पुनर्धर्मभीरूभव: बहुत पुरानी बात है. धरती पर एक बार एक इंसान गलती से बिना धर्म का, नास्तिक पैदा हो गया. उसका कोई धर्म नहीं था. उसका कोई...
पुनर्धर्मभीरूभव:
बहुत पुरानी बात है. धरती पर एक बार एक इंसान गलती से बिना धर्म का, नास्तिक पैदा हो गया. उसका कोई धर्म नहीं था. उसका कोई ईश्वर नहीं था. वो नास्तिक था.
चहुँ ओर हल्ला मच गया. आश्चर्य! घोर आश्चर्य!¡ एक इंसान बिना धर्म के, नास्तिक कैसे पैदा हो सकता है. वो बिना हाथ-पैर के, जन्मजात विकृतियों समेत भले ही पैदा हो सकता है, और अब तो विज्ञान की सहायता से बिना मां-बाप के भी पैदा हो सकता है, मगर बिना धर्म के? लाहौलविलाकूवत! ये कैसी बात कह दी आपने! पैदा होना तो दूर की बात, बिना धर्म के कोई इंसान, इंसान हो भी सकता है भला?
ताबड़तोड़ उस इंसान को अपने-अपने धर्मों में खींचने की, उसे आस्तिक बनाने की जंग शुरू हो गई.
“उद्धरेदात्मनात्मानम् ... वसुधैव कुटुंबकम्...” सहिष्णुता और विश्वबंधुत्व केवल हिंदुओं में है... इसका धर्म हिंदू होना चाहिए. हिंदुओं ने कहा.
“बिस्मिल्लाहिर्रहमानेहिर्रहीम...” ईश्वर केवल एक है और उसके सबसे निकट, शांति और सहिष्णुता का धर्म इस्लाम है, वही स्वर्ग जाने का एकमात्र रास्ता है. इसका धर्म इस्लाम होना चाहिए. मुस्लिमों ने अधिकार जताया.
“ईश्वर दयालु है- ईश्वर इन्हें माफ करना, ये नहीं जानते ये क्या कर रहे हैं...” दयालु ईश्वर केवल यीशु हैं और केवल वो ही इसके पापों को क्षमा कर सकते हैं. ईसाइयों ने बताया.
उस बेधर्मी इंसान ने कहा – ठीक है, मैं सभी धर्मों का अध्ययन करूंगा और जो सबसे अच्छा लगेगा उसे धारण करूंगा.
उसने विभिन्न धर्मों के अध्ययन के लिए पर्याप्त समय लगाया और अंततः अपना अध्ययन पूरा कर लिया. ओर फिर उसने एक सभा रखी जिसमें उसे घोषणा करनी थी कि वो कौन सा धर्म अपनाएगा.
बड़ी भीड़ जुटी. तमाम धर्मों की जनता और तमाम धर्मों के गुरु उस सभा में स्वतःस्फूर्त जुटे. एक बेधर्मी इंसान के धर्म के अपनाने का जो खास अवसर था यह. नास्तिक के आस्तिक बनने का अवसर जो था यह.
भरी सभा में उस बेधर्मी इंसान ने भीड़ की ओर दुःख भरी नजर डाली और ऐलान किया – मैं बिना किसी धर्म का ही अच्छा हूँ. मैं नास्तिक ही ठीक हूँ. मुझे किसी ईश्वर में, किसी धर्म में कोई विश्वास नहीं है.
“भला ऐसा कैसे हो सकता है?” क्रोध से हिंदू धर्माचार्य चिल्लाये. उनके त्रिनेत्र खुल चुके थे. लोग त्रिशूल, भाले लेकर उस बेधर्मी इंसान की ओर दौड़े.
“लाहौलविलाकूवत!” ये तो ईशनिंदा है. परम ईशनिंदा. इसे दोजख में भी जगह नहीं मिलनी चाहिए... मुसलिम धर्माचार्य गरजे. पत्थर, कंकर लेकर लोग उसे मारने दौड़े.
“हे ईश्वर इसे क्षमा करना.. ये नहीं जानता ये क्या कह रहा है...” ईसाई धर्माचार्यों ने हल्ला मचाया. लोग कीलें हथौड़े लेकर उसके पापों के प्रायश्चित्त करवाने के लिए उसे सूली पर टांगने दौड़े.
तब से, इस धरती पर कोई भी इंसान, गलती से भी, बिना धर्म के पैदा नहीं होता.
COMMENTS