क्या आप ऐसी कोई आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे जिसमें अगाथा क्रिस्टी के लेखन जैसा सस्पेंस हो, जेम्स हेडली चेईज़ की किताबों जैसा टाइट कथानक हो, गुलशन...
हो सकता है, आपका टेस्ट मुझसे जुदा हो, परंतु अभी हाल ही में मैंने एक किताब पढ़ी, जिसमें मुझे कुछ ऐसा ही आनंद आया. कोई 300 पृष्ठों की इस बेहद दिलचस्प, पाठकों को बाँध कर रखने वाली किताब को मैं एक ही बैठक में पढ़ गया.
इस किताब का नाम है – जी, हाँ, आपने सही कयास लगाया : आई वॉज. जिसे लिखा है, जी हाँ, एपल कम्प्यूटर के जन्मदाता स्टीव वॉजनिक ने.
यह किताब स्टीव के उर्वर मस्तिष्क की महा-गाथा है. उन्होंने विस्तार से, परंतु कहीं भी तकनीकी नहीं होते हुए, ताकि आम पाठकों को भी ये समझ में आ जाए, अपने कई पहले-पहल आविष्कारों की कहानी लिखी है. इस प्रयास में कहीं कहीं स्टीव अतिवादी भी हो गए हैं – मैं पहला, मैं प्रथम, विश्व का मैं अद्भुत प्रथम (चाहे तीन रिमोट एक साथ चलाने वाले पहले व्यक्ति के रूप में) बताने के चक्कर में कहीं कहीं उनका स्वाभाविक अभिमान भी झलकता है. पर, इस किताब की सिर्फ और सिर्फ इस खामी को बख़ूबी नजरअंदाज किया जा सकता है.
स्टीव लिखते हैं कि वो कभी झूठ नहीं बोलते और झूठ नहीं बोल सकते क्योंकि उनके माता पिताओं ने बचपन में ऐसे संस्कार दिए. बाद में उन्होंने टेलिफ़ोन नेटवर्क पर कब्जा कर मुफ़्त एसटीडी आईएसडी काल करने का यंत्र बनाकर विक्रय किया, जिसे वे स्वीकारते हैं कि वो एक अवैध कार्य था. और एक बार पुलिस के द्वारा अपने यंत्र के साथ रंगे हाथ पकड़े जाने पर उन्होंने पुलिस वालों को उल्लू बनाया कि ये संगीत के नोट्स निकालने वाला इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है (उन्होंने एक साधारण से टोन जनरेटर से टेलिफ़ोन नेटवर्क पर कब्जा जमाने का यंत्र विकसित किया था). इस यंत्र का उन्होंने विक्रय भी किया, परंतु उन्होंने स्वयं जब भी टेलिफोन पर बात किया तो वैध काल किया, इस यंत्र की सहायता से मुफ़्त काल नहीं.
किताब दिलचस्प, प्रेरणास्पद उद्धरणों से भरा है. एक बार उन्हें चार दिन के भीतर सॉफ़्टवेयर गेम बनाने का चैलेंजिंग कार्य मिला तो वे चार दिन और चार रात लगातार काम करते रहे, जागते रहे. अंत में जब कार्य पूर्ण हो गया और उसकी जांच दूसरे कर रहे थे, तब उनके पास आराम करने के लिए कुछ घंटे थे. मगर वे सोए नहीं – क्या पता कोई बग निकल आए जिसे तत्काल दुरुस्त करना पड़े!
इस मजेदार, प्रेरणास्पद किताब के कुछ दिलचस्प अंश आपके लिए प्रस्तुत है –
एपल में अपने कैरियर के दौरान मैं ऐसे सैकड़ों गीक और तकनॉलाजी पंडितों से मिला जो सीधे एक साथ कई-कई सीढ़ी छलांग लगाने की कोशिश करते हैं – यह प्रयास कभी भी सफल नहीं होता. कभी भी नहीं. ऊपर की मंजिल पर पहुँचने में सीढ़ी का हर पायदान, एक बार में एक, हर मामले में कहीं ज्यादा बेहतर होता है.
हर मनुष्य में सामाजिकता होती है – मैं चूंकि अंतर्मुखी और शर्मीला था, अतः मैं कुछ प्रभावी काम करता था जिसकी चर्चा हो, जो झलके जैसे कि – इलेक्ट्रॉनिक प्रोजेक्ट बनाना और प्रैंक (छुप कर की गई शरारतें) करना.
एक बार एक सर्किट से मुझे 25 हजार वोल्ट का ऐसा झटका लगा कि मैं उछल कर पाँच फुट पीछे जा गिरा. बाद में बिजली के झटकों से मेरा भय खत्म हो गया और मैंने एक ऐसा मशीन बनाया जिसमें लोग अपना अंगूठा रखते थे और एक चकरी तेजी से चलने लगती थी जिससे लोगों के अंगूठे में बिजली का करंट दौड़ने लगता था जो बढ़ते ही जाता था. और विजेता वो होता था जो सबसे ज्यादा देर तक अपना अंगूठा वहां बनाए रख सकता था.
