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एक लाख वर्ष पुरानी चित्रकारी देखना चाहेंगे?

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तो, भीम बेटका (बैठकम या बैठका?) में आपका स्वागत है. भीम बेटका भोपाल (मप्र) से कोई 50 किमी दूर है. यह एक पर्वतीय स्थल है, जहाँ बहुत सी प्राकृ...

तो, भीम बेटका (बैठकम या बैठका?) में आपका स्वागत है. भीम बेटका भोपाल (मप्र) से कोई 50 किमी दूर है. यह एक पर्वतीय स्थल है, जहाँ बहुत सी प्राकृतिक गुफाएँ हैं. इन्हीं गुफाओं में आदिमानवों का प्राकृतिक शैलाश्रय रहा था और अपने फुरसत के क्षणों में आदिमानवों ने गुफा की दीवारों पर विविध रूपाकारों में सैकड़ों दर्शनीय चित्र अंकित किए थे. यहां की कोई 500 से अधिक गुफाओं में सैकड़ों प्रागैतिहासिक चित्र है. यहाँ के कुछ चित्र पचास हजार वर्ष पुराने हैं, और एक प्याला नुमा आकृति के बारे में कहा जाता है कि वो कोई एक लाख वर्ष पुराना है. अलबत्ता समय, काल और वातावरण की वजह से लगातार होते क्षरण से हमें उस प्याले नुमा चित्र के दर्शन तो नहीं हुए, मगर बहुत से चित्र पुरातन काल की जीवनी की बयानी करते मिले. पाषाणआश्रय के इन चित्रों को देखकर बरबस ही अपने पुरखों की याद आती है कि उनका प्राचीन, वन्य जीवन कैसा रहा होगा. अधिसंख्य चित्र 9 हजार वर्ष पुराने हैं.

भीम बेटका को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर भी घोषित किया जा चुका है. कुछ चित्र आप भी देखें –

 bhim baithka images1

bhim baithka images7

bhim baithka images6

bhim baithka images4

 

bhim baithka images2

 

दुःख की बात है कि इन शैलाश्रयों और इनमें उकेरे चित्रों के पुख्ता संरक्षण के उपाय नदारद दिखे. चित्रों के ऊपर वेदरप्रूफ कोटिंग किया जाना आवश्यक है, अन्यथा कुछ वर्षों में इन चित्रों के पूरी तरह से नष्ट हो जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. कहीं कहीं पत्थरों की गुफाओं के दीवारों की परतें भी उखड़ कर गिर रही हैं.

भीम बेटका के बारे में गोविंद कुमार गुंजन ने अपने ब्लॉग में बहुत ही सुंदर प्रविष्टि लिखी है. जागरण में भी छोटा सा समाचार पढ़ें. विकिपीडिया पर भी बहुत बढ़िया जानकारी परक आलेख है.

 

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चलते चलते –

भीम बेटका में इनसे भी सामना हुआ:

 

जिंदगी की जद्दोजहद – पीपल का पेड़, दैत्याकार पाषाण शिला से बुरी तहर लिपटा हुआ - पत्थर में से तेल निकालना शायद यही है -

bhim baithka struggle for life2

 

और, दीवार पर लिखी ये इबारत -

bhim baithka grffiti

 

भाषा भले ही शुद्ध न हो, इरादे तो शुद्ध और नेक हैं!

COMMENTS

BLOGGER: 11
  1. शुद्ध पोस्ट.
    कुल मिला कर तब घुड़सवारी व भालों का उपयोग होने लगा था..

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  2. DHANYA HUA EK LAAKH SAAL PURAANI CHITRON KO DEKH KAR...

    AAPKA AABHAAR

    ARSH

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  3. बिल्कुल ऐसे चित्र उकेरने का मन होता है। मन कितना प्रागैतिहासिक है!

    जवाब दें हटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर सामग्री.धन्यवाद.

    जवाब दें हटाएं
  5. इतनी सुंदर जानकारी , चित्र और लिंको के साथ यह आलेख बहुत ही अच्‍छा लगा ... बहुत बहुत धन्‍यवाद।

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  6. ऐसी ही चित्रकारी यहाँ कोटा से 20 किलोमीटर दूर चट्टानेश्वर में है। इतिहासकारों के पहुँचने के पहले तक इन्हें सीता माता के माँडणे कहा जाता था।

    जवाब दें हटाएं
  7. अपना पचमढी सांची आदि के प्रोग्राम के साथ भीमबेटका का भी प्रोग्राम शामिल है, देखें कब जाना हो पाता है!

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  8. भीम बेटका के चित्रकारों से मिलवाने के लिए धन्यवाद.

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  9. Ravi ji
    bahut bahut rochak laga padhkar .
    behtareen jankari or photo ke liye
    shukriya.
    Kiran Rajpurohit Nitila

    जवाब दें हटाएं
  10. aapki jankari bhut achi lagi.bheem bathka me hum 8 dost dinank 10 sept 2011 ko gaye the .baha ka place bada hi mammohak hai .baha ki silaye bahut bisal bisal hai .baha ki humne kuch photo bhi liye .bakai aadi manav ki chitrkari bahut good lagi.ab baha baar baar jane ka man kar raha hai........ baha ka gufa mandir bhi acha laga ......baha ka jungle area bada bisal hai......sais compny ke lagbhag 30 guard hai jo hume guide ka kaam karte hai aur us place ki hifajat karte hai........bhojpur me shiv ji ke darshan ke baad bheem baithka jaane ka plan bana tha jo ki lagbhag bhojpur se 30 km hai............mahendra kori

    जवाब दें हटाएं
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छींटे और बौछारें: एक लाख वर्ष पुरानी चित्रकारी देखना चाहेंगे?
एक लाख वर्ष पुरानी चित्रकारी देखना चाहेंगे?
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छींटे और बौछारें
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