भले ही अब भारत में कहीं कोई बिहारिया किस्म के चुनाव न हो रहे हों जिसमें प्रायोजित राजनैतिक किस्म की असहिष्णुता की बातें हों, मगर ये कोई टाइ...
भले ही अब भारत में कहीं कोई बिहारिया किस्म के चुनाव न हो रहे हों जिसमें प्रायोजित राजनैतिक किस्म की असहिष्णुता की बातें हों, मगर ये कोई टाइम और कोई तरीका है अच्छे खासे ऐन कैन प्रकारेण नावां कमाते जनता के प्रति सचमुच में असहिष्णु होने का!
इस सरकारी असहिष्णुता से बहुत से भले लोग दुबई या स्विटजरलैंड का रूख करेंगे. भारतभूमि तो अब वाकई बहुत असहिष्णु हो गई है. बू हू हू…
व्यंज़ल
न पूछें कौन हैं लेन-देन में
बाप बेटे भी हैं लेन-देन में
कब क्यूं कहाँ कौन किससे
सभी तो लगे हैं लेन-देन में
यार ऊंच नीच तो होगी ही
वो प्यार के हैं लेन-देन में
जिनकी जमीनें सरकी हैं
वो वक्त के हैं लेन-देन में
कोई परग्रही नहीं है रवि
यहाँ हम भी हैं लेन-देन में
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