कष्ट, क्रोध और उदासी भरा एक दिन...

SHARE:

सुबह 6 बजे अलार्म की घंटी बजी तो मजबूरन ठंड में ठिठुरते हुए उठना पड़ा. सुबह 6 बजे नल आता है. वह भी एक दिन छोड़कर. आज नल आने की बारी थी. और क...


सुबह 6 बजे अलार्म की घंटी बजी तो मजबूरन ठंड में ठिठुरते हुए उठना पड़ा. सुबह 6 बजे नल आता है. वह भी एक दिन छोड़कर. आज नल आने की बारी थी. और कभी तो ये भी होता है कि उठ कर नल को निहारते रहो... और वो आता नहीं. थोड़ी देर बाद नगर निगम का पोंगा चिल्लाता है - नल शाम को या दोपहर आएगा. और अपनी कमी छुपाने के लिए बहाने भी बनाता है - बिजली सप्लाई सही नहीं मिलने के कारण पानी की टंकिया पूरी भर नहीं पाईँ....

यूँ तो घर पर ट्यूबवेल भी है. पर, जब यह भवन बना था तबके भू-जल स्तर के अनुरूप इसे कोई 175 फीट गहरा किया गया था. आज स्थिति यह है कि 400 फीट में भी पानी नहीं है. लिहाजा फरवरी के बाद ट्यूबवेल सूखने लग जाता है और जब मई जून में वास्तविक में पानी की आवश्यकता होती है, तब यह मुँह चिढ़ाता पूरी तरह सूखा बना रहता है.

तो, बात सुबह की हो रही थी. जैसे ही जमीन में कोई दो फुट नीचे टंकी में लगा नल (उससे ऊपर तो ससुरा पानी का प्रेसर ही नहीं आता!) खोल कर उठना चाहा, टंकी का भारी भरकम लोहे का ढक्कन मेरे घुटने पर धाड़ से गिर पड़ा. दर्द की अनुगूंज सिर तक पहुँच गई और मेरा सिर चकरा गया. तब समझ में आया कि लोग-बाग "दिमाग घुटने में है" जैसे जुमलों का प्रयोग क्यों करते फिरते हैं.

और, अभी तो दिन की शुरूआत ही हुई थी. मेरे नए, परंतु सड़ेले लैपटॉप में समस्या बनी हुई थी तो उसे सुधरवाने इंदौर भेजा था और वह सुधर कर आया भी था, परंतु सुधरने में हालत और ज्यादा खराब थी तो उसे वापस इंदौर भेजा था. दिन के कोई दस बजे रेडिंगटन इंदौर से फोन आया और वहां के तकनीशियन ने एडमिनिस्ट्रेटिव पासवर्ड के लिए पूछा.

मैंने कहा कि भइए, यह तो किसी भी लाइव सीडी या डीवीडी से बूट ही नहीं हो रहा है तो इसके लिए ओएस के पासवर्ड की आवश्यकता क्या है? क्योंकि इसमें स्थापित विंडोज और लिनक्स के तीनों ऑपरेटिंग सिस्टमों में सीडी/डीवीडी पढ़ी ही नहीं जा रही थी. परंतु सामने वाले को समझ नहीं आया या मैं समझ नहीं पाया और बात तनातनी तक पहुँच गई और सामने वाले महोदय ने कहा कि आपने इसमें तीन-तीन पायरेटेड ओएस डाल रखे हैं. गोया कि लैपटीप में सीडी या डीवीडी के नहीं चलने से पायरेसी का सम्बन्ध है. मैंने उसे बताया कि भइए, मेरे एमएसडीएन सब्सक्रिप्शन के चलते उसमें डले विंडो जेनुइन हैं और लिनक्स में तो पाइरेसी जैसी कोई बात ही नहीं है. जाहिर है आधे घंटे की बहस का नतीजा नहीं निकला. अब देखते हैं कि वो लैपटॉप कब और किस हालत में वापस आता है. तब तक काम में खोटी तो होना ही है...

