आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 391 यह भी गुजर जाएगा एक छात्र ...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
391
यह भी गुजर जाएगा
एक छात्र अपने गुरू के पास पहुंच कर बोला - "मैंने ध्यान लगाने का अनुभव भयानक रहा है! मैं बहुत विचलित महसूस कर रहा हूं और मेरे पैरों में दर्द हो रहा है। मुझे कई दिनों से नींद भी नहीं आ रही है। यह तो बहुत ही भयानक है।"
गुरू जी ने तथ्यात्मक रूप से उत्तर दिया - "यह भी गुजर जाएगा"
एक सप्ताह बाद वह शिष्य पुनः गुरूजी के पास लौटा और बोला - "मेरा ध्यान आश्चर्यजनक रहा! मैं अपने आप में बहुत जागरूक,शांत और जीवंत महसूस कर रहा हूं। यह सचमुच आश्चर्यजनक है।"
गुरू जी ने तथ्यात्मक रूप से उत्तर दिया - "यह भी गुजर जाएगा"
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भीख मांगना
नसरुद्दीन अपने आप को बेवकूफ साबित करने के लिये प्रायः बाजार के बीचोबीच खड़े हो जाया करते थे।
जब भी कोई व्यक्ति उन्हें दो सिक्के दिखाकर एक लेने का आग्रह करता तो वे हमेशा छोटा सिक्का ही उठाते ताकि लोग उन्हें बेवकूफ समझते रहें। एक दिन एक दयालु व्यक्ति ने उनसे कहा - "नसरुद्दीन तुम्हें बड़ा सिक्का उठाना चाहिए ताकि तुम जल्दी धनवान बन जाओ और लोग तुम्हें बेवकूफ न समझें।"
नसरुद्दीन ने उत्तर दिया - "हो सकता है यह सही हो परंतु जिस दिन से मैं बड़ा सिक्का उठाना शुरू कर दूंगा, लोग मुझे बेवकूफ सिद्ध करने के लिए सिक्के देना बंद कर देंगे। तब तो मैं कंगाल ही हो जाऊंगा।"
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
नसीरुद्दीन ने बिल्कुल अपनी अक्ल का इस्तेमाल किया.
हटाएंसब गुजर जाना है..
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