दुनिया में आईओटी यानी इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स की विचारधारा अभी आई ही थी, कि अब एक नई विचारधारा ने पूरी दुनिया को लपेट में ले लिया है. डीओट...
दुनिया में आईओटी यानी इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स
की विचारधारा अभी आई ही थी, कि अब एक नई विचारधारा ने पूरी दुनिया को लपेट में ले लिया है. डीओटी यानी देशभक्ति ऑफ़ थिंग्स. इतना कि इसके सामने इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स प्रागैतिहासिक काल की अवधारणा लगने लगी है.
अब पूरी दुनिया देशभक्ति ऑफ़ थिंग्स की ओर तेजी से अग्रसर हो रही है. न्यूयॉर्क से लेकर बस्तर तक और दिल्ली से लेकर वाशिंगटन तक लोग अपना अपना राष्ट्रगान हर यथासंभव स्थान और समय पर गा रहे हैं और राष्ट्रवाद का ट्रम्पेट बजा रहे हैं.
आइए, आपको ले चलते हैं कुछ लाइव शो में जहाँ आप देखेंगे कि देशभक्ति ऑफ़ थिंग्स के पीछे भारतीय मन मानस किस तरह डूब-उतरा रहा है –
दृश्य एक –
सीपीडबल्यूडी हैडक्वार्टर पर एक नामचीन ठेकेदार, महा-मुख्य-अभियंता से जो अपना पिछला तीन टर्म एक्सटेंशन करवाने में ऑलरेडी महा-सफल हो चुके हैं : “सर, एक जबरदस्त राष्ट्रवाद स्कीम का आइडिया लाया हूँ. सीधे पचास परसेंट का खेल हो सकता है. पूरे देश में मकानों-दुकानों-सरकारी-गैर-सरकारी बिल्डिंगों के बाहरी रंग को अनिवार्य रूप से तिरंगे रंग में करने का प्लान लाया जाए. टेंडर और वर्क-ऑर्डर तो सदा की तरह अपन मैनेज कर ही लेंगे. इस राष्ट्रवादी प्लान को हर ओर से समर्थन मिलेगा, विभाग को जबरदस्त फंड मिलेगा. विरोधियों की तो हवा गोल हो जाएगी क्योंकि कोई बोलेगा ही नहीं, क्योंकि जो बोला समझो वो राष्ट्रद्रोही मरा. सर, आपके एक और टर्म एक्सटेंशन के पूरे चांस हो जाएंगे.”
“वाह! क्या प्लान लाए हो! समझो, हो गया!” – तीन-टर्म-एक्सटेंसित-महा-मुख्य-अभियंता ने खुशी से दाँत चियारते हुए, अति-प्रफुल्लित मुद्रा में कहा.
दृश्य दो –
सूचना-प्रसारण हैडक्वार्टर पर एक कार्यकर्ता, महा-मुख्य-सचिव से जो हाल ही में महा-जुगाड़ कर इस महा-मलाईदार पद पर आसीन हुए हैं : “सर, सिनेमाघर की तर्ज पर हर टीवी शो के पहले, हर रेडियोकार्यक्रम के पहले, हर वाट्सएप्प पोस्ट के पहले, हर फ़ेसबुक स्टेटस के पहले, हर इसके पहले, हर उसके पहले राष्ट्रगीत अनिवार्य किया जाना चाहिए और इसका पालन सुनिश्चित करने के लिए एक नौ-नॉनसैंन-फुलप्रूफ़, राष्ट्रवाद-रक्षक विभाग गठित किया जाना चाहिए. इस विभाग को जाहिर है 24X7 मॉनीटरिंग और इंसपैक्टिंग करनी होगी तो हर लेवल पर तगड़ा स्टाफ़ भी चाहिए होगा. तो देखिए कि कितनी संभावनाएँ बनती हैं. अपन अधिकांशतः तो अपनी ही विचारधारा के लोगों को भर्ती करेंगे और बाकी तो फिर आप समझ ही रहे होंगे...”
“वाह! क्या प्लान लाए हो! समझो, हो गया!” – महा-जुगाड़ित-महा-मलाईदार-पदासीन-महा-मुख्य-सचिव ने खुशी से दाँत चियारते हुए, अति-प्रफुल्लित मुद्रा में कहा.
कुछ समय बाद -
कण कण में भगवान वाले देश में कण कण में देशभक्ति और राष्ट्रवाद आ गया. देशभक्ति ऑफ़ थिंग्स की क्रांतिकारी अवधारणा ने देश में क्रांति ला दी, और बाढ़-सूखा-गरीबी-भुखमरी-अशिक्षा-गंदगी-भ्रष्टाचार-कालाधन आदि आदि समस्याएँ गौण होकर नेपथ्य में चली गई. पूरा देश फुल राष्ट्रवाद की आगोश आ गया. कहीं सबसे ऊँचा, सबसे बड़ा राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा है, दुकानों मकानों की दीवारें, छत तो तिरंगे हो ही चुके हैं, घर के भीतर किचन और टॉयलेट की दीवारें भी तिरंगी हो गई हैं. लोगों ने अपने परिधान, अपने केश तक तिरंगे कर लिए हैं – वस्तुतः अन्य रंगों का उपयोग देश में दंडनीय-अपराध हो गया है. देशवासियों को दिन में पाँच वक्त राष्ट्रगीत गाना अनिवार्य हो गया है. किसी भी फ़िल्मी-ग़ैर-फ़िल्मी-भजन-ग़ज़ल-कव्वाली-पॉप-रॉक-रैप गीत का मुखड़ा राष्ट्रगीत होना अनिवार्य है. अतः अब हर कहीं या तो कोई राष्ट्रगीत गा रहा है, या कोई बजा रहा है, या कहीं बज रहा है, या कहीं कोई सुन-सुना रहा है. और सम्मान में हर कोई हर कहीं सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया है. इस तरह पूरा देश सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया है.
ल्लो! कहीं किसी ने राष्ट्रगीत बजा दिया – शायद किसी सरकारी-न्यायालयीन आदेश के तहत! सावधान!
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