दोपहर को लाइब्रेरी की तरफ जा रहा था तो राम मंदिर ब्रिज पर भारी भीड़ दिखाई दी. नीचे से राम-धुन सुनाई दे रही थी. जाहिर था कि कोई बंदा सरक लिया था दुनिया से. पता चला कि श्री नारायण पहलवान जिन्हें "पहलवान" के नाम से ज्यादा जाना जाता था, स्वर्ग सिधार गए हैं और ये उनकी ही शवयात्रा है. वैसे तो पहलवान के ऊपर कई आपराधिक मामले दर्ज थे और लोगों का कहना था कि उनके कई कानूनी-गैरकानूनी अवैध धंधे थे, मगर उनकी शव यात्रा में हजारों लोगों की भीड़ - जिनमें निम्न आय वर्ग के लोगों की संख्या अच्छी खासी थी और जो स्वतः स्फूर्त होकर शामिल हुए थे. पहलवान ने भले ही सरकारी तौर पर गैरकानूनी काम किया हो, परंतु उसकी क्षत्रछाया में सैकड़ों हजारों की आजीविकाएँ भी चलती रही थीं और पहलवान को ईश्वर की तरह पूजने वाले भी सैकड़ों थे. सैलाना ब्रिज का सारा मार्केट शोक में बन्द था. लाइब्रेरी भी बन्द थी.

कम्प्यूटर पर कुछ फ़ीड पढ़ने बैठा. कुछ दिनों से फ़ीडों का पढ़ना रह गया था. सबसे पहले डिजिटल इंस्पिरेशन की इस पोस्ट पर नजर गई - गूगल एडसेंस अपने प्रयोक्ताओं को क्रिसमस उपहार दे रहा है. अमित को भी यह उपहार गूगल वालों ने भेजा था. परंतु धन्य है भारतीय डाक-तार विभाग. उन्होंने पैकिंग में से 2 जीबी यूएसबी कार्ड तो सफाई से निकाल लिया और खाली बधाई पत्र को रहने दिया. शायद डाकतार विभाग वाले इस बात में यकीन करते हैं कि ग्राहक, तू क्या लाया है और क्या ले जाएगा. और, क्रिसमस के बधाई का महत्व है. बधाई के साथ आए उपहार का क्या? वह तो मिट्टी ही है. अमित के डिजिटल इंस्पिरेशन को तमाम विश्व में लाखों लोग पढ़ते हैं. कोई सोलह हजार से अधिक नियमित ग्राहक हैं. भारतीय डाकतार विभाग का क्या बढ़िया चरित्र चित्रण हुआ होगा उनके मन में!

यह पढ़कर बहुत पहले का मेरा खुद का अनुभव याद आ गया. मेरे भांजे (अभी चेन्नई में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर है) ने एक परीक्षा में बढ़िया नंबर लाए तो मैंने उसे यहां से रजिस्टर्ड पार्सल से एक वाकमैन भेजा था. पार्सल जब पहुँचा तो उसमें प्लास्टिक का खिलौना नुमा कैमरा निकला था. वो तो कोरियर कंपनियों का धन्यवाद नहीं तो मेरी सब्सक्रिप्शन वाली कई तकनीकी पत्रिकाएँ व सीडी हर दूसरे चौथे महीने गायब हो जाती थीं और मुझे प्रकाशकों को पत्र लिखकर दुबारा मंगाना पड़ता था.

मैंने यह अनुभव लिख कर कोई दो घंटा पहले पोस्ट करना चाहा था. परंतु इंटरनेट सुबह से लपझप कर रहा था और अभी तो वो पूरा बैठा हुआ था... और इससे पहले बिजली नहीं थी. इनवर्टर की बैटरी को भी कोई डेढ़ साल होने जा रहा था तो यह भी पंद्रह मिनट में सीटी बजाने लगती है और इससे पहले कि आप अपना लिखा समेट लें, यह भक्क से बंद हो जाती है. गनीमत यह रही कि ऑटोसेव सिस्टम में यह सारा लिखा हुआ बचा रहा...

