और, वर्ष 2008 के आपके तीन पसंदीदा चिट्ठाकार? आप चिट्ठों में क्या पढ़ना चाहते हैं – कविता, कथा या ज्ञान विज्ञान? आपको चिट्ठों की कैसी भाषा...
और, वर्ष 2008 के आपके तीन पसंदीदा चिट्ठाकार? आप चिट्ठों में क्या पढ़ना चाहते हैं – कविता, कथा या ज्ञान विज्ञान? आपको चिट्ठों की कैसी भाषा आकर्षित करती है – मुम्बइया, खालिस साहित्यिक या फिर अज़दकी? हिन्दी चिट्ठों में फोकट में किस विषय पर जबरन पोस्ट पे पोस्ट ठेले गए और किन विषयों की ओर मुँह भी नहीं मोड़ा गया?
ऐसे और भी प्रश्न हैं, जिनका उत्तर आप दे सकते हैं. आपके उत्तरों को एक सर्वेक्षण के रूप में संकलित किया जाएगा और नतीजों को प्रकाशित भी किया जाएगा.
किसी भी सर्वेक्षण की सफलता उसके सेम्पलिंग – यानी ज्यादा से ज्यादा संख्या में सहभागिता से तय होती है. आप सभी किसी न किसी रूप में हिन्दी ब्लॉगिंग से जुड़े हैं और हिन्दी ब्लॉगिंग की शैशवावस्था में इसे दशा-दिशा प्रदान करने में आपकी भी महती भूमिका है. अत: इस हेतु 10 मिनट का समय निकालें व इस सामियिकी चिट्ठावार्षिकी 2008 ऑनलाइन सर्वेक्षण में सहयोग दें. इस सर्वेक्षण में आपको भी आनंद आएगा, और आपके मित्रों को भी. उन्हें भी इस सर्वेक्षण में भाग लेने को कहें.
सर्वेक्षण की कड़ी है - http://spreadsheets.google.com/viewform?key=pfKq_K_aqbcSLIHi5nHDPGQ
सर्वेक्षण के बारे में विशद जानकारी यहाँ है.
सर्वेक्षण में भाग लेना चाहिए, इसमें कहाँ शक है. मगर सवाल भी साधारण नहीं है. अपन तो अटक गए और वापस आए है. साल की तीन पसन्दीदा पोस्ट भी लिखनी है, अब कहाँ खोजे? तो भाई लोग पहले तय कर के जाये तो झटपट काम हो जाएगा.
हटाएंशुक्रिया रतलामी जी पर सर्वे फार्म काफी विस्तृत है ,फुरसत से भरूंगा !
हटाएंअरविन्द मिश्रा
सर्वे में शामिल होना तो चाहा लेकिन उसे भरने के लिए पहले पूरी रिसर्च करना होगी । दूसरी बात उसमें चंद सेलेब्रिटी ब्लागर के चुनाव का ज़िक्र है , ये "सेलेब्रिटी" क्या बला होती है ...? पत्रकार कब से "सेलेब्रिटी" होने लगे ...? जब हिन्दी - चीनी ,भारत - पाकिस्तान तक भाई - भाई तो ब्लागर -ब्लागर सब एक समान क्यों नहीं । सर्वे की ये कुछ बातें बेहद खलने वाली हैं ।
हटाएंकाम जरूरी है लेकिन जटिल भी!
हटाएंकठिन काम है जी !
हटाएंमित्रों,
हटाएंरवि भैया की पोस्ट http://raviratlami.blogspot.com/2009/01/2008.html पर कुछ टिप्पणियों से पता चला कि कई लोग सर्वेक्षण फॉर्म की लंबाई से परेशान है। आपको यह बताना चाहता हूँ कि सर्वे में अधिकाँश सवाल वैकल्पिक हैं यानि उन का जवाब देना ज़रूरी नहीं है। अनिवार्य प्रश्नों के सामने एक लाल रंग का तारांकन किया गया है, वैकल्पिक प्रश्नों पर तारांकन नहीं है। कुछ सवाल तो अनिवार्य करने ही पड़ते हैं, सर्वे में सभी सवाल वैकल्पिक हों तो इसे कराने का फायदा ही क्या? जो लोग साल भर चिट्ठे पढ़ते रहे हों टॉप ३ पोस्ट लिखना तो कठिन नहीं होना चाहिये।
एक सवाल यह भी उठाया गया कि सेलिब्रिटी ब्लॉगर का प्रश्न क्यों रखा गया? ब्लॉगिंग आप भी कर रहे हैं, मैं भी और अमिताभ बच्चन भी, आगर आप खुद को या मुझे सेलिब्रिटी माने और अमिताभ को ना मानें तो आपकी राय है। रवीश, वगैरह के नाम बतौर उदाहरण दिये थे। मुझे तो समझ नहीं आता कि हिन्दी ब्लॉगमंडल में साधारण चीजों पर भी चिल्ल पों क्यों चालू हो जाती है।
आज 6000 ब्लॉग और शायद इतने ही हिन्दी ब्लॉगर हैं और मुझे हैरत होती है कि कुल जमा १० जवाब ही मिलें हैं अब तक। और मैं इसके बल पर हिन्दी ब्लॉगमंडल का डंका बजाने चला था अगर २५ फीसदी लोग भी जवाब दें तब भी सैंपल साईज़ काम का हो सकता है।
मुझे लगता है, यह कहने की जरूरत भी है कि आपका नाम व पसन्द सार्वजनिक नहीं किये जाएगें. कुछ चिट्ठाकार शायद संशकित हो रहे हों.
हटाएंपहले पढ़ लो, फिर जवाब तय कर वापस आ कर भरो यह भी सही रास्ता हो सकता है. एकाएक तीन पोस्ट बताने का आया तो मैं भी स्क्रीन को घुरता रह गया
सभी चिट्ठाकारों को हिस्सा लेना ही चाहिए. एग्रीगेटर अपने यहाँ इसकी सुचना लगाए, यह भी अपेक्षित है.
अभी देखे आते हैं !
हटाएं