्ठा मत बिठाइयेगा. आज ड्राइ डे है और उस दिन क़ानूनन किसी भारतीय को शराब नहीं परोसी जा सकती. किसी विरोधी पार्टी को पता चल गई तो इस बात पर हम अंदर हो जाएंगे और हमारा लाइसेंस रद्द हो जाएगा. हम आप से माफ़ी चाहते हैं. भारत में विशेष अवसरों पर ड्राई डे होता है. यानी उस दिन शराब बिक्री पर प्रतिबंध होता है. पर यह प्रतिबंध सिर्फ भारतीयों के लिए होता है. विदेशियों के लिए नहीं. हो सकता है कि आपको इस कहानी में कुछ अतिशयोक्ति दिखाई दे, परंतु यह भी सच है कि ड्राई डे के दिन औसत से ज्यादा शराब बिकती है. क़ानूनन शराब नहीं बेची जा सकती अतः एक दो पैग शराब आपको होटलों या बार में नहीं मिलेगी. परंतु टाउट्स आपको अद्धा पौवा और बोतल हर जगह, थोड़े से ज्यादा पैसे में बेचते मिलेंगे. फिर शराब बंदी के दिन लोगों को जरा ज्यादा ही तलब लगती है. चुनावों के ऐन दो दिन पहले से ड्राइ डे डिक्लेयर हो जाता है परंतु हम सब को पता है कि जब तक जम कर बोतलों की सप्लाई नहीं होती है, चुनाव का अंतिम चरण पूरा नहीं होता है. एक और क़ानून है जिसमें आप 21 (महिला के लिए 18) साल के होने पर शादी तो कर सकते हैं, परंतु दारू पीने के लिए आपको 25 साल का होना पड़ेगा, नहीं तो पुलिस क़ानून के तहत आपको जेल में बंद कर सकती है. पीने वाले को भी और पिलाने वाले को भी.
ऐसा ही एक भारतीय क़ानून है जिसमें किसी विशेष अवसर पर जैसे कि गांधी जयंती इत्यादि पर मांस विक्रय पर प्रतिबंध रहता है. बेचारे मछुआरे और कसाई जो ले दे कर अपना पेट पालते हैं उन्हें उस दिन अपना कारोबार जबर्दस्ती बंद रखना पड़ता है. शायद देश के क़ानून बनाने वालों को अब तक यह जानकारी नहीं है कि दूध और घी भी रासायनिक रूप से एनिमल प्रोटीन और फैट (पशु मांस) ही हैं...
ये भारतीय क़ानून हैं....
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ग़ज़ल
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बनते बिगड़ते नित्य नए क़ानून हैं
कुछ के लिए नहीं कहीं क़ानून हैं
चले कैसे कोई इस पथ पर अविराम
पग पग पर कई कई तो क़ानून हैं
सियासती लोग खुश हैं तो दरअसल
बनाए उन्होंने अपने लिए क़ानून हैं
धन बल पर निकलती हैं व्याख्याएँ
शायद इसीलिए अंधे सभी क़ानून हैं
जमाने में आ के रो नहीं सका रवि
सच बात न कहने के जो क़ानून हैं
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मजेदार घटना,
जवाब देंहटाएंअब तो आगे ध्यान रखना पड़ेगा...
लेकिन धाकड़ पीने वाले,पब्लिक प्लेस मे पीना पसन्द नही करते
उनके लिये तो कल्लू पहलवान के कबाब की दुकान ही सही है,
थोड़ी पब्लिक, थोड़ी प्रायवेट, और कौनो ड्राइ फ्राइ डे नाही...
खुल्ला खेल फर्रुखाबादी...आप भी पियो, पुलिसिया भी पिये.
बस कबाब के पैसे आपकी जेब से.