मैं ये मानता हूँ कि सरकार सिर्फ और सिर्फ वही करती है जो उसके लिए फायदेमंद होती है. और वो हर किस्म के झूठ बोलती है जिससे उसका फायदा हो. वो जनता के भले के लिए कुछ भी नहीं करती है.
मार्केटिंग विभाग ने इंजीनियरों को मजबूर किया कि अतिरिक्त चिप और अतिरिक्त सॉफ़्टवेयर लोड कर (जाहिर है अधिक मंहगा उत्पाद बना कर) एपल 3 को पुराने, बेहद लोकप्रिय एपल 2 के रूप में (कंपेटिबल मोड में) चलाने पर एपल 3 की विशेषताएँ व नई सुविधाएं न चलें.
इस किताब को लिखने का मेरा एक और उद्देश्य रहा है – मैं हमेशा से अपने आप को एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में देखता रहा हूं. तो मैंने लोगों को सिखाने के लिए, कि कैसे वे नए नए ईजाद कर सकते हैं, अपनी ऊर्जा को वो किस तरह लगाए रख सकते हैं, ये किताब लिखी है.
अपने आप पर भरोसा रखें, विश्वास रखें. कभी डगमगाएं नहीं. किसी भी मामले में हममें से अधिकतर, मीडिया या दूसरों के द्वारा बताए गए श्वेत श्याम रंग ही देखते हैं. परंतु एक आविष्कारक के रूप में, कुछ नया करने वाले के रूप में आपको अपने तरीके से, धूसर रंग देखना होगा, और उस तरीके से काम करना होगा.
तो, यदि आप कुछ नया, धूसर सा पढ़ना चाहें तो ले आएं ये किताब. प्रत्येक के पठन के लिए अत्यंत अनुशंसित. ये किताब आपके विचारों के दृष्टिकोण (पर्सपेक्टिव) को बदलकर रख देने की ताकत रखती है. शर्तिया.
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आई वॉज़
स्टीव वॉजनिक – साथ में गिना स्मिथ
आत्मकथा
प्रकाशक – हेडलाइन रीव्यू
आईएसबीएन नं. – 0 7553 1407 7
पृष्ठ – 313
मूल्य – 395
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पठन-पाठन के लिए अत्यंत अनुशंसित कुछ अन्य किताबें –
आधुनिक युग का धर्म-ग्रंथ :
व्हाई मेन लाई एंड वीमन क्राई तथा,
हम भी झूठ नहीं बोलेंगे । जा रहे हैं इस पुस्तक की पायरेटेड कॉपी खरीदने के लिए ।
हटाएंमुंबई के चौराहों पर मिल जाएगी ।
AB MERA BHI DIL KARTA HAI YE PUSTAK PADHNE KO. JAB SEBSE PEHLE COMPUTER ON KIYA VO APPLE KA MACINTOSH HI THA. THAT TIME I VOZ JUST 15
हटाएंकिताब तो खरीदी है लेकिन अभी पढ़नी शुरु नहीं की जल्दी ही पढ़ता हूँ.
हटाएंआप पुस्तक रिव्यू बहुत अच्छा लिखते हैं। वाकई!
हटाएंकिताब कहां मिलेगी.
हटाएंये किताब तो सच में अच्छी है ... साथ में एप्पल के दुसरे संस्थापक स्टीव जोब्स के बारे में भी पढे... बहुत ही प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं.
हटाएंhttp://en.wikipedia.org/wiki/Steve_Jobs
अगर कभी वक्त मिले तो ये विडियो जरूर देखें:
@अतुल जी, किताब का आईएसबीएन नं दिया है तो स्थानीय बुक स्टोर में देखें या ऑनलाइन बुक स्टोर में इस नंबर से ढूंढें.
हटाएं@अभिषेक ओझा जी - स्टीव जॉब्स की उनकी खुद की कहानी उनकी जुबानी - भूखे रहो मूर्ख रहो - रचनाकार में प्रकाशित हो चुकी है. यह भी अति पठनीय है.
इस किताब की जानकारी के लिए धन्यवाद, हम भी जा रहे हैं मुम्बई के सिग्नलस पर इस की पायरेटेड कॉपी तलाशने।
हटाएंham bhee jhooth nahi bolenge. mere shahar me to ye kitab milne se rahee. kisi ke paas iskee ebook ka link hai kya?
हटाएंअनाम भाई, ईबुक तो नहीं, पर शुरूआती चंद पन्नों को आप अमेजन की इस कड़ी पर यहाँ पढ़ सकते हैं.
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