कंप्यूटर और मोबाइल फ़ोनों के भारतीय बाजार को देखते हुए कंपनियाँ भी तेजी से स्थानीयकरण को अपना रही हैं . स्थानीयकरण माने अपने उपकरणों और सॉफ...
कंप्यूटर और मोबाइल फ़ोनों के भारतीय बाजार को देखते हुए कंपनियाँ भी तेजी से स्थानीयकरण को अपना रही हैं. स्थानीयकरण माने अपने उपकरणों और सॉफ़्टवेयर उत्पादों को स्थानीय भाषा में लाना. हिंदी का बाजार वैसे भी भारत में सबसे बड़ा है. समूचा उत्तर भारत हिंदी पट्टी है, जहाँ जनसंख्या और जाहिर है उसके कारण उपयोगकर्ताओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है. अर्थ यही है कि बाजार बड़ा है, और उस पर पकड़ बनाने के लिए बाजार की भाषा में बात करना जरूरी है.
मोबाइल फ़ोन निर्माताओं के सबसे बड़े तीन प्लेटफ़ॉर्म - एप्पल, एंड्रायड और विंडोज़ तीनों ही हिंदी भाषा में आ चुके हैं और उनका रूप रंग, कीबोर्ड आदि सभी हिंदी-मय हो चुके हैं. एप्पल और एंड्रायड में तो टैक्स्ट टू स्पीच सुविधा भी हिंदी में आ चुकी है.
परंतु इन तीनों प्लेटफ़ॉर्म के स्मार्टफ़ोनों के यूआई (यूजर इंटरफ़ेस) की हिंदी की तुलना की जाए, तो भारी मात्रा में गड़बड़ियाँ मिलती हैं.
न तो इनमें एक रूपता है, और न ही सामंजस्य, और न ही मानकीकरण के प्रति झुकाव.
दरअसल, स्थानीयकरण को मार्केटिंग टीम से जोड़ दिया गया है, जिससे मार्केटिंग टीम का झुकाव मानकीकरण के बजाए, अखबारी, और चलताऊ भाषा की ओर ज्यादा रहता है.
चलिए, यह भी ठीक था, परंतु एक ही शब्द के तीन प्लेटफ़ॉर्म में तीन भिन्न अनुवाद यदि प्रयोगकर्ताओं को मिले तो वो तो डर ही जाए. और उपयोग के दौरान यदि अनुवाद अधकचरा, समझ में न आने योग्य हो तो वो तो हिंदी को दूर से ही सलाम कर दे.
कंपनियाँ स्थानीयकरण में अच्छा-खासा खर्च कर रही हैं, परंतु उनका एप्रोच बहुत गलत है. वे जहाँ तहाँ यत्र तत्र बिखरे वेंडरों से स्थानीयकरण का काम करवाते हैं, जिससे , किसी गीत के कलाकार का अन्वेषण हो जाता है, प्रतिक्रिया देने की बात आती है तो कल्पना होने लगती है!
ऐसे दर्जनों स्क्रीनशॉट नमूने के तौर पर सामने रखे जा सकते हैं जिससे इस तरह की भाषाई फूहड़ता का पता चलता है. स्थिति तीनों ही प्लेटफ़ॉर्म में समान है. दरअसल किसी भी कंपनी में इन-हाउस अनुवाद समीक्षा वह भी वास्तविक उपयोग के दौरान की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती. जब सॉफ़्टवेयर रिलीज का समय आता है तो अनुवाद टूल में अलग किया हुआ टैक्स्ट आ जाता है जिसे यथासंभव त्वरितता से अनुवाद कर भेजना होता है ताकि रिलीज साइकल में जुड़ जाए. और इसी वजह से, प्ले का अनुवाद - कहीं गाना खेल रहा है हो जाता है तो कहीं खिलाड़ी बजा रहा है हो जाता है.
आप अपना नया स्मार्टफ़ोन लाते हैं, और हाथ में लेते ही सीधे सेटिंग में जाते हैं. कि सेटिंग्स में जाते हैं? नहीं, सेटिंग्ज़ में जाते होंगे?
आप कहेंगे कि मैं क्या मज़ाक कर रहा हूँ? नहीं, यह मज़ाक नहीं है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके हाथ में कौन से प्लेटफ़ॉर्म का मोबाइल है. एप्पल, एंड्रायड या विंडोज़.
हाथ कंगन को आरसी क्या - नीचे निगाह मारें -
सेटिंग - एंड्रायड फ़ोन
सेटिंग्स - विंडोज़ स्मार्टफ़ोन
सेटिंग्ज़ - एप्पल आईफ़ोन
इस तरह की आम समस्याओं को सुलझाने के लिए एक प्रकल्प FUEL (फ़्यूल - फ्रीक्वेंटली यूज़्ड एंट्रीज इन लोकलाइज़ेशन) का गठन किया गया है जिसे सीडैक, रेडहैट, मोजिल्ला जैसी कंपनियों का समर्थन प्राप्त है. FUEL ऐसी विसंगतियों को दूर करने व अनुवादों तथा स्थानीयकरण में मानकीकरण का पक्षधर है. रामायण और गीता की टीका और भावानुवाद-अनुवाद सैकड़ों रूपों में हो सकते हैं, मगर आपके हाथ में मौजूद स्मार्टफ़ोन के सेटिंग स्क्रीन का शब्द सेटिंग, केवल सेटिंग चलेगा, कुछ और नहीं.
हाल ही में FUEL के सदस्य एक सम्मेलन में चेन्नई में एकत्र हुए, और इन तमाम बिंदुओं पर विचार विमर्श किया. दुख की बात यह है कि इन तीनों बड़े प्लेटफ़ॉर्म के स्मार्टफ़ोन निर्माताओं के स्थानीयकरण विभाग को इस तरह की समस्याओं के बारे में चर्चा करने के लिए इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था, मगर इनमें से कोई नहीं आया. नतीजा सामने है. अनुवादों में घालमेल. और एक नतीजा और प्रकटतः सामने है - उपयोगकर्ता सामग्री हिंदी में तो उपयोग करते हैं, परंतु अपने फ़ोन का इंटरफ़ेस हिंदी में नहीं, अंग्रेज़ी में ही रखते हैं. मोबाइलों का हिंदी इंटरफ़ेस उन्हें अटपटा, अजीब, बेहूदा, बेकार, उलझन (कन्फ़्यूज़न) पैदा करने वाला लगता है, और नतीजतन सुविधा होने के बावजूद वे फ़ोन की भाषा हिंदी में नहीं करते.
स्थानीयकरण करने वालों, चेत जाओ!
होली की हार्दिक बधाई ।
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