कुछ ही समय की देर है . यह सिद्ध हो गया है. आपका सारा का सारा कंप्यूटिंग कार्य अब मोबाइल फ़ोनों से ही होने लगेगा. ताज़ा उदाहरण है - हिंदी ओ...
कुछ ही समय की देर है. यह सिद्ध हो गया है. आपका सारा का सारा कंप्यूटिंग कार्य अब मोबाइल फ़ोनों से ही होने लगेगा.
ताज़ा उदाहरण है - हिंदी ओसीआर.
हिंदी ओसीआर के लिए आउट-ऑफ़-द-बॉक्स सुविधा पीसी कंप्यूटरों के लिए गिनती के एक दो ही हैं. एक है इंडसैंज का हिंदी ओसीआर, तथा दूसरा टैसरेक्ट आधारित ओपन-सोर्स का बहुभाषी ओसीआर, जिसे हिंदी में काम करने के लिए बहुत सी सेटिंग अलग से करनी होती है.
परंतु यदि आप मोबाइलों में देखेंगे, तो आश्चर्यचकित रह जाएंगे.
लोकप्रिय एंड्रायड प्लेटफ़ॉर्म में गूगल प्ले स्टोर में हिंदी ओसीआर (hindi ocr) से खोज देखें.
कोई आधा दर्जन ओसीआर मिल जाएंगे, जिनमें आप केवल हिंदी भाषा का पैक अतिरिक्त डाउनलोड कर उसमें सीधे-सीधे काम कर सकते हैं. आपके मोबाइल में चूंकि अंतर्निर्मित कैमरा होता है, अतः आप किसी छपे हुए हिंदी पाठ को अपने मोबाइल के कैमरे से स्कैन कर सीधे ही ओसीआर कर सकते हैं. अलबत्ता पहले से खींचे गए हिंदी पाठ के चित्र पर भी काम करने का विकल्प उपलब्ध होता है. जबकि यही सुविधा हासिल करने के लिए आपको अपने डेस्कटॉप कंप्यूटर में अलग से एक अदद स्कैनर की आवश्यकता पड़ती है.
ठीक इसी तरह, यह सुविधा आईओएस यानी एप्पल आईफ़ोन प्लेटफ़ॉर्म में भी है. इसका मल्टी स्कैन एएचटी ओसीआर हिंदी भाषा में बढ़िया काम करता है -
ओसीआर किए गए डिजिटाइज्ड टैक्स्ट को आप सहेज सकते हैं, ईमेल के रूप में भेज सकते हैं या अपने क्लाउड में सहेज/लिंक बना कर साझा कर सकते हैं. हाँ, एक पूरे पाठ को स्कैन कर डिजिटाइज्ड करने में यह (आईफ़ोन 5 और नोट 2) काफी लंबा वक्त लेता है. शायद यह आधुनिक जमाने के ऑक्टाकोर प्रोसेसर युक्त नवीनतम हाई एंड फ़ोनों में तेजी से काम करे. और, वह दिन दूर नहीं जब हिंदी ओसीआर अंग्रेज़ी ओसीआर की तरह ऑन-द-फ़्लाई, रीयल टाइम में होने लगे.
टीप - उच्च गुणवत्ता के लिए हिंदी टैक्स्ट की इमेज स्कैन या फ़ोटो क्रिस्प, सही रौशनी में, सही पिक्सेल में और सीधा सपाट होना चाहिए. ऊपर के चित्र में आप देखेंगे कि हिंदी पाठ में जहाँ पेज की गोलाई का असर आ गया है, वहाँ पाठ ठीक से ओसीआर नहीं हो पाया है.
नोट 2 में ओसीआर किया गया पाठ (किसी तरह का सुधार नहीं किया गया है) -
प्राफेसर रोनदी की टाइम मशीन
7 नवम्बर
खास दुनिया में तीन अलगन्दालग जगहों पर तीन वैज्ञानिक एक समय में एक ही मशीन के
निर्माण में प्रयोग का रहे हैं । आमतौर पर ऐसा नहीं होता । लेकिन अभी तो ऐसा ही है ।
इन तीन वैज्ञानिक में यकीनन एक में भी हूं। और जिस मशीन पर काम हो रहा है, वह है-टाइम
मशीन ।मैं जब कोलिज में विज्ञान की पढाई पूरी कर रहा था तभी मैंने एच. जी. बीस की एक
आश्चर्यजनक कहानी पढी थी-टाइम मशीना इसे पढ़ने के बाद, मेरे मन में इसी प्रकार का एक
यन्त्र तेयार करने को इच्छा जगी थी । इस इच्छा को मैंने कार्यरूप में परिणत भी किया था । लेकिन
मेरा सारा काम मोटे तीर पर एक सिद्धान्त की तरह ही विकसित हो रहा था । मेरी यह धारणा है
कि मेरे द्वारा विकसित सिद्धान्त की नीव काफी मज़बूत है । इस बात की पुष्टि तभी हो गयी थी
जब पिछली फरवरी में, सोन के मेड्रिड शहर में आयोजित वैज्ञानिकों के अंतर्राष्टीय सम्मेलन में
मैंने अपना शोघपूर्ण आलेख पढा। यहीं उपस्थित सभी वैज्ञानिकों ने मेरी मरपूर प्रशंसा की।
लेकिन मेरे पास इतना धन नहीं था कि मैं अपने खर्चीले प्रयोग जारी रख पाता । रुपये की कमी
के कारण इस बीच मेरा काम आगे बढ़ नहीं पाया ।इसी बीच, जर्मनी के कोलोन शहर के वैज्ञानिक प्रो. क्लाइव अपनी टाइम मशीन को अंतिम
रूप दे रहे थे । उनका काम काफी जागे बढ़ गया या । उनके बारे में मुझे अपने जानि मित्र मि;
बिलहैम कोल से जानकारी मिली थी । प्रो. क्लाइव मेड्रिड वाले सम्मेलन में भी उपस्थित थे, जहाँ
मैंने अपना पर्चा पढा था । वहीं उनके साथ काफी देर तक बातचीत भी हुई थी । दुख इस बात
का है कि यह सारा काम पूरा किये जाने के पहले ही किसी हत्यारे ने उनकी जान ले ली । उस
हत्यारे का पता अब तक नहीं चल पाया है । इस घटना को बीते दो सप्ताह हो गए हैं । प्रो.
क्लाइव पदा-विज्ञानी थे और काफी सम्पन्न थे । विज्ञान के अलावा उनके और भी कई शौक ये।।
इनमें से एक था, कीमती और दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह ।इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि उनकी हत्या पेशेवर डाकुओं द्वारा की गई
थी । क्योकि प्रो. क्लाइव के काम करने बाले स्थान से, जो उनके घर का ही एक हिस्सा था, ऐसी
तीन बेशकीमती वजाकातेयाँ गायब हो गई थीं । ठीक उसी हत्या के बाद । क्लाइव की मोत किसी---
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