और, अब तो स्वयं कैबिनेट सचिव ने यह मान लिया है!! उच्च अदालतों (हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट) के 50 प्रतिशत से अधिक मुकदमे सरकारी महकमों के है...
और, अब तो स्वयं कैबिनेट सचिव ने यह मान लिया है!!
उच्च अदालतों (हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट) के 50 प्रतिशत से अधिक मुकदमे सरकारी महकमों के हैं!
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि अफसरशाही कितनी निरंकुश, चलताऊ, निष्फिकर, मेरा क्या? एटीट्यूड वाली है, और अपने कंधों पर निर्णय का बोझ ढोना नहीं चाहती!
यह तो बहुत पुरानी बात है , न्यायपालिका पहले भी इस विषय में अपनी चिंता अभिव्यक्त कर चुकी है , केंद्र ही नहीं राज्य सरकारों के साथ भी यही हाल है , और इसका कारण है , सरकारी अफसरों की लापरवाही , उनकी वजह से ही मुकदमें होते हैं , व बार बार तारीख भी उनकी वजह से ही पड़ती हैं , क्योंकि वे समय पर उपस्थित नहीं होते या अपने वकील को पर्याप्त जानकारी सूचनाएं नहीं देते , आज न्यायपालिका पर सब से बड़ा बोझ कार्यपालिका का ही है , और शेष इन नेताओं के कुकर्मों का , उनके द्वारा पालित माफियाओं का
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