अभी रात बाकी है... उससे निपटना है....

COMMENTS

BLOGGER: 12
  1. लड़ते रहिये और जिन्दगी के मजे उठाते रहिये.
    लैपटॉप जल्दी माँगा लीजये नहीं तो हमारा नुकसान होगा.

    जवाब देंहटाएं
  2. कभी कभी एक आम सा दिन किस कदर बोझिल या घटनाओं से भरा बन जाता है... यही तो जिंदगी है. रात कैसी गुजरती है बता देना रवि भाई.
    और अपने दिमाग ... म म मेरा मतलब है घुटने का ध्‍यान रखिएगा. उम्‍मीद है कि अब आराम होगा. दिमाग हो या घुटना चलना बंद कर दें तो परेशानी हो जाती है... है ना. बची हुई रात के लिए शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  3. अरेः नमः।। भगवान किसी को ऐसा दिन न दिखाए। कोटा की लड़की रतलाम में ब्याह दी जाए तो वहाँ चार महीने भी नहीं टिके। श्रीमती जी ने पुछवाया है,आपने सुबह सुबह किसका मुहँ देखा था (ताकि उनका कभी रतलाम जाना हो तो वे उससे बचें। पोस्ट पढ़ने के बाद सभी अखबारों के राशिफल पढ़ लिए, किसी में ऐसी कोई संभावना तक नहीं बता रखी है। या तो आप का नाम बिना कुंडली के आधार पर ऐसे ही रख दिया गया था या फिर आप अपनी महादशा अन्तर्दशा जरूर चैक करा लें। आगे क्या कहूँ। सरकार से तो उम्मीद करना बेजा हरकत होगी। इसीलिए तो भगवान हैं, वे न हों तो जीना ही दूभर हो जाए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए महामृत्युञ्जय ट्राई कर लें तो बेहतर ही होगा। मेरे विचार में इतना पर्याप्त है, आगे आप खुद समझदार हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. मन भर गया वेदना पढ़कर, संवेदन स्वीकार कीजिये
    पानी वालों ने भेजा है यह अनुपम उपहार लीजिये
    डाक तार वाले ले लेते, मार झपट्टा अपना हर हक
    इन सबका षड़यंत्र आपके प्रति है, अब ये मान लीजिये

    जवाब देंहटाएं
  5. धीरज रखिये।
    Law of Averages के अनुसार, आपको भविष्य में, इसके बदले में एक बहुत ही अच्छे दिन का अनुभव होगा।
    फ़िलहाल अब रात बाकी है। Sweet Dreams!

    G विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु

    जवाब देंहटाएं
  6. ह्म्म, दुखद।

    अब घुटनों की चोट कैसी है।
    उपरवाला आपके लैपटॉप को जल्द से जल्द वर्किंग ऑर्डर में आपके पास पहुंचवाए।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेनामी11:17 pm

    पानी, घुटने का चोट, डिजिटल-लेपटाप, डाकतार विभाग, ब्‍लाग फीड, तकनीकि लेखन के बावजूद पुस्‍तकालय के लिए निर्विकार समय निकालना आपके बस की ही बात है रवि भाई ।

    जवाब देंहटाएं
  8. पानी, घुटने का चोट, डिजिटल-लेपटाप, डाकतार विभाग, ब्‍लाग फीड, तकनीकि लेखन के बावजूद पुस्‍तकालय के लिए निर्विकार समय निकालना आपके बस की ही बात है रवि भाई ।

    जवाब देंहटाएं
  9. मैं तो खुद को ही बेवजह व्‍यस्‍त समझता था, आपका टाइट टाइमटेबल और मारामारी देखी तो पता चला की आप इतनी व्‍यस्‍तता के बीच भी कैसे टाइम निकाल लेते हैं।

