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नहीं, नहीं, मेरे मोटापे का राज कुछ और ही है; भागवान्!

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अगर आप अपनी कमर के घेरे के ऊपर बाल बराबर भी चिंतित हैं कि लाख जतन करने के बाद भी उसमें बाल बराबर भी कमी नहीं होती, उल्टे उसमें समयबद्ध, च...

क्या क्या जांच कर के लें?
ट्विटर, फ़ेसबुक पर आप किस तरह से खांसते छींकते हैं?
व्यंग्य जुगलबंदी - पुनर्धर्मभीरूभव:

thinking too much can make you fat

अगर आप अपनी कमर के घेरे के ऊपर बाल बराबर भी चिंतित हैं कि लाख जतन करने के बाद भी उसमें बाल बराबर भी कमी नहीं होती, उल्टे उसमें समयबद्ध, चक्र-वृद्धि होती जाती है, तो अब आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं, उसके बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं.

आपके मोटापे के पीछे आपकी अकर्मण्यता, आपका अनियमित खानपान, आपकी रसीली, चटोरी जिह्वा का कोई हाथ नहीं. ये मैं नहीं कह रहा. ये बात वैज्ञानिक खोजों से सिद्ध हुई हैं. दरअसल आपके मोटापे के पीछे आपके उर्वर दिमाग का हाथ है. आपका दिमाग जितना ज्यादा सोचता है, उतना आपकी भूख बढ़ती है और आप उतना ही अधिक खाते हैं और नतीजतन उतने ही अधिक आप मोटे होते जाते हैं.

अब अगर आप स्वस्थ, हृष्ट पुष्ट और तनिक मोटे नजर आते हैं तो इसमें शर्म की, परेशानी की कोई बात नहीं. अपने मोटापे को छुपाने या उसे कम करने की कोई जरूरत नहीं. उलटे आपको अपने आप पर अपने मोटापे पर गर्व होना चाहिए. आप मोटे हैं इससे यह सिद्ध हो जाता है कि आप सोचते हैं. आपके पास एक अदद दिमाग है जो सोचता भी है. यदि आप अधिक मोटे हैं तो यकीनन आप अधिक सोचते हैं. यह तय है कि मोटापा जितना ज्यादा होगा, उतना ज्यादा वो व्यक्ति सोचता होगा. जो व्यक्ति सोचता है वही तो बुद्धिजीवी कहलाता है. तो, अब समानुपात सिद्धांत के आधार पर आप अंदाज लगा सकते हैं, लोगों को राज की ये बात बता सकते हैं कि बड़ा बुद्धिजीवी कौन हुआ?

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व्यंज़ल

जाने कितने राज धरे हैं
दिल में बहुत गुबार भरे हैं

मेरी रुसवाई का राज ये है
वो भी क्यों नाराज भरे हैं

राज की बात तो रही नहीं
कुछ करम हमने करे हैं

जिंदा रहने का ये राज है
जाने कितनी बार मरे हैं

ये राज बता ही दो रवि
डराने वाले क्यों बैठे डरे हैं
---

(समाचार कतरन – साभार टाइम्स ऑफ इंडिया)

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tag  : satire, thinking too much can make you fat, vyangya, ghazal, gazal, vyanjal, hindi literature

COMMENTS

BLOGGER: 13
  1. आपने चिंता में डाल दिया, अब हमें सोचने वाला कौन मानेगा?

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  2. भाई ......कमर का घेरा ३२ इंच से ज्यादा न हो ......यही कोशिश रहती है.......पर सुबह सुबह क्यों इस रग पे हाथ रखे है ?

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  3. हम्म...आप कहना चाहते हैं हम बुद्धिजीवी नहीं हैं! कोई बात नहीं हम भी तो यही कहते हैं ....

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  4. यह है श्री समीरलाल की मानसिक उर्वरा शक्ति का राज!

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  5. muje to ek aur sashakt bahana mil gaya apne motape ko prashansit karne ka .dhanybad
    aapke baare main bahut suna aaj phali mulakaat hai ,kuch samasayain hai uneh baad main bataunga .ek blog guru ki muje bahut jarorat hai .aap banoge ya main eklabya ki tarah hi apke blog se sikhta rahonga.

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  6. बेनामी1:56 pm

    अब समझ आया कि कुछ आदिवासी कबीलों आदि में बड़ी तोंद सम्मान का प्रतीक क्यों होती थी और सबसे बड़ी तोंद वाले को क्यों सरदार बनाया जाता था।

    मैं भी खामखा हलकान होता था मोटापे के कारण, आज आपने ज्ञानचक्षु खोल दिए, धन्य हो!

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  7. हां हां अभी तक तो कम दिमाग ही है लगता है जल्दी ही ज्यादा हो जायेगा !

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  8. ईश्वर करें आपकी यह पोस्ट वो सरे लोग पढ़ पायें जो मोटापे की चिंता में मानसिक रूप से दुबले हुए चले जाते हैं...खुश होने को और अपने मोटापे पर गर्व करने का यह एक उपाय तो हाथ आएगा...

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  9. बहुत सुंदर. आपने तो मेरी सारी चिंतानोव को ही समाप्त क्र दिया. मैं तो बेकार परेशान थी. राह दिखने के लिए आभार.

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  10. आपके लेख के दो पहलू हैं

    1. नई जानकारी मिली. आभार! अब कम सोचेंगे.
    2. ऊपर लिखे अनुसार कम सोच कर हम मानसिक रूप से पंगु हो गये तो आपको दोष देंगे!!



    -- शास्त्री जे सी फिलिप

    -- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)

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  11. यार इस कमर के घेरे के चक्कर में मै भी परेशान हूं तीन साल पहले भले ही सिंगल हड्डी था लेकिन सुखी था

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  12. अब तक तो मैं इसके ठीक उल्टा सोचता था। ज्यादा दिमाग खर्च करने वाले को दुबला, और मोटी अकल वाले को मोटा। यानी बुद्धि और शारीरिक रचना में अनुलोम संबन्ध। पर यहाँ के शोध में तो विलोम संबन्ध निकला। वाह! अब मुझे वजन घटाने की ‘चिन्ता में दुबला होने’(धत्! मुहावरा भी धराशायी हो गया) की जरूरत नहीं होगी।

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  13. लो, अब मोटापा और उर्वर दिमाग के बीच सम्बन्ध स्थापित हो गया।
    इससे पहले गंजेपन और उर्वर दिमाग के सम्बन्ध के बारे में सुन चुका था।

    एक पुराना चुटकुला सुनिए।
    भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन से गंजेपन के बारे में पूछा गया था।
    उनकी राय में:
    गंजे दो गुट में बाँटे जा सकते हैं।
    एक: जो आगे से गंजे होते हैं। यह लोग बहुत सोचते हैं।
    दो: जो पीछे से गंजे होते हैं। यह लोग "सेक्सी" होते हैं

    जब शेषन साहब से पूछा गया:
    जो आगे से और पीछे से भी गंजे होते हैं, उनका क्या?
    उत्तर मिला: यह लोग सोचते हैं के वे सेक्सी हैं।

    जवाब दें हटाएं
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छींटे और बौछारें: नहीं, नहीं, मेरे मोटापे का राज कुछ और ही है; भागवान्!
नहीं, नहीं, मेरे मोटापे का राज कुछ और ही है; भागवान्!
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छींटे और बौछारें
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