मेरे प्यार को, मेरे मुहब्बत के इजहार के इस तरीके को जरा समझने की कोशिश तो करो जानेमन! व्यंज़ल जालिम जमाने ने सबकुछ बदल दिए ...
मेरे प्यार को, मेरे मुहब्बत के इजहार के इस तरीके को जरा समझने की कोशिश तो करो जानेमन!
व्यंज़ल
जालिम जमाने ने सबकुछ बदल दिए
हां मुहब्बत के मायने तक बदल दिएहमारा प्रेम परवान चढ़ता किस तरह
उन्होंने तो जब चाहे रास्ते बदल दिएवक्त का तो क्या बताएँ आपको साहब
वक्त ने तो अच्छे महिवाल बदल दिएउनके जरा से अहसास के लिए हमने
अपने दिनरात सुबह शाम बदल दिएअपने मुहब्बत की खातिर रवि हमने
क्या कहें खुद को कैसे तमाम बदल दिए
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(समाचार कतरन साभार – टाइम्स ऑफ इंडिया)
हाय हम अच्छे प्रेमी हो न सके....
हटाएंलगता है प्रेमी होना इस जनम में नहीं लिखा है।
हटाएंआपके चिठ्ठे की चर्चा ब्लॉग समयचक्र में
हटाएंरामनवमी पर आप को हार्दिक शुभकामनायें
स्पैंकिंग की बजाय शायद सहलाना भी उतना ही कारगर हो। पर उससे इतनी बढ़िया अखबारी कॉलम थोड़े ही बनता।
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