    बहुत खूब लिखा आपने

    जवाब देंहटाएं
  10. रवि जी आपकी कहानी सुन कर मुझे जगजीत जी की एक ग़ज़ल याद आ गई '' दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई, जैसे एहसान उतारता है कोई, आइना देख कर तसल्‍ली हुई, हमको इस घर में जानता है कोई'' । वैसे एक बात आपको बता दूं कि आपने जो लेप टाप लिया है वो वैसे भी सबसे सड़ेला है मैं हार्डवेयर का काम करता हूं और ये मैं किसी को भी नहीं देता हूं और जहां तक मैग्‍जीन की बात है वो तो आप भी जानते होंगें कि कैसे कोई प्रोडक्‍ट बेस्‍ट बना दिया जाता है । मैं आपको कहना चाहता हूं कि आप ने जो लेपटाप लिये है वो आपको यूं ही परेशान करता रहेगा । ड्रायवर की समस्‍या आएगी सो अलग । काम्‍पेक का सर्विस सेंटर सबसे कमजोर होता है । मैने कुछ डेस्‍कटाप के बाद काम्‍पेक को कभी नहीं बेचा ।

    जवाब देंहटाएं
  11. इतनी मुश्किलें सहने के बाद किसी का भी दिन कष्ट, क्रोध और उदासी से भरा होता। हमारी संवेदनाएं स्वीकार करें। आशा करते हैं आप का लेपटाप जल्द से जल्द बन कर आ जायेगा।

    जवाब देंहटाएं
  12. रवि जी, आपकी इस प्रस्तुति को पढ़ते- पढ़ते मुझे कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी, सोचा आपको अवगत करा दूँ , प्रस्तुत है -
    " ज़िंदगी है जंग जीते और हारे ज़िंदगी !
    कौन है हमदर्द जिसको अब पुकारे जिंदगी !!
    मुल्क का हर आदमी है व्यस्त इतना दोस्तों -
    रेल सी ये भागती सबको निहारे जिंदगी !!"
    आपके कष्ट , क्रोध और उदासी को समझा जा सकता है .आपका लैपटॉप शीघ्र बन जाए , हमारी यही कामना है .

    जवाब देंहटाएं
आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
कृपया ध्यान दें - स्पैम (वायरस, ट्रोजन व रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त)टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहां पर प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

तकनीकी ,1,अनूप शुक्ल,1,आलेख,6,आसपास की कहानियाँ,127,एलो,1,ऐलो,1,कहानी,1,गूगल,1,गूगल एल्लो,1,चोरी,4,छींटे और बौछारें,148,छींटें और बौछारें,341,जियो सिम,1,जुगलबंदी,49,तकनीक,56,तकनीकी,709,फ़िशिंग,1,मंजीत ठाकुर,1,मोबाइल,1,रिलायंस जियो,3,रेंसमवेयर,1,विंडोज रेस्क्यू,1,विविध,384,व्यंग्य,515,संस्मरण,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,स्पैम,10,स्प्लॉग,2,हास्य,2,हिंदी,5,हिन्दी,509,hindi,1,
ltr
item
छींटे और बौछारें: कष्ट, क्रोध और उदासी भरा एक दिन...
कष्ट, क्रोध और उदासी भरा एक दिन...
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhiaN-NuY9xjRjJrrPrev1wp6SrnCCsUcyB4XEdabZdtRFZ-0idC1Ko1jIw3n4GOH2pESI9iikz877k-vfxSTAbXTH5pLxJiRmDx3o8R_aV99bXVLclHiv1S7jsz8d1hJ6wzse0/s400/kast+krodh.JPG
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhiaN-NuY9xjRjJrrPrev1wp6SrnCCsUcyB4XEdabZdtRFZ-0idC1Ko1jIw3n4GOH2pESI9iikz877k-vfxSTAbXTH5pLxJiRmDx3o8R_aV99bXVLclHiv1S7jsz8d1hJ6wzse0/s72-c/kast+krodh.JPG
छींटे और बौछारें
https://raviratlami.blogspot.com/2007/12/blog-post_11.html
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/2007/12/blog-post_11.html
true
7370